कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी इन दिनों इंग्लैंड के दौरे पर हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कैम्पस से लेकर राष्ट्रीय असेंबली तक में राहुल अपने विचार रख रहे हैं। जिस इंग्लैंड ने बंदूक की नोक पर भारत में दौ सौ वर्षों तक शासन किया, उस इंग्लैंड में राहुल गांधी का कहना है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। राहुल को लगता है कि संविधान संस्थाएं दबाव में काम कर रही हैं।
विदेशी धरती पर राहुल के बयान अपनी जगह है, लेकिन 9 मार्च को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने अहमदाबाद में एक लाख दर्शकों के साथ ऑस्ट्रेलिया और भारतीय क्रिकेट टीम का मैच देखा। एंथनी के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। मोदी-एंथनी से पहले क्रिकेट स्टेडियम का चक्कर लगाया और मैदान पर अपने अपने देश की टीम के साथ खड़े होकर राष्ट्रीय गीत गाया।
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति से पूरा स्टेडियम उत्साहित था। सवाल उठता है कि यदि देश में लोकतंत्र खतरे में होता तो क्या ऑस्ट्रेलिया के पीएम के सामने इतना बड़ा सार्वजनिक समारोह हो सकता था? विदेशी मेहमान के सामने ऐसे समारोह तभी हो सकते हैं, जब देश में मजबूत लोकतंत्र हो। ऑस्ट्रेलिया भी एक लोकतांत्रिक देश है। जिस प्रकार भारत में सभी विपक्षी दल एक होने के बाद भी मोदी और उनकी भाजपा को हरा नहीं पा रहे हैं, उसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया में भी प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज के विरुद्ध सभी विपक्षी एकजुट है।
लेकिन फिर भी एंथोनी अल्बानीज को हरा नहीं पा रहे हैं। दो लोकतांत्रिक देशों के प्रधानमंत्री जब संयुक्त रूप से क्रिकेट मैच देख रहे हों, तब भारत में लोकतंत्र कैसे खतरे में है, यह राहुल गांधी ही बता सकते हैं। भारत में संघीय व्यवस्था है, जिसमें राज्यों को विशेषाधिकार प्राप्त है। सीमा सुरक्षा को छोड़कर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शासन चलाने के सभी अधिकार है। खुद राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी की तीन राज्यों में सरकारें हैं तथा 10 अन्य राज्यों में भी विपक्षी दलों की सरकारें हैं। जब इतने राज्यों में विपक्ष की सरकारें हो, तब लोकतंत्र खतरे में कैसे हो सकता है।
545 लोकसभा सीटों में से 190 सीटें विपक्षी दलों के पास है। राहुल गांधी खुद सांसद हैं और संसद में बोलने का पूरा अधिकार है। लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद प्रतिपक्ष के नेता हैं। संवैधानिक संस्थाओं के मुखिया की नियुक्ति प्रतिपक्ष के नेता की सहमति से होती है। यह बात अलग है कि चुनाव में राहुल और कांग्रेस पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है। मई 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं।
देश का माहौल एक बार नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री बनाने का नजर आ रहा है। यदि मोदी के नेतृत्व में भाजपा की जीत होगी तो यह लगातार तीसरा अवसर होगा, जब मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे। यही वजह है कि इन दिनों राहुल गांधी को लोकतंत्र में कुछ ज्यादा ही खतरे में नजर आ रहा है।