* कुछ को लत ले डूबी, कुछ दल्ले बन गए
अशोक शर्मा, पत्रकार, अजमेर
ज्यादा होशियारी कभी न कभी ले डूबती है, दिल्ली के कुछ पत्रकारों के साथ भी यही हुआ। हमारे राजस्थान के तथाकथित संत आसाराम बापू को लपेटने के चक्कर में एक नाबालिग लड़की का एमएमएस बनाकर ये पत्रकार बापू समेत उसे और उसके परिवार को बदनाम करने की फिराक में थे, लेकिन मामला पुलिस तक होते हुए कोर्ट पहुंच गया, और समाज के चौथे स्तम्भ के ये शरीफजादे पत्रकार फंस गए। आश्चर्य इस बात का कि ये कोई हल्के-फुल्के पत्रकार नहीं, बल्कि नामी-गिरामी चैनलों से जुड़े हुए लोग हैंं। मामला का गुरुग्राम का है, जहां आरोप है कि इन लोगों ने वीडियो से छेड़छाड़ कर झूठी खबर दिखा दी। कोर्ट ने पाक्सो एक्ट के तहत 8 पत्रकारों को समन जारी कर दिया।
इनमें न्यूज नेशन चैनल के एडिटर दीपक चौरसिया, आज तक चैनल की सीनियर ऐंकर चित्रा त्रिपाठी, फ्री लॉस जर्नलिस्ट अजीत अंजूम, इंडिया न्यूज के सीनियर ऐंकर राशिद, रिपब्लिक भारत चैनल के सैयद सोहेल, निमार्ता अभिनव राज और ललित सिंह को कोर्ट ने पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट पर संज्ञान लेने के बाद समन जारी किया। इन सभी के खिलाफ गुरुग्राम के पालमपुर थाने में धारा 469, 471, 180, 120 बी भारतीय दंड संहिता 67 बी आईटी एक्ट 13 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। मामले ने तूल तब पकडा जब आदेश के बावजूद इन आठ में से छ आरोपी तो पेश हो गए, लेकिन दो नहीं हुए।
एक दीपक चौरसिया जिन्होंने बीमारी का हवाला दे दिया और दूसरी पत्रकार चित्रा त्रिपाठी विदेश यात्रा का हवाला देकर पेश नहीं हुए। पीडित पक्ष के वकील धर्मेन्द्र मिश्रा ने इस पर कडी आपत्ति दर्ज करा दी। मुद्दा यह था कि दीपक पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग लड़की और उसके परिवार के वीडियो को स्व घोषित बाबा आसाराम बापू के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले से जोड कर दिखाया, जिस पर लडकी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी कि यह वीडियो गलत तरीके से एडिट करके दिखाया है। बस पुलिस पड गई इन सब के पीछे। मामला भी दर्ज कर लिया।
अदालत ने दीपक को हाजिर होने के आदेश दिए, लेकिन दीपक नहीं हुआ। उसने शुगर की तकलीफ बता दी। दूसरी बार भी दीपक ने ऐसा ही किया, तब गुरुग्राम की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शशि चौहान ने दीपक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिये। अदालत का कहना था कि आरोपी जानबूझ कर कोर्ट में पेश नहीं हो रहा है, अत: छूट का कोई आधार नहीं बनता। कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी करने के साथ ही दीपक के जमानतदार को भी नोटिस थमा दिया। कई न्यूज चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए ऐसे कई हथकंडे अपनाते हैं और इसी तरह कभी न कभी धर लिये जाते हैं, जैसे कि ये धर लिये गए। जो ये फंस गए, अब मामले से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रहे हैंं, पर मिल नहीं रहा।
एक टीआरपी ही नही, ये हथकंडे किसी भी पार्टी को ब्लेकमेल करने का भी जरिया बन गया है, जिसका ऐसे कई पत्रकार जम कर इस्तेमाल कर रहे हैंं। न केवल इलेक्ट्रानिक मीडिया बल्कि प्रिंट मीडिया के बाद अब कुछ ब्लॉग लिखने वाले भी इसी तरह का धंधा कर रहे हैंं। किसी नेता, पार्टी, सामाजिक कार्यक्रम यहां तक कि स्कूलों के गुणगान के पुल बांधने की एवज में अपना “रोज का प्रबंध” बडे मजे से कर रहे हैंं। पहले जिन अखबारों में थे तब भी यही कर रहे थे, वहां से इन्हीं आदतों के कारण निकाल दिये जाने के बाद यही कर्म अब इस तरह बादस्तूर जारी है। मैं ही नही इस शहर के कई लोग तथा पुलिस भी बखूबी जानती है कि ये लोग किसी कॉलगर्ल की दलाली मिले तो वह भी मजे से झपट लें। अभी शहर में राजनीतिज्ञों में जूतमपैजार चल रही है और ब्लेकमेल कांड की एक वैब सीरीज को लेकर भी बाजार गर्म है, ये लोग इसी में अपनी-अपनी खुरचन ढूंढ रहे हैं, खा रहे हैंं और चल रहे हैंं। शुक्र है कि नारद (धरती के पहले पत्रकार) के दौर में लेन-देन का यह चलन नहीं था, अन्यथा वे लक्ष्मी और कुबेर से ज्यादा धनवान होते।