क्या राज्य के किसी भी शहर या गाँव में इस कानून का पालन हो रहा है?
क्या प्रशासन! राजनेता!पत्रकार! व्यापारी! या प्रबुद्ध वर्ग ! इस कानून को लागू करने में सहायक है?
राजस्थान में कोपटा कानून वर्ष 2003 में लागू हो गया था …मगर इस कानून की अनुपालना आज तक पूरी तरह से नहीं हो पाई है। सच तो यह है कि इस कानून के बारे में, आम लोगों की बात तो छोड़िए, प्रशासनिक अधिकारी भी शायद ही कुछ जानते हों।
मेरा दावा है कि कोपटा कानून क्या है? यदि आप उच्च ओहदों पर बैठे अधिकारियों से सवाल करें तो शायद ही कोई ज्ञानी जवाब दे सके। राजनेताओं से पूछना ही व्यर्थ है क्योंकि उन्होंने इस कानून को अपने क्षेत्र में लागू करवाने की बात कभी सोची ही नहीं होगी।
दोस्तों कोटपा कानून हर शहर में लागू है। तंबाकू उत्पादों को खुलेआम बेचे जाने के विरोध में बनाए गए इस कानून को लेकर जागृति कि बेहद जरूरत है।
मेरा राज्य के सभी जिला कलेक्टरों से आग्रह है कि वह संबंधित विभाग के अधिकारियों को कड़े आदेश जारी कर इस कानून को लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने के निर्देश दें।
राज्य में विकराल होते जा रहे कैंसर को रोकने की दिशा में “कोटपा “सबसे अहम कानून है जो बन तो गया, मगर 2003 से अब तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाया।
यह कानून यदि लागू हो जाता तो फिल्म के खलनायक “कटिअप्पा” से ज्यादा लोकप्रिय हो जाता।
राजस्थान में इस कानून को लागू करने की नितांत जरुरत है। इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर जिले के प्रशासन को सार्वजनिक तौर पर कानून की धाराओं के सार्वजनिक स्थानों पर स्लोगन लगाए जाने चाहिए, ताकि कानून की पालना के लिए जनता में जागरूकता पैदा हो।
मित्रों! आज मैं जनहित से जुड़े इस कानून से आपको रूबरू करवाना अपना नैतिक दायित्व समझता हूँ। उम्मीद है आप आज के इस ब्लॉग को आम जनता तक पहुंचाने में मेरी मदद करेंगे! सोशल मीडिया पर इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि आम जनता तक मेरी चिंता पहुंच सकें।
इस कानून के तहत राज्य में कोई भी दुकानदार तंबाकू उत्पादों का अपने संस्थान पर सार्वजनिक दिखावा नहीं कर सकता। जिस तरह दुकानों पर तार खींचकर उस पर तंबाकू के पाउच टांग कर प्रदर्शन किया जाता है वह गैरकानूनी है। कोटपा कानून के तहत यदि ऐसे दुकानदारों पर प्रशासन कार्रवाई करें तो उन्हें जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
इस कानून के तहत 18 साल की उम्र से कम किसी भी बच्चे को तंबाकू उत्पाद नहीं बेचा जा सकता मगर दुकानों पर छोटे-छोटे बच्चे अपने लिए न भी सही अपने अभिभावकों के लिए तंबाकू के गुटके खरीदते देखे जा सकते हैं। बीड़ी सिगरेट ले जाते देखे जा सकते हैं। शायद ही कोई दुकानदार इस कानून की पालन करता हो।
अभिभावक या माता-पिता बिना कानून को समझे अपने बच्चों को बीड़ी सिगरेट तंबाकू लेने दुकानों पर भेज देते हैं और दुकानदार भी बिना रोक-टोक उन्हें दे देते हैं।
कोटपा कानून के तहत किसी भी शिक्षण संस्थान के 100 गज की दूरी पर कोई दुकानदार तंबाकू उत्पाद नहीं बेच सकता मगर मेरा दावा है कि राजस्थान के सभी स्कूलों के पास यह कानून लागू नहीं होता। स्कूल का स्टाफ ही अपने बच्चों से बीड़ी सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद चपरासी या बच्चों से मंगवा लेता है। जरा आसपास देखिए कि कहां यह कानून लागू हो रहा है?
कानून तो यह है कि किसी भी दुकान पर माचिस, लाइटर या ऐस्ट्रे नहीं रखी जानी चाहिए जबकि लगभग सभी दुकानों पर जो बीड़ी सिगरेट और तंबाकू बेचते हैं पीने वालों को यह सुविधा निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।
कानून के तहत किसी भी डेयरी बूथ पर तंबाकू उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं होने चाहिए मगर कभी डेयरी प्रशासन ने इस कानून की पालना सख़्ती के साथ नहीं करवाई। यही वजह है कि अगर डेयरी बूथों पर अचानक छापेमारी की जाए तो अधिकांश डेयरी बूथों पर प्रतिबंधित सामान बेचते पकड़ा जा सकता है।
शहर में कहीं भी तंबाकू उत्पादों या गुटकों के सार्वजनिक तौर पर विज्ञापन प्रदर्शित नहीं किए जा सकते मगर तंबाकू के नाम छुपा कर तरह-तरह से पान मसालों के विज्ञापन बाजारों में लगे दिखाई दे सकते हैं।
कानून है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कहीं भी कोई पोस्टर नहीं लगाया जाना चाहिए मगर इस कानून की धज्जियां हर शहर हर गांव में उड़ाई जा रही हैं।
मेरा राज्य के सभी संभागीय आयुक्तों से आग्रह है कि वह अपने अपने संभाग में इस कानून की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, कॉलेज शिक्षा के निदेशकों, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों सहित एनटीपीसी के जिला सलाहकारों को कार्रवाई के लिए निर्देशित करें।
यह भी प्रावधान है कि हर महीने की आखरी तारीख को तंबाकू दिवस मनाया जाए। मगर कहां मनाया जाता है यह तंबाकू दिवस? यदि इस कानून की पालना इमानदारी से की जाए तो तंबाकू उत्पादों से हो रही सामाजिक हानि पर ब्रेक लग सकता है।
मेरा आम लोगों से भी आग्रह है कि आप अपने आसपास जहां भी इस कानून की अवहेलना होती देखें तो तुरंत प्रशासन को शिकायत करें। यदि प्रशासन तक पहुंचना मुश्किल हो तो ऐसी जानकारियां सोशल मीडिया पर ही उपलब्ध कराएं ताकि प्रशासन का ध्यान उस ओर जा सके! मुझे उम्मीद है मेरे इस सकारात्मक ब्लॉग पर प्रशासन! राजनेता ! व्यापारी वर्ग छात्र नेता! और आम सामान्य वर्ग भी ध्यान देगा।