तो क्या महेश जोशी से इस्तीफ़ा ले लिया जाए‼️

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* तो क्या किसी हत्या के आरोपी पुत्र के पिता को क़ानून फाँसी चढ़ा सकता है❓

* तो क्या किसी न्यायाधीश के पुत्र पर आपराधिक आरोप लगा कर उनसे इस्तीफ़ा ले लिया जाना चाहिये❓

* महेश जोशी को मतदाताओं ने चुना है,विपक्षी पार्टियों या पत्रकारों ने नहीं!!

* फ़िलहाल रोहित जोशी भी तब तक रोहित दोषी नहीं ,जब तक जाँच में दोषी नहीं पाए जाते‼️

* मीडिया ट्रायल से फ़ैसले नहीं होते !!

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                     *राजस्थान के मंत्री महेश जोशी चर्चाओं में हैं।उनके विरुद्ध मीडिया ट्रायल चल रही है ।उन पर इस्तीफा दिए जाने का दबाव बनाया जा रहा है ।चारों तरफ ऐसा शोर मचाया जा रहा है जैसे किसी युवती ने उनके पुत्र के विरुद्ध नहीं बल्कि उनके विरुद्ध जीरो f.i.r. दिल्ली में दर्ज़ करवा दी हो!!
                              *विपक्षी पार्टियों को जैसे मज़े लूटने का मुद्दा मिल गया हो ! वह चटकारे लेकर महेश जोशी को कटघरे में खड़ा कर रही हैं ।ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है जैसे राजस्थान की राजनीति के साथ किसी मंत्री पुत्र ने बलात्कार करके उसे गर्भवती बना दिया गया हो!!
                 *कमाल है यार !! कमाल है!! महेश जोशी के पुत्र ने अच्छा किया यह मैं नहीं कह रहा मगर उसने किन परिस्थितियों में क्या किया फ़िलहाल तो यह जांच का विषय ही है।
                           *अभी तो दिल्ली में एफ आई आर दर्ज ही हुई है!  प्राथमिक अनुसंधान भी नहीं हुआ है!मगर कुछ लोग एलसीशियन डॉग्स की तरह भोंकने लगे हैं। जोशी खुद सकते में है कि उन्हें किस बात के लिए दोषी करार दिया जा रहा है? क्या पुत्र पैदा कर देने का गुनाह उनके माथे पर लिखा जा रहा है ❓
             *मैं फिर साफ़ कर दूँ कि महेश जोशी के पुत्र का मैं कतई पक्ष नहीं ले रहा ! उसने अगर वाकई दर्ज़ कराया गया गुनाह किया होगा तो कानून उसे सजा देगा…. मगर पुत्र पर लगे आरोपों के लिए पिता को उनके आरोपों का जिम्मेदार बता देना! यह कोई न्यायोचित बात नहीं!
                         *महेश जोशी ने पुत्र को कथित गुनाह के लिए प्रशिक्षित तो नहीं किया था ‼️ट्रेनिंग तो नहीं दी थी‼️ पाकिस्तान की तरह किसी आतंकवादी को ‼️
                   *महेश जोशी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ!जयपुर की छात्र राजनीति से ही! वह अपने समकालीन , हमउम्र राजनेताओं की तरह उच्छ्रंखल नहीं! धीर गंभीर व सादगी वाले नेता हैं ! जनता उन्हें बड़े सम्मान से देखती है ! वे जनता की जड़ों से जुड़े हुए नेता हैं! यही वजह है कि जनता उन्हें चुनावों में कई दिग्गजों के सामने जिता देती है। उनकी आदर्शवादी छवि का मैं कायल हूं ।उन पर किसी भी प्रकार का कभी कोई आरोप नहीं लगा। यहां तक कि मीडिया में भी उनकी छवि बेदाग ही मानी जाती है ।
                   *ऐसे में पुत्र के फिलहाल किसी अप्रमाणित गुनाह को सामने रखकर उनसे इस्तीफा मांगना या उन्हें जलील करना किसी भी तरह से उचित नहीं ‼️
                    *यहां मैं एक सवाल उन लोगों से पूछना चाहता हूँ जो मौके की आड़ में उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं !
                        *क्या कोई राजनेता इस सवाल का उत्तर दे सकता है कि किसी न्यायाधीश की संतान पर यदि रोहित जोशी वाले आरोप लगा दिए जाएं तो क्या उससे इस्तीफा मांग लेना चाहिए ❓
                       *क्या किसी प्रशासनिक अधिकारी के पुत्र पर कोई ऐसा ही आरोप लग जाए तो उसे नौकरी से त्यागपत्र दे देना चाहिए❓
                         *क्या कोई फिल्मी अभिनेता अपने पुत्र पर लगे आरोपों की खातिर फिल्म लाइन में काम करना छोड़ सकता है❓या कोई बड़े औधोगिक घराने के दिग्गज❓
                      *दोस्तों! यह सब खोखले सवाल हैं जिनके जवाब भी उतने ही खोखले हैं !
             *महेश जोशी के पुत्र रोहित जोशी ने क्या किया इस पर यदि महेश जोशी कहें कि उनका बेटा दूध का धुला हुआ है तो मैं उन पर सवालों की बारिश कर सकता हूं मगर उन्होंने अभी तक अपने पुत्र के पक्ष में कोई प्रतिक्रिया ही व्यक्त नहीं की है !
                          *दोस्तों !! कानून को अपना काम करने दो !! राजस्थान पुलिस यदि प्रभाव डाल सकती है तो जांच दिल्ली पुलिस को करने दीजिये! उसे यदि दोषी क़रार दिया जाता है तो उसे कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए! एफ आई आर जो पीड़ित कम वकील  ज़ियादा सोच समझ के लिखवाते हैं उसको लेकर तत्काल फ़ैसला सुना देना बेवकूफी ही है !
                *बड़े राजनेताओं और बड़े लोगों पर या उनकी संतानों पर कभी-कभी स्क्रिप्टेड और फेब्रिकेटेड आरोप भी लगा दिए जाते हैं!
                      *पिछले दिनों कई राजनेताओं पर लगाए भी गए!! युवतियां पहले आरोप लगाती हैं फिर ख़ुद ही ख़ारिज़ कर देती हैं।खुद कह देती हैं कि पुलिस ने ज़बरन लिखवा दिए!जब मैजिस्ट्रेट के सामने 164 के बयान होते हैं वह मामले को  झूठा बता देती है ।
                *जोशी के मामले में ऐसा होगा यह मैं नहीं कह रहा मगर इस बात से इंकार भी नहीं कर रहा ।मामला बलात्कार का भी हो सकता है लिविंग रिलेशनशिप का भी। आपसी सहमति से अंधेरे में जीवित हुआ रिश्ता जब सामाजिक उजालों से गुज़रता है तो वही होता है जो यहां हो रहा है या और कहीं भी होता रहता है।
                       *फिलहाल मैं इस मामले कि सारी जिम्मेदारी कानून पर सौंपने की बात कर रहा हूं।
                 *जहां तक महेश जोशी के इस्तीफे का सवाल है यह ग़ैर वाजिब है । कथित हत्यारे के पिता को फांसी पर चढ़ा देने जैसा है! चोर को बरी करके उसकी मां को सज़ा देने जैसा है! इसे क़ानून भी सही नहीं मानता!
                 *राजनेताओं के लिए किसी भी दूसरे नेता को ख़तरे में डालना एक सुखद मज़ाक हो सकता है मगर कोई पूछे उनसे कि यदि उनकी संतान किसी आरोप में घिर जाए तो क्या वे राजनीति से संयास ले लेंगे ❓
                             *महेश जोशी को राजनेताओं ने नहीं मतदाताओं ने चुना है।उन्हें अगले चुनाव में जनता वापस घर भिजवा सकती है।जहां तक गली मोहल्लों का सवाल है कुत्तों के भौंकने से हाथी कभी सड़क नहीं छोड़ते।

सुरेंद्र चतुर्वेदी

सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सि‍यत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |

चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |

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