बड़े-बड़े नेताओं पर ये कथावाचक और बाबा भारी पड़ रहे हैं। इनके एक कार्यक्रम में औसतन दो लाख लोग जुट रहे हैं। नेता इन कथा और दिव्य दरबार का कार्यक्रम तय कराने के लिए परेशान घूम रहे है।
साल के अंत में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश के सभी कथावाचकों और बाबाओं के कैलेंडर अभी से बुक हो गए हैं। आलम यह है कि चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस, हर कोई इनकी कथा का भव्य आयोजन करवाने में लगा हुआ है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री हों या पंडित प्रदीप मिश्रा या फिर पंडोखर सरकार हों या जया किशोरी। इन दिनों कोई भी कथावाचक खाली नहीं है। मध्यप्रदेश ही नहीं पड़ोसी चुनावी राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इन कथावाचकों की धूम मची हुई है।
कथावाचक और बाबा भारी पड़ रहे हैं। इनके एक कार्यक्रम में औसतन दो लाख लोग जुट रहे हैं। नेता इन कथा और दिव्य दरबार का कार्यक्रम तय कराने के लिए परेशान घूम रहे हैं। वहीं जिन्हें कथा का समय मिल गया, वह करोड़ों रुपये लगाकर इनके भव्य आयोजन की तैयारियों में जुट गया है। प्रदेश में बीते 6 महीने में 500 से अधिक धार्मिक कथाओं का आयोजन हो चुका है। इनमें से अधिकांश कथाएं नेताओं द्वारा आयोजित कराई गई हैं।