आनासागर और पुष्कर के जिस्म को नौंचने वालों! तुमको भी जानवर नौंचेंगे

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खानपुरा की तबाही पर कौन बोलेगा?
पुष्कर फीडर्स क्यों उल्टा बहने लगे हैं?
भ्रष्ट नेताओं! अधिकारियों और माफियाओं ने क्या “पानी” के कत्ल की ले रखी है सुपारी?

अजमेर का दिल कहे जाने वाली झील आनासागर की बाई पास सर्जरी की जा रही है। उसके लहू को गंदे नालों के माध्यम से खानपुरा के तालाब तक पहुंचाया जा रहा है। इससे खानपुरा गांव में तबाही के मंजर पैदा हो गए हैं। वहाँ तालाब में आया पानी खेतों और खलियानों में पहुंच गया है। गांव के घरों तक पानी अपनी पहुंच बना रहा है। अजमेर शहर की तबाही का लुत्फ उठाने वाले नेताओं में से एक भी इस गांव की सुधि लेने नहीं पहुंचा है। वैसे जहाँ पहुंचा वहां भी क्या तीर मार लिया।

अखबारों में सुर्खियां बटोरने के अलावा किसने क्या तीर मार लिया स्वयम्भू नेता कम अभिनेता ज्यादा राठौड़ बाबा हों! मिट्टी के माधो सांसद भागीरथ चौधरी हों या हों बयानवीर विधायक देवनानी या उनके अधीनस्थ चिल्गोजे! या फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी ही क्यों न हों। किसके जायजा लेने से कहाँ के हालात सुधर गए।

जवाहर लाल नेहरू अस्पताल को ही लीजिए। सारे नेताओं ने वहां जाकर जो बदहाल देखे क्या वे सुधर गए किसी एक भी नेता की वजह से यदि किसी समस्या का हल निकल गया हो तो मैं अपनी दाढी कटवाने को तैयार हूँ। जिनके मकान गिरे! दीवारें गिरीं! जानवर मरे! जिनके घरों में पानी भरा! कौन है जिसे सरकारी राहत से मुसीबत कम होने में मदद मिली।

आज भी आनासागर के आस पास के क्षेत्रों में पानी भरा हुआ है। सागर विहार कालोनी जो आनासागर के डूब क्षेत्र में अंधे सरकारी नुमाइंदों ने काट दी थी पानी में डूबी हुई है। आसपास की अन्य कॉलोनियों में भी पानी भरा हुआ है। छोटे – छोटे टापूओं में तब्दील हो गयी ये कॉलोनियां। ये सिर्फ और सिर्फ़ आनासागर की भराव क्षमता को कम करने के कारण हुआ।

आज आनासागर में 15 फीट पानी भरा हुआ है। यदि इसकी मूल सीमा को कम नहीं किया गया होता और मूल गहराई 16 फीट को 13 फीट नहीं किया जाता तो आज पानी निकालने की नौबत ही नहीं आती।

मित्रों! आज जितना पानी आनासागर के आसपास भरा हुआ है यही आनासागर का मूल स्वरूप है। इसे बराबर सुनियोजित चाल के तहत आने जाने वाले जिÞला कलेक्टर कम करते रहे। भूमाफियाओं ने उनकी जेबें गर्म की और उन्होंने उनके हिसाब से आनासागर को निचोड़ दिया। नगर निगम के कई नाकारा और निकम्मे नेता भी इस खेल में उनका साथ देते रहे। जांच हो तो आनासागर कई नेताओं माफियाओं और कलेक्टरों के चेहरे नोंच ले। मगर जांच करे कौन?

यहाँ तो भ्रष्टाचार की 13 फाइलों को मन्त्रियों ने दबा रखा है। जरा देखिए चांदी के जूतों का कमाल कि भाजपा के नेताओं को कांग्रेसी मंत्री ने बचा रखा है। गहलोत की फाइलें गहलोत सरकार ने छिपा रखी हैं! चंपत सांखला की फाइल ए सी बी द्वारा करोड़ों की सरकारी जमीन की खरीद फरोख्त में अपराध का दोषी बताने के बावजूद अब तक दबी हुई है। ऐसे कई पार्षद हैं जिनकी फाइलें अभी तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंची हैं। भू माफियाओं ने मिलकर आनासागर का बंटवारा कर दिया मगर हमारे जनप्रतिनिधियों ने आंखों पर पट्टी बांध कर धृतराष्ट्र की भूमिका निभाई।

यही हाल तीर्थ राज पुष्कर का हुआ। ज्यूं का त्यों। वहां भी पुष्कर सरोवर की हरामी भूमाफियाओं! नेताओं और अधिकारियों की तिगड़ी ने मिलकर आपस में बंदर बांट कर ली।

यही वजह है कि आज पुष्कर के सारे फीडर भरे हुए हैं। पानी उल्टे बहाव पर है। सरोवर में जाने की जगह वापस उदगम की तरफ लौट रहा है। फीडर लबालब होने के बाद डूब क्षेत्र में बनी कॉलोनियों को डुबो रहा है। अवैध होटलों की दहलीज पर पानी पहुंच रहा है। ये वही होटल्स हैं जो डूब क्षेत्र में नगर पालिका के भ्रष्ट प्रशासन! राजनेताओं और अधिकरियों के तालमेल से होटल माफियाओं ने बनवाए। ऐसा नहीं कि जनता ने इनका विरोध नहीं किया मगर “हरामी तंत्र” ने यहाँ भी जनता और मीडिया को ताक में रख दिया।

अब सबकी पोल खुल रही है। प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखा रही है। यह तो अभी शुरूआत है। देखते जाइए! आने वाले समय में इन कुकृत्यों के जिम्मेदार हरामियों में से एक नहीं बचेगा। जो लोग आनासागर और पुष्कर सरोवर के जिस्म को नोंच रहे हैं एक दिन उनके जिस्म जानवर नोचेंगे। इस कुकृत्य में शामिल कई लोग कोरोना काल में अपनी औकात सड़ते हुए देख चुके हैं। बाकी भी देखते जाइए! सब यहीं नर्क भोग कर जाएंगे! अधिकारी, राजनेता, माफिया कोई भी कमाया हुआ छाती पर रख कर नहीं ले जाएगा! तय है दोस्तों। एक दम तय है।

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