कांग्रेस और वामपंथियों को पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र खतरे में नजर नहीं आता
देश के करीब 12 राज्यों में गैर भाजपा दलों की सरकार हैं और 545 लोकसभा के सांसदों में से करीब 200 सांसद भाजपा विरोधी हैं, लेकिन फिर भी कांग्रेस वामपंथी और अन्य दलों को देश में लोकतंत्र खतरे में नजर आता है। राहुल गांधी का तो विदेशों में कहना है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए लोकतंत्र खत्म हो रहा है। आपराधिक कृत्य में संसद सदस्यता चले जाने के बाद राहुल गांधी को लगता है कि भारत में लोकतंत्र नहीं है। लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र खतरे में नजर नहीं आता है।
बंगाल में इन दिनों पंचायती राज के चुनाव हो रहे हैं। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रयास है कि नामांकन उन्हीं की पार्टी के उम्मीदवारों का हो। अन्य राजनीतिक दलों को डराने के लिए गोलियां और बमों का इस्तेमाल हो रहा है। बंगाल में चारों तरफ हिंसा का माहौल है। जब नामांकन नहीं करने दिया जा रहा तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी की एकतरफा जीत होगी ही। लेकिन कांग्रेस सहित विपक्षी दल बंगाल की हिंसा का विरोध नहीं कर रहा है। अब बंगाल हाईकोर्ट ने पंचायती राज चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिए हैं। जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम और जस्टिस हिरनम भट्टाचार्य की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य पुलिस की संख्या को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात किए जाएं।
हाईकोर्ट के आदेश से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बंगाल पुलिस किस की नौकरी कर रही है। यदि पुलिस निष्पक्ष होती तो हाईकोर्ट को केंद्रीय बलों को आदेश नहीं देने पड़ते। ममता बनर्जी बंगाल में अन्य दलों के उम्मीदवारों के नामांकन तक नहीं भरने दे रही है। वहीं पीएम मोदी पर लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगा रही है। ममता ने बंगाल से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है। बंगाल में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है, लेकिन फिर भी बंगाल की हिंसा पर राहुल गांधी चुप है। राहुल को लगता है कि उन्हें प्रधानमंत्री बनाने में ममता बनर्जी सहयोग करेंगी। बंगाल के पंचायती राज चुनाव में वही हो रहा है जो ममता बनर्जी चाहती है। मीडिया भी बंगाल की हिंसा पर चुप है। मीडिया चैनलों पर राहुल गांधी और ममता के मोदी विरोधी बयानों को प्रमुखता से दिखाया जाता है लेकिन बंगाल की चुनावी हिंसा पर कवरेज नहीं होता है।
एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल