‘घर का आधा सामान तो वहीं छोड़ आए, पता नहीं इस तूफान के बाद क्या बचेगा और क्या मिलेगा’
गुजरात के चक्रवात प्रभावित इलाके के लोगों से बात की। भावुक होकर लोगों ने कहा आंखों के सामने सब बर्बाद होने को छोड़ आए। लोगों में विपरजॉय का डर ऐसा कि दुकानों से लेकर यातायात तक सब ठप्प है।
हवाओं का शोर इतना ज्यादा है कि कच्छ के हरिमन भाई की आवाज को सुन पाना बहुत मुश्किल हो रहा था। फोन में नेटवर्क की इतनी समस्या थी कि बात नहीं हो पा रही थी। रह-रह कर हो रही बारिश से बचते हुए जैसे तैसे पश्चिमी कच्छ के नखतारा तालुका के सुथरी गांव के रहने वाले हरिमन भाई रबरिया ने अमर उजाला डॉट कॉम से समुद्री चक्रवाती तूफान बिपरजोय के आने से पहले विस्थापित किए जाने के दौरान बातचीत की।
हरिमन भाई कहते हैं कि हमें नहीं पता कि अब हमारी जिंदगी दोबारा कैसे बस पाएगी। अपने पुरखों की जमीन छोड़कर हम लोग उस जगह पर आ गए हैं, जहां पर कभी आना ही नहीं हुआ। अपना घर-बार धंधा-पानी सब छोड़कर इस उम्मीद से कच्छ के भिंडयारा पहुंचे हैं कि शायद हालात सामान्य होने के बाद हम लोग वापस अपने गांव अपने घर पहुंच सकें। भावुक होते हुए कहते हैं कि अपने घर से जो सामान ला सकते थे उतना लाए हैं बाकी सब वहीं छोड़ आए हैं। गुरुवार शाम को समुद्री तट से टकराने वाले बिपरजॉय को लेकर गुजरात के कई इलाकों में रहने वालों से अमर उजाला डॉट कॉम ने फोन पर बातचीत की।
आंखों के सामने घर और गृहस्थी को बर्बाद करने के लिए छोड़ आए
अमर उजाला डॉट कॉम से फोन पर बात करते हुए पश्चिमी कच्छ के नखतारा तहसील के सुथरी गांव में रहने वालों को कुछ समय पहले ही वहां से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर भिंडयारा कस्बे में पहुंचा दिया गया। अपने परिवार के साथ भिंडयारा पहुंचे हरिमन भाई कहते हैं कि वह अपने पूरे परिवार के साथ यहां आ हो चुके हैं। वह कहते हैं कि वह बेरा गांव में मछलियों की दुकान करते थे फिर इसी गांव में बस गए थे। 51 साल के हरीमन बताते हैं कि समुद्री इलाकों में ऐसे तूफान तो आए, लेकिन जितना डर बिपरजॉय को लेकर बना हुआ है वैसा आज तक कभी दिखा ही नहीं। वह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि अब वह वापस अपने घर कब पहुंच पाएंगे। अगर पहुंचेंगे भी तो उनके पुरखों का बनाया हुआ घर बचा भी होगा या समुंदर की लहरों ने लील लिया होगा। जिस तरह से इस समुद्री तूफान को लेकर उनके दिल में डर घर कर गया है वह तो अब दोबारा उन इलाकों में जाकर बसने के बारे में भी कई बार सोचेंगे। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि अपने पुरखों की जमीनों को कोई भला ऐसे कैसे छोड़ दे। भावुक होते हुए वो कहते हैं कि अपनी आंखों के सामने अपने घर की बसी बसाई गृहस्ती को बर्बाद करने के लिए छोड़ आए हैं।