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राठौड़ बाबा की सवारी के आगे पप्पू डांस कर रहा है, चमचे नगाड़े बजा रहे हैं!
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कुछ नहीं होगा नसीम भाभी आपके ज्ञापनों से! न अभिषेक के कार्यकाल की जांच होगी न उनका तबादला!
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परम पिता ब्रह्माजी का मंदिर ही जब सरकारी कब्जे से मुक्त नहीं हो पाया तो डूब क्षेत्र के होटल्स कहाँ से मुक्त होंगे?
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सच तो ये है नसीम भाभी! कि राठौड़ साहब! आपकी ताकत से भारी पड़ रहे हैं! उनके पप्पूओं पर पार पाना मुश्किल है!
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चुनावों में ही इनकी ताकतों का फैसला जनता करेगी!
जब मालिक मेहरबान होता है तो गधा पहलवान होता है। ऐसे में घोड़ों को घास नहीं मिलती और गधे गुलकंद खाते हैं। पुष्कर में ऐसा ही हो रहा है।
राठौड़ बाबा की सवारी निकल रही है और उनका पप्पू घूमर घाल रहा है! बेचारी इंसाफी भाभी! बेकार में ही ज्ञापन बाजी कर रही हैं! नाहक पप्पू की शिकायतें कर रही हैं। पूरी पार्टी की इज्जत दांव पर लगा रही हैं। वह इतना सा भी नहीं जानतीं कि राठौड़ बाबा खुद किसके पप्पू हैं?
भाभी जी यह एक कड़ी है। घंटाघर की घड़ी है ।जो वर्षों से बंद पड़ी है। जो भी घड़ी साज आता है इसका कोई पुर्ज़ा मार जाता है।
जिस पप्पू का पुष्कर में विरोध हो रहा है उसे राठौड़ बाबा की सवारी में कठपुतली की तरह नाचने का काम मिला हुआ है! जहां -जहां, जिस- जिस होटल की तरफ इशारा होता है पप्पू वही डांस करने पहुंच जाता है! बेचारा पप्पू!! करें भी तो क्या? चार पैसे कमाने की ललक किसमें नहीं होती!! और फिर चांटा खाने के बाद तो यह ललक उस पिल्ले की पूंछ जैसी हो जाती है जिस पर किसी इंसाफी का पैर पड़ गया हो।
मित्रों! पुष्कर अपनी ऐतिहासिक दुर्दशा के दृश्य दिखा रहा है! दुनियां जानती है कि पवित्र पुष्कर राज में विगत दो दशकों में दर्जनों नामी-गिरामी होटल बन चुके हैं। बनते जा रहे हैं। नांद हवेली से लेकर न जाने कितने नामी-गिरामी होटल बन चुके हैं। जिसे पुष्कर राज का डूब क्षेत्र कहा जाता है, वहां आरटीडीसी के चेयरमैन की नजर नहीं जाती। पुष्कर होटलों की संख्या दिन ब दिन कुकरमुक्तों की तरह बढ़ती ही जा रही है।वैध और अवैध सभी प्रकार की होटलों के निर्माण हो रहे हैं। रास्ते, तालाब, नाले, एनीकेट्स सभी पर होटल्स बन रही हैं। और तो और! घरों के बाहर बनाए गए मंदिरों तक पर अतिक्रमण किए जा चुके हैं! पवित्र पुष्कर के घाटों के किनारे जुड़ी जमीनों पर कई कई मंजिला ऊंची होटल बनाई जा चुकी हैं। जहां, जिसके पास, जितनी जमीन है उस पर होटल बन रहा है।
दोस्तों!! जिस रफ़्तार से धार्मिक नगरी पुष्कर का “होटलीकरण” किया जा रहा है, उसे देखते हुए मुझे डर है कि आने वाले 10 सालों में पुष्कर घाट के आस- पास, एक भी मकान रहने के लिए उपलब्ध नहीं होगा. सब होटलों में तब्दील हो चुके होंगे।
मुझे तो तरस आता है पुष्कर में रहने वाले मासूम नागरिकों पर! जिनकी खामोशी से पुष्कर राज की छाती पर दलती हुई मूंग को बरसों से बर्दाश्त किया जा रहा है।चव्वनी भर के फायदों के लिए जनता! पुष्कर राज का अतिक्रमण होते देख रही है!
मोहम्मद गजनवी ने क्या लूटपाट की होगी जो यहाँ आज के लोग लूट मचा रहे हैं! यदि आसपास की जमीनों की जांच की जाए तो सैकड़ों प्रशासनिक अधिकारी! पुलिस अधिकारी! अन्य विभागों के अधिकारी!! कई कई बीघा जमीन के मालिक बने हुए हैं! राज्य के बहुत से अधिकारी! धनपति! बाहुबली! अपने दो नंबर का पैसा पुष्कर में ही लगा रहे हैं। पुष्कर के अधिकारी चाहे तहसील के हों या अन्य किसी विभाग के! सभी दोनों हाथों से पुष्कर को लूट रहे हैं! ऐसा दुर्गति काल अब तक नहीं देखा गया।
दुर्गति भी इतनी कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के यज्ञ स्थल पर सरकारी कब्जा हो! जब मंदिर की घंटियां बजाने के अधिकार भी पंडित पुरोहितों के न हों! जब मंदिर का गर्भ स्थल तक पुलिस वालों की निगरानी में हो!
अब आइए कल की बात पर। लगभग सभी कांग्रेसियों के साथ पूर्व मंत्री नसीम अख़्तर ने पुलिस कप्तान और जिÞला कलेक्टर को ज्ञापन दिया। इस ज्ञापन को मैं सिर्फ़ झेंप मिटाने वाली कार्रवाई कहूँगा।
ज्ञापन में कहा गया कि नगर पालिका अधिशासी अधिकारी अभिषेक गहलोत सारे नियम कायदे ताक पर रखकर अवैध होटल्स बनवा रहा है। जो नियमानुसार बने हैं। पूरी तरह से वैध है, उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहा है। हो सकता है नसीम साहिबा रुपये में बढ़ आना सही भी हों!…. मगर बचे हुए चार आने में वह धर्मेंद्र सिंह राठौड़ की चपेट में आई हुई हैं।
माना जा रहा है कि इस बार राठौड़ साहब नसीम साहिबा को टिकट नहीं लेने देंगे! वह मुख्यमंत्री की पहली पसंद जो हैं! उनके संकटमोचन माने जाते हैं! तो पूर्व मंत्री महोदया! बड़े सम्मान से मैं आपको बता दूं कि आप के इन ज्ञापनों से अभिषेक गहलोत का, कोई भी बाल बांका नहीं होने वाला! उनका राज्याभिषेक हो चुका है!
जिन अधिकारियों को आपने ज्ञापन देकर उनके कार्यकाल की जांच करवाए जाने को कहा है! माफ कीजिएगा उनके अधिकार क्षेत्र पर भी राठौर साहब की संप्रभुता हावी है ! उनके इशारे बिना कोई जांच नहीं हो सकती! हुई भी तो उनके इशारे पर ही आगे बढ़ेगी!
पूर्व मंत्री महोदया आपकी हर बात में दम है। दगदी परिवार के लिए कहे गए आपके सारे वाक्य सही हैं किंतु जब तक राठौड़ बाबा की मेहरबानी नहीं होगी तब तक आपकी और दगदी परिवार की किसी भी जायज बात को सही सिद्ध नहीं किया जा सकेगा।
सवाल यहाँ यह भी उठता है कि जब आप प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष हैं! डोटासरा के बाद आप हैं! और मुख्यमंत्री से आए रोज मिलकर तस्वीर भी खिंचवाती हैं तो फिर आपकी बात मुख्यमंत्री क्यों नहीं मानते? क्यों आपको जिÞला स्तर के अधिकारियों को ज्ञापन देने पड़ते हैं?
राठौड़ साहब तो मुख्यमंत्री जी के चिलगोजे हैं, वह क्यों नहीं अपनी हरकतों से बाज आ रहे हैं? क्यों अभिषेक को अपना दत्तक पुत्र मानकर उसे बचाने में लगे हैं!
बात साफ है कि गहलोत के सामने आपकी नहीं चल रही! मालिक मेहरबान है और गधा पहलवान है! कहावत है ना ‘घोड़ों को घास नहीं मिल रही, गधे गुलकंद खा रहे हैं’!
लेकिन दोस्तो! चिंता मत करो! पुष्कर का दुर्गति काल। मात्र एक साल का और बचा है! अगले चुनाव में राठौड साहब रहेंगे ना अभिषेक गहलोत! अगले चुनाव में फैसला जनता खुद करेगी! आप बस देखते जाइए!
कांग्रेस से शत-प्रतिशत टिकिट नसीम अख़्तर साहिबा को ही मिलेगा! देख लेना! राठौर साहब जिस रफ़्तार से आए हैं, उसी रफ्तार से लौट जाएंगे। इस पंडित की भविष्यवाणी भी देख लेना।