सीमेंट की थेकली शिवलिंग के ऊपर चिपका कर फव्वारा बता रहे हैं। ध्यान से देखने पर सीमेंट की पपड़ी अलग दिखाई दे रही है। सभी को यह डिजाइन अजीब ही लग रही है।
दुनिया में कोई ऐसी मस्जिद है जिसके वजूखाना को, फव्वारे को नंदी निहार रहे हों? नंदी जिस तरफ निहार रहे है, वहां से 83 फीट की दूरी पर भव्य शिवलिंग मिला है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर कितना भव्य रहा होगा।
शिवलिंग के ऊपर सीमेंट लगा कर फव्वारे की शक्ल दी है… जो शिवलिंग दिखाई दे रहा है ये फर्स्ट फ़्लोर का है… बेसमेंट में भी शिवलिंग के नीचे का हिस्सा हो सकता है लेकिन तालाब के दोनों तरफ के गेट चूना, गिट्टी लगा कर बंद कर दिए हैं… जिससे नीचे का सर्वे नहीं हो पाया… नक़्शे से समझिये…
भारत ही नहीं दुनिया का एकमात्र फव्वारा जिसका बेसिन जल वितरण श्रोत से ऊंचा है? कुछ भी? 20वीं सदी में कथित फव्वारे की एक बाउंड्री ढंग से नहीं बनी। जबकि, ये कहते हैं कि इन्होंने 500 साल पहले लालकिला, ताजमहल बनवाए थे।
फव्वारा था तो उसे अब तक छुपाया क्यों गया? क्या कहीं गुप्त फव्वारा भी है दुनिया के किसी धार्मिक स्थल में? सर्वे टीम में शामिल लोगों का कहना है कि संस्कृत श्लोक, दीया रखने की जगह, शिवलिंग, स्वास्तिक, प्राचीन शिलाएँ, कमल के फूल, मूर्तियाँ, सर्प, स्वान सहित तमाम तरह के साक्ष्य मिले हैं। नंदी बाबा के सामने बने कुएँ में वाटर रेजिस्टेंस कैमरे डालकर वहाँ का सर्वे किया गया। सर्वे के दौरान जब तालाब से पानी निकाला गया और बाबा विश्वेश्वर का शिवलिंग प्रकट हुआ।
ज्ञानवापी के इंच-इंच पर हिन्दू प्रतीक, संस्कृत श्लोक, खंभों पर मूर्तियाँ और ॐ कार है। तहखानों के खंभों पर मूर्तियाँ मिली हैं। इन खंभों पर स्वास्तिक, ॐ कमल जैसे हिंदुओं के प्रतीक चिह्न मिले हैं। ये चिह्न वहाँ इंच-इंच पर मौजूद है।
वर्तमान मस्जिद के तीन गुंबद दिखते हैं, लेकिन वे शंकु के ऊपर बने गुंबद हैं। यानी मंदिर के शिखर हैं। मस्जिद के गुंबद तक पहुँचने के लिए बेहद संकरी सीढ़ियाँ बनीं हैं और वहाँ झरोखे हैं। झरोखे से देखने पर मस्जिद के नीचे मंदिर की असली गुंबद दिखती है। टीम ने इनकी भी वीडियोग्राफी की है।
साल 1868 में रेव एमए शेरिंग द्वारा लिखित द सेक्रेड सिटी आॅफ हिंदू किताब में ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के नीचे चारों कोनों पर मंडपम की बात कही गई है। इनके नाम हैं, ज्ञान मंडपम, श्रृंगार मंडपम, ऐश्वर्य मंडपम और मुक्ति मंडपम। वहीं, लेखक अल्टेयर ने इन मंडपम की साइज 16-16 फीट और गोलंबर की ऊँचाई 128 फीट बताई है।
विश्वेश्वर शिवलिंग वजूखाने से मिला है। जहां मलेच्छ गंदे हाथ पैर दाढियां धो रहे थे और गोमांस खाकर कुल्ला करते थे। यह अपमान ऐसा है जिसे हिंदू समाज सृष्टि के अंत तक नही भूल पायेगा। अरे अब तो सच सामने आ चुका है. अब तो औरंगजेबी मानसिकता से बाहर निकलो और स्वीकार करो कि वर्तमान ज्ञानवापी परिसर मस्जिद नहीं मंदिर है।