आधा भारत रेगिस्तान बनने की कगार पर

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रेगिस्तान का अजमेर की तरफ प्रवेश

अशोक शर्मा, पत्रकार, अजमेर

वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड ने चेताया है कि कुछ दशक में भारत का एक चौथाई क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। अगर समय रहते नहीं चेते तो पूरा देश बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ने वाला है। गंगा, कावेरी, कृष्णा नदी का जल स्तर काफी कम हो गया है, जो कि गंभीर चिन्ता का विषय है। यूपी और बिहार की अधिकांश नदियां सूख रही हैं, दूसरी ओर राजस्थान में भी यही हाल है,और आगे आने वाली स्थिति और भी भयावह होने वाली है, क्योंकि देश और राजस्थान की नदियों के हाल बेहद खराब हैं। दिल्ली के भूगर्भ वैज्ञानिकों ने दस साल पहले शोध में पाया कि राजस्थान में बीकानेर की तरफ से बढ़ रहा रेगिस्तान नागौर के बाद अब अजमेर की तरफ बढ़ रहा है।

राजस्थान की अरावली पर्वत श्रृंखला में जगह-जगह रेतीले मोरे खुल रहे हैं, जो पुष्कर लांघ कर अजमेर की तरफ बढ़ रहे हैं। रेगिस्तान का यूं बढ़ना अजमेर के लिए खतरे का संकेत है। देश की तमाम नदियां तेजी से निष्प्राण हो रही हैं। यूपी, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड की नदियों की पड़ताल करने पर रहस्योद्घाटन हुआ कि इन चारों राज्यों की नदियां सूख गयी हैं। मात्र गंगा, यमुना और वरुण नदियां ही बह रही हैं, लेकिन इनके फैलाव और वेग में काफी कमी आ गई है। उत्तराखंड के 461 जल स्तोत्र ऐसे हैं जिनमें मात्र एक चौथाई पानी रह गया है। इन सब की वजह है जलवायु परिवर्तन, अवैध खनन, अतिक्रमण जिसकी वजह से नदियां सूख गई हैं और जमीन के नीचे का जल स्तर भी काफी नीचे चला गया है। आज लोग यह नहीं जानते कि नदियां जमीन की रक्त वाहिनियां होती हैं,वे सूख गई तो बचेगा क्या? बिहार में इसी वर्ष 16 नदियां सूख चुकी हैं, देहरादून के पहाड़ों की नदियों ने भी दम तोड दिया है। वहां 65 नदियां सूख चुकी हैं तथा 250 सूखने के कगार पर हैं। राजस्थान की नदियों का हाल तो और भी ज्यादा खराब है। बढ़ती आबादी, विकास का दबाव और बेशुमार अतिक्रमण के कारण नदियां खत्म प्राय: हो रही हैं।

पाली के पास बांडी नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी है। अभी अजमेर के नाग पहाड़ से लूणी नदी बहती थी,अब वह सिर्फ बरसात में नजर आती है। हिमाचल प्रदेश से निकल कर राजस्थान होकर कच्छ में जाकर समाप्त हो जाने वालीं सरस्वती नदी जमीन के नीचे से निकल रही है, लेकिन नजर नहीं आती, जानकारों का मानना है कि सरस्वती नदी इतना बड़ा जल प्रपात है कि अगर उसका उपयोग किया जाए तो राजस्थान से पानी का संकट हमेशा के लिए खत्म हो सकता है। देश की राजनीति की यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि भारत के इस पानीं का उपयोग पाकिस्तान कर रहा है। अटल बिहारी वाजपेई सरकार के समय वाजपेयी ने इस मुद्दे पर कई बार सहयोग मांगा, लेकिन उन्हें नहीं मिला, और यह योजना धरी रह गई। कब हालात इतने विकट हैं कि राजस्थान, एम पी, गुजरात की 450 नदियां गायब हो गई हैं।

जल पुरुष नाम से मशहूर ओर मेगसेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द्र सिंह के अनुसार दस साल पहले देश में 15,000 नदियां थीं, अब उनमें से 30 प्रतिशत सूख गई हैं। काश, सरकार नल योजना की जगह जल संसाधन योजना बनाए तो इस समस्या का नादान सहज हो सकता है। उल्लेखनीय है कि देश में पिछले दस सालों में 30 प्रतिशत नदियां सूख चुकी हैं और पिछले 70 सालों में 30 लाख में से 20 लाख झीलें, पोखर, तालाब ओर कुएं सूख चुके हैं। अब वह विकराल समय ज्यादा दूर नहीं जब पानीं के लिए खून बहना शुरू हो जाएगा।

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