अजमेर में 21 लाख के 2 करोड़ करने का झांसा देकर ठगी

0
(0)

गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक टीचर को कम समय में अधिक पैसे कमाने का झांसा देकर 21 लाख 53 हजार रुपए की ठगी हांगकांग के आनलाइन ठग गिरोह ने की। यह राशि राजस्थान के चार लोगों के खातों में जमा हुई और इसमें से दो अजमेर जिले के रहने वाले थे। छत्तीसगढ़ पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। साइबर एक्सपर्ट प्रभाकर तिवारी ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि अजमेर के दोनों आरोपी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे और खातों में जमा होने वाली राशि लौटाने की ऐवज में कमीशन मिलता था।

पकड़े गए आरोपियों में राजस्थान के भिनाय के राजकुमार उर्फ राजू सिंधी (38) पिता कन्हैयालाल सिंधी, राजस्थान के भिनाय निवासी हेमराज बैरवा (25) पिता राजकुमार बैरवा, राजस्थान के पाली थाना क्षेत्र के राहुल सुथार (19) पिता दिनेश सुथार और राजस्थान के लंबारे निवासी दीपेश वैष्णव उर्फ दीपू (19) पिता गोविंदादास शामिल हैं। इस गिरोह के सदस्यों से एक लाख 97 हजार रुपए, आधा दर्जन एटीएम कार्ड, पेटीएम कार्ड, चेकबुक, लैपटॉप, मोबाइल जब्त किया गया है। इसके सरगना दिल्ली में बैठते हैं।

इस मामले से जुड़े दो आरोपी जितेन्द्र तेजवानी निवासी राजस्थान, पंकज निवासी दिल्ली की पहचान हुई है, जिनकी तलाश की जा रही है। जांच में पता चला है कि सरगना गिरोह के सदस्यों को बतौर एजेंट रखते थे और उन्हें कमीशन देते थे। ठगी की रकम को सरगना अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लेते थे। फरार आरोपियों के पकड़े जाने के बाद इसके हांगकांग से जुड़े लोगों का नाम सामने आने की उम्मीद है। पूरा मामला तोरवा थाना क्षेत्र का है।

टीचर को भरोसा नहीं कि उनके साथ धोखा हुआ 


जब टीचर का बैंक अकाउंट खाली हो गया, तब उन्होंने अपने दो करोड़ रुपए ऐप के अकाउंट से निकालने की जानकारी ली। इस पर ठगों ने उन्हें दो करोड़ रुपए देने के लिए टैक्स व सर्विस शुल्क के रूप में 10 लाख रुपए जमा करने कहा। इसके बाद टीचर ने अपने कंपनी में पैसे फंसे होने और उसे वापस कराने के लिए पुलिस से मदद मांगी। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके पास कंपनी में जमा करने के लिए दस लाख रुपए नहीं है। पैसा होता तो उन्हें रकम मिल जाता। उनकी बातों को सुनकर पुलिस ने उनके साथ ठगी होने की जानकारी दी। साथ ही केस दर्ज कर ठगों की तलाश शुरू कर दी।

5 दिन लगाया कैम्प, तब पकड़ा गया गिरोह


प्रभारी हरविन्दर सिंह ने बताया कि मामला सामने आने के बाद तोरवा के तत्कालीन थाना प्रभारी फैजूल शाह के साथ टीम बनाकर जांच शुरू की। इस दौरान ठगी की रकम जिन खातों में गई थी, उनकी जानकारी जुटाई गई। तब उनके राजस्थान में होने की जानकारी मिली। तकनीकी जानकारी जुटाने के बाद दस सदस्यीय टीम तैयार कर राजस्थान भेजा गया, जहां टीम ने 5 दिन तक कैंप किया और फील्ड वर्क के आधार पर 4 स्लीपर सेल को पकड़ा।

साइबर एक्सपर्ट प्रभाकर तिवारी ने बताया कि, शिक्षक को झांसा देकर पहले उन्हें के 22 डॉट इन एप को डाउनलोड करवाया गया। इसके बाद उसमें उनकी आईडी और पासवर्ड जनरेट करवाया गया। जिसमें से उनके द्वारा पैसे इन्वेस्ट करवाए जाते रहे और वर्चुअल बोनस दिखाया जाता रहा, जो लाखों में होता था। जो बढ़कर बाद में दो करोंड़ के ऊपर पहुंच गया। लेकिन, उस पैसे को लेने के लिए फिर 10 लाख मांगकर टीचर को और चूना लगाने की तैयारी थी।

साइबर सेल के प्रयास से होल्ड हुए 21 लाख रुपए


टीचर ने जब इस पूरे केस की जानकारी पुलिस को दी, तब तोरवा के तत्कालीन थाना प्रभारी फैजूल शाह ने साइबर सेल की मदद से जांच शुरू की और करीब 21 लाख रुपए को तत्काल होल्ड करा दिया। ताकि, ठगी के शिकार टीचर को राहत मिल सके।

आॅनलाइन ही दिखते थे 2 करोड़, 5 प्रतिशत मांगा कमीशन 


एसआई प्रभाकर तिवारी ने बताया कि ठगों ने टीचर को पूरी तरह से भरोसे में ले लिया और उनसे किश्तों में पैसे जमा कराते रहे। उनकी जमा की गई रकम को शेयर मार्केट में लगाने और उनकी आईडी में जमा पैसे को उन्हें आॅनलाइन दिखाकर झांसा दिया जाता रहा। टीचर भी आॅनलाइन पैसे जमा होने का भरोसा करते रहे और प्राफिट मिलने के झांसे में आ गए। 21 लाख से अधिक रकम इन्वेस्ट करने के बाद उन्हें आॅनलाइन दो करोड़ रुपए प्रॉफिट नजर आ रहा था। लेकिन, जब दो करोड़ रुपए विड्राल करने का मन बनाया और ऐप में रिक्वेस्ट डालने के बाद उनसे 5 प्रतिशत कमीशन के रूप में 10 लाख रुपए की डिमांड की गई, तब भी उन्हें ठगी का अहसास नहीं था और टीचर पैसे की व्यवस्था करने में जुटे थे। पुलिस के पास पहुंचने पर उन्हें ठगी का पता चला।

सुदेश चंद्र शर्मा

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 0 / 5. वोटों की संख्या: 0

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment

सिंक्रोनाइज़ ...