- सुरेन्द्र चतुवेर्दी
मेरा आज का ब्लॉग सिर्फ पुरुषों के लिए है। पुरुष भी वो जो हर तरह से बालिग हों। महिलाओं से आग्रह है कि मेरा आज का ब्लॉग भूलकर भी ना पढ़ें। पढ़ें तो खुद की रिस्क पर पढ़ें। ऐसी बालिका जो “पोक्सो कानून” के अंतर्गत आती हैं वह तो इस ब्लॉग को कदापि ना पढ़ें।
हो सकता है मेरे कुछ पाठक यह सोच रहे हों कि मेरे इस ब्लॉग में किसी किस्म की वल्गैरिटी होगी या मैं किसी अश्लील या प्रतिबंधित विषय पर आपत्तिजनक भाषा में कुछ पेश करने जा रहा हूं मगर मित्रों मां की कसम ऐसा कुछ नहीं है।
मेरे इस ब्लॉग में ऐसा कुछ भी नहीं जो कभी किसी भी दृष्टि से असामाजिक या अश्लीलता के दायरे में आता हो। जो अपसंस्कृति का परिचायक हो! जिस पर उंगली उठाई जा सकें।
मेरा पूरा ब्लॉग संसदीय भाषा में, पूरी जिम्मेदारी से लिखा गया है। मेरे ढ़ाई लाख पाठकों से आग्रह है कि (आंकड़ों को चैलेंज न करें) पूर्व में महिलाओं को पढ़ने के लिए जो मनाही की गई वह क्यों थी? वह केवल आप सबकी उत्सुकता बढ़ाने के लिए थी। मार्केटिंग टैक्ट्स। आज के ब्लॉग को कोई भी पढ़ सकता है।
“मैं निर्भीक पत्रकार हूँ “यह कहना कल तक मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे लगता था जैसे कोई मेरा बाल बांका नहीं कर सकता। बाल बांका नहीं कर पाने का मतलब तो आप समझ रहे हैं ना? बाल …हां हां …वही बाल!
इसी मुहावरे के चक्कर में कल किसी ने मुझे धमका दिया। बोला धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कुछ भी लिखा तो तो ठीक नहीं होगा। मैंने कहा पर मैं तो निर्भीक हूँ। वह बोला “तुम्हारी निर्भीकता वहीं डाल दूंगा जहाँ से आई। मुझे तत्काल महसूस हो गया कि वहां कहाँ डाल देगा? वह डाल देगा वाला डायलॉग सभ्य भाषा में कह रहा था वरना कमीने लोग इस शब्द का इस्तेमाल घुसेड़ने जैसे घटिया शब्द से भी करते हैं। खंजर घुसेडने की तरह।
इससे पहले कि मेरे शरीर में मेरी निर्भीकता गांव की तरह प्रविष्ठ करवाई जाए मैं साफ कह रहा हूँ कि राठौड़ साहब के खिलाफ कुछ नहीं लिखूंगा।
हां दोस्तों! आज मैं जननायक धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ एक शब्द भी नहीं लिखूंगा। बल्कि उनकी शान में चार चांद लगाउंगा।
मुझसे मेरे मित्र ने कहा कि “आरटीडीसी” का अर्थ “राजपूताना ठाकर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी” होता है। मैंने तुरंत उसे गाली बकना शुरू कर दिया। उसे अश्लील गालियां दीं और उसे ब्लॉक कर दिया। दोस्तों! डरा हुआ हूँ! बाबा के खिलाफ बात सुनने के लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं।
मैं लोक देवता! मेरे आराध्य! धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कुछ नहीं सुनना चाहता।
मैंने अपनी निर्भीकता को ताक पर रख दिया है। मैं यह भी नहीं कहूंगा कि डॉ. रघु शर्मा के बर्फ में लगने के बाद, आग बनकर राठौड़ बाबा आंचलिक देवता बन गए हैं। जाके सर स्वाफा निरालो! मेरो नेता सोई! मीरा म्हारी टाबरी या दूध ताहिं रोई?
धर्मेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री गहलोत की अगवानी को लेकर अजमेर में कल कांग्रेसियों की बैठक किस हैसियत से ली? यह पूछकर मैं अपने निर्भीकता को वापस प्रविष्ट नहीं करवाना चाहता।
मैं जानता हूं कि “खुदा जब हुस्न देता है नजाकत आ ही जाती है।” राठौड़ बाबा का जलवा भी देखने लायक है। वह सर्वव्यापी हैं। बानसूर। पुष्कर। अजमेर। सभी शहरों में उनके पेशाब से चराग जल उठते हैं! ईश्वर उनको बहुमूत्र का वरदान दें ताकि जलने वाले चरागों की संख्या बढ़ सके।
अजमेर में कल तक जो चिराग डॉ. रघु शर्मा के अपशिष्ट से जलकर कॉटन मिल्स में आग लगा दिया करते थे। आज लोकनायक राठौड़ बाबा के अपशिष्ट से जल रहे हैं।
कल उन्होंने कांग्रेसियों की बैठक ली। वह विजय जैन जो कल तक सचिन पायलट के नाम पर उपवास रखा करता था, अब राठौड़ बाबा के आगे दीपक जलाने के लिए तेल की कुप्पी लेकर हाजिर है।
डॉ. श्री गोपाल बाहेती और राजकुमार जयपाल सहित कई नेता। छोले भटूरे की प्लेट लेकर उनके सामने नतमस्तक हैं।
पिछली बैठक का एक आॅडियो मेरे पास सुरक्षित है, जिसमें एक चिलगोजा, पूर्व पार्षद। चिल्ला- चिल्ला कर राठौड़ बाबा को कह रहा था “हमारे देवता! हमारे सर्वस्व! हमारे ईश्वर आप हैं। आप कहीं से भी कुछ भी छुएंगे तो हम थैंक्यू बोलेंगे। बस आप डॉक्टर राजकुमार जयपाल को एडीए का चेयरमैन बना दें।”
राठौड़ बाबा! आप तो पारस पत्थर हैं! इन सब कबाड़ खाने में पड़ी लोहे की क्रेप्स को सोना बना सकते हैं। बस अपना कोई हिस्सा इनके छुआ दें! आपका कुछ नहीं जाएगा। क्या पता ये सोने के बन जाएं। ठीक उसी तरह जैसे गहलोत ने कहीं से छू कर आपको सोना बना दिया।
इससे पहले कि मल्लिकार्जुन खड़गे कोई फैसला लें। आप इनके कौमार्य को सोने का बना दें, वरना इनकी आत्माएं अनावश्यक रूप से आपको सताती रहेंगी! हे कृपा निधान! मैं जानता हूं कि आप सोच रहे होंगे कि यह नेता लोग आप की चमचागिरी कर रहे हैं मगर हे जननायक आप भी तो यही कर रहे हैं।