* पहले आस्ट्रेलिया में, अब अमेरिका में! कहीं न कहीं यह साजिश है
अशोक शर्मा, पत्रकार, अजमेर
भारत के पीएम मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका के दौरे पर हैं, पीएम मोदी 2014 से लेकर अब तक सात बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैंं। सुना है कि वहां उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाएगी, यह भी सुना है कि वहां के एक रेस्टोरेंट के शेफ श्रीपाद कुलकर्णी ने मोदी जी के गुणगान में “मोदी जी थाली “तैयार की है जो वे न्यूजर्सी में मोदी जी को भेंट करेंगे। अच्छी बात है, लेकिन इसके ठीक एक दिन पहले अर्थात 20 जून को अमेरिका में बीबीसी की “इंडिया द मोदी कनेक्शन ” डाक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई जाएगी।यह गलत है। ठीक इसी मौके पर यह डाक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी, क्यों? वजह समझ में नही आई। पीएम के दौरे के ठीक एक दिन पहले दिखाने का मकसद क्या है? इस पर देश में चर्चा और विवाद दोनों शुरू हो गए हैंं।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसकी घोषणा की है। ये दोनों अमेरिका के मानवाधिकार संगठन हैंं। इन्हें वहां की सरकार ने ऐसा कुछ भी नही करने के निर्देश भी नही दिये, लेकिन दोनों संगठनों का कहना है कि यह डाक्यूमेंट्री वाशिंग्टन में दिखाई जाएगी, उन्होंने इसकी वजह यह बताई है कि ताकि याद दिलाया जा सके कि इस डाक्यूमेंट्री को भारत में बैन कर दिया गया था। दोनों संगठनों की यह दलील गले नहीं उतरती। फिलहाल 20 जून को डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग में अमेरिका के सांसदों, पत्रकारों तथा विश्लेषकों को आमंत्रित किया गया है। तय रूप से यह प्री-प्लान है, लेकिन क्यों? यह फिलहाल अंधेरे में है।
यह बात तो समूचा विश्व जान चुका है कि इस डाक्यूमेंट्री में बीबीसी ने मोदी को गुजरात दंगों से जोड कर दिखाया है। पिछले महिने पीएम मोदी जब आस्ट्रेलिया गए थे, तब भी ठीक ऐसा ही हुआ। वहां भी ऐसे ही बीबीसी डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई थी, वह भी आस्ट्रेलिया की संसद में। मतलब कि आस्ट्रेलिया सरकार ने इसे अधिकारिक रूप से दिखाया। जो भी हो यह ठीक नही है। किसी भी देश के पीएम के दौरे के ठीक पहले यूं डाक्यूमेंट्री को दिखाया जाना कहीं न कहीं राजनीतिक चालाकियां हैंं। पिछले महिने ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें भारत में हो रही धार्मिक हिंसा पर निशाना साधा था। रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की बीस से अधिक घटनाओं का जिक्र किया। अमेरिका का कहना है कि भारत इन घटनाओं की निन्दा करे, लेकिन भारत ने अमेरिका की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया।
अत: अब इस तरह फिल्म को दिखाया जाना भारत का सम्मान तो कत्तई नहीं हो सकता।यहां साफ लगता है कि अमेरिका सरकार और वहां के इन दोनों संगठनों के बीच कहीं न कहीं गडबडझाला है।बीबीसी की इस डाक्यूमेंट्री को भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रोपोगेंडा करार दिया था। सुप्रीमकोर्ट ने भी मोदी और 63 लोगों को क्लीन चिट दे दी थी। इस पूरे प्रकरण पर सबसे अच्छे विचार एक मात्र शशि थरूर ने व्यक्त किये थे कि भारत को अब इस त्रासदी से आगे बढना चाहिए। समझदारी और यथार्थ यही है। देश के बंटवारे के समय क्या कुछ नही हुआ, श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या के समय भी देश में किस कदर खून-खराबा हुआ, आखिर कब तक उसे लिए बैठे रहते, आगे बढने के लिए एक कदम पीछे छोडना पडता है। यही नियति है। पुराने मामलों को लेकर कब तक चलते रहेंगे, कहां तक चलते रहेंगे, ऐसे में हम और देश वर्तमान तथा भविष्य दोनों खो देंगे। यद्यपि इस बात से इन्कार नही किया जा सकता है कि आस्ट्रेलिया में जो हुआ, और अमेरिका में जो होने जा रहा है, वह किसी न किसी साजिश की रूपरेखा है।