यूजर्स चार्ज बनाम गांठ मान झौपड़ी नाम तारागढ़

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बधाई व्यापारियों !

बधाई इलायची बाई की गद्दी के आशीर्वाद से चार्ज फिलहाल हुआ डिस्चार्ज इतना बड़ा काम इतनी आसानी से हो गया.. वाह वाह वाह
बिजली, पानी, गंदगी, सड़कों की बदहाली पर भी क्या कभी जन-आंदोलन होंगे कांग्रेस और भाजपा के नेता एक होंगे
यूजर्ज चार्ज की तरह जनता की “वेदना” से आखिर कब जुड़ेगी शहर की “संवेदना”

किसी शायर ने लिखा “बहुत सुना था नाम पहलू में दिल का, देखा तो कतरा खूं भी ना निकला”।

इसी शेर को अजमेर के संदर्भ में जोड़कर कहा जाए तो एक जुमला और भी है। बहुत प्रचलित तो है लोकप्रिय भी। लेकिन इसे अश्लील कहा जाता है।गांठ मान झोपड़ी नाम तारागढ़। यही बात यदि मुहावरे में कही जाए तो “खोदा पहाड़। निकली चुहिया” होगा।

“यूजर्स टैक्स” के संदर्भ में यह सारी बातें इन्हीं सब के इर्द-गिर्द घूमी और सिद्ध हुईं।

नगर निगम की साधारण सभा ने फिलहाल व्यापारियों से लिया जाने वाला “यूजर्स टैक्स” आयुक्त की असहमति के साथ स्थगित कर दिया है। यह वहीं चार्ज है जिसे लेकर अजमेर की बैटरी फुल थ्रू चार्ज हो रखी थी। पूरा अजमेर शहर आंदोलित था। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के सभी छोटे बड़े नेता इस चार्ज के विरोध में सर से पैर तक (बिना किसी हिस्से में ब्रेक लगाए) शोर मचा रहे थे।

व्यापारियों ने इस यूजर्स टैक्स के विरोध में अजमेर बंद का सफल आयोजन किया।

राजस्थान के प्रभारी मंत्री मालवीय जी के आगे अनुनय विनय की। मुख्यमंत्री के खास राठौड़ बाबा से आग्रह किया। पूर्व मंत्री डॉ रघु शर्मा से निवेदन। सांसद भागीरथ चौधरी। विधायक वासुदेव देवनानी। अनिता भदेल। श्रीगोपाल बाहेती। महेंद्र सिंह रलावता। सभी ने जमकर हाय तौबा मचाई। व्यापार महासंघ ने सोशल मीडिया। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अपने बयानों से मुद्दे को जीवंत रखा। एक बार को तो ऐसा लगा जैसे यदि यह कर नहीं हटाया गया तो अजमेर की सरजमीन जोशी मठ बन जाएगी।

मुझे खुशी है कि व्यापारियों के आसमानी प्रयास। नगर निगम ने एक झटके में परिणाम तक पहुंचा दिए। निगम की आमसभा में बाकी सारे मुद्दे औपचारिकता बनकर रह गए। ऐसा नहीं कि अजमेर अन्य समस्याओं से ग्रस्त नहीं था। समस्याओं के कई कोरोना वेरिएंट। कैंसर और एचआईवी। शहर में मौजूद थे। नगर निगम ने उन पर विचार करना उचित नहीं समझा।

….मगर दोनों विधायक। सांसद। सारे पार्षद और निगम प्रशासन। यूजर्स चार्ज को निपटाने में ही लगे रहे। चलो कम से कम वह तो फिलहाल स्थगित हो गया है। आगे क्या होगा समय निर्धारित करेगा। क्यूंकि आयुक्त ने नगर पालिका एक्ट का हवाला देते हुए इस पर नोट आॅफ डिसेंट लगा दिया है। उनके अनुसार ये चार्ज निगम स्तर पर समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसे खत्म करने का अधिकार राज्य सरकार को ही है।

दोस्तों व्यापारियों, जन प्रतिनिधियों और अन्य संगठनों ने जो प्रयास किए उनको मैं नमन करता हूँ। सामूहिक इच्छाशक्ति के बिना यह स्थगित होना संभव नहीं था। यह भी सही है कि इस मुद्दे पर शहर के जनप्रतिनिधियों ने बिना राजनीतिक विद्वेषता के एकजुटता दिखाई। कांग्रेस और भाजपा इस मुद्दे पर एक नजर आई।

सवाल यह उठता है कि शहर की अन्य समस्याओं के लिए शहर के व्यापारियों। सामाजिक व राजनीतिक संगठनों। और सियासती जनप्रतिनिधियों को क्या हो जाता है?

यदि एक टैक्स को खत्म करने के लिए यदि अजमेर बंद किया जा सकता है। यदि कांग्रेस और भाजपा एकजुट हो सकती है। तो शहर की बाकी समस्याओं के लिए यह एकजुट क्यों नहीं होती।? व्यापारी इस स्तर पर संघठित क्यों नहीं होते?

मित्रों एक भी सामाजिक आंदोलन किसी अन्य मुद्दे पर हुआ हो तो मुझे आप बता दें?

आनासागर को बर्बाद किया जाता रहा। स्मार्ट सिटी के नाम पर अजमेर में जो हरामी लोगों ने नग्न नृत्य किया। जो शहर की मिट्टी उड़ाई गई। उस पर तो किसी ने ऐसा आंदोलन नहीं किया।

बिजली, पानी, सड़कों की दुर्दशा को लेकर अजमेर बंद क्यों नहीं हुए? क्यों नहीं सांसद, विधायकों और पार्षदों ने मिलकर इन समस्याओं पर हंगामा खड़ा किया? यूजर चार्ज यदि अजमेर के व्यापारियों के साथ नाइंसाफी थी तो शहर की बाकी समस्याओं के लिए आप क्या कहेंगे? क्या आम आदमी की वेदना के लिए किसी की भी कोई संवेदना नहीं?

शहर नारकीय गंदगी में सांस ले रहा है। क्या यह समस्या यूजर चार्ज की तुलना में कोई अर्थ नहीं रखती? आनासागर के नो कंस्ट्रक्शन जोन में जहां भू माफियाओं ने जमकर अतिक्रमण किया? अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गई? उसे फिर से निर्धारित करने की बात क्या पार्षदों ने नगर निगम की आमसभा में उठाई।

कमाल की बात है कि अवैध निर्माणों को वैध करार देने के लिए इस शहर के कुछ हरामियों की फौज। नेताओं का इस्तेमाल कर रही है …और शहर के नागरिकों, व्यापारियों, नेताओं के कलेजे पर जूं तक नहीं रेंग रही। कोई व्यापारी संगठन। कोई जनप्रतिनिधि, कोई सांसद, विधायक, पार्षद कोई प्रबुद्ध वर्ग इसके लिए खड़ा क्यों नहीं हो रहा?

दोस्तों जरा अपनी अंतरात्मा को पहचानें। ललकारें। क्या हम सिर्फ़ और सिर्फ़। ढोंगी स्वार्थी और नपुंसक तो नहीं होते जा रहे।

मेरा सभी से आग्रह है कि शहरवासी यूजर चार्ज को लेकर जितने मुखर हुए, उतने शहर की अन्य समस्याओं के लिए भी संगठन दिखाएं।

यदि ऐसा नहीं हुआ तो वक्त यही कहेगा कि अजमेर वाकई इलायची बाई का शहर है।

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