बनारस: ज्ञानवापी मस्जिद निरीक्षण के दो दिनों में क्या-क्या हुआ?

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अनंत झणाणे
बीबीसी संवाददाता

 

ज्ञानव्यापी मस्जिद में जिला अदालत के आदेश पर हो रहे एडवोकेट कमिश्नर के निरीक्षण में कानूनी अड़चनें आने लगी हैं.

दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे पश्चिम वाली दीवार की तरफ चबूतरे में माँ श्रृंगार गौरी और दूसरे देवी देवताओं के सत्यापन और उनके अस्तित्व को स्थापित करने के लिए शुक्रवार दोपहर को कोर्ट द्वारा नियुक्त किये गए एडवोकेट कमिश्नर निरीक्षण और उसकी वीडियोग्राफी की कार्रवाई शुरू की.

शुक्रवार को कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी और शनिवार को फिर से निरीक्षण करने के लिए तीन बजे का वक्त तय हुआ.

लेकिन शनिवार को एडवोकेट कमिश्नर की निष्पक्षता पर अंजुमन इन्तिजामिया मस्जिद की वकीलों ने अदालत में अर्ज़ी दाखिल कर यह मांग की है कि अजय कुमार को हटा कर कोर्ट या तो खुद निरीक्षण करे या फिर किसी दूसरे वरिष्ठ वकील से करवाए.

अदालत ने अर्ज़ी सुनकर एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार और पांच महिला याचिकाकतार्ओं के वकीलों से सोमवार तक जवाब तलब किया, और सोमवार 9 मई को फिर से सुनवाई की तारीख लगाई.

क्या शनिवार को हो पाई निरीक्षण की कार्रवाई?
शनिवार को जब एडवोकेट कमिश्नर काशी कॉरिडोर के गेट नंबर चार पर निरीक्षण करने के लिए पहुंचे तो उनके साथ 5 महिला याचिकाकतार्ओं के वकील मौजूद थे. लेकिन उस वक्त अदालत में अंजुमन इन्तिजामिया मस्जिद समिति के वकील अपनी एडवोकेट कमिश्नर को हटाने की मांग वाली अर्ज़ी पर बहस करने के बाद कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे थे.

जब अदालत ने आदेश दिया कि वो सोमवार को अर्ज़ी की मांगों पर सभी वादियों का पक्ष सुनेगी तो एडवोकेट कमिश्नर के निरीक्षण पर असमंजस पैदा हो गया. अंजुमन इन्तिजामिया मस्जिद के वकील आदेश की कॉपी लेकर एडवोकेट कमिश्नर को सुपुर्द करने पहुंचे तो वकील अखलाक अहमद के मुताबिक “एडवोकेट कमिश्नर ने कोर्ट की आदेश की कॉपी लेने से इनकार कर दिया और कहा कि वो आदेश की प्रति सोमवार को अदालत से लेंगे.”

वकील अखलाक अहमद का कहना है कि शनिवार को निरीक्षण से जुड़ी कोई खास कार्रवाई नहीं हो पायी और एडवोकेट कमिश्नर मस्जिद में प्रवेश कर निरीक्षण और वीडियोग्राफी नहीं कर पाए.

शुक्रवार को कार्रवाई शुरू होते ही एडवोकेट कमिश्नर और महिला याचिकाकतार्ओं के वकील यह दावा कर रहे थे कि उन्हें कोर्ट का आदेश मस्जिद के अंदर जाकर निरीक्षण और उसकी वीडियोग्राफी करने की इजाजत देता है.

लेकिन अंजुमन इन्तिजामिया मस्जिद ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश में बैरिकेड को पार कर मस्जिद में घुस कर करवाई करने का कोई जिक्र नहीं है.

शुक्रवार को निरीक्षण के दौरान अंजुमन इन्तिजामिया मस्जिद के वकील अभय यादव ने यह भी आरोप लगाया कि एडवोकेट कमिश्नर याचिकाकतार्ओं के वकीलों के निदेर्शों के हिसाब से निरीक्षण और उसकी वीडियोग्राफी करवा रहे हैं. ऐसा कहकर उन्होंने लिखित में अपनी आपत्ति अधिवक्ता कमिश्नर को हाथों हाथ सौंपी थी.

शनिवार को निरीक्षण एक बार फिर अधूरा रहने पर महिला याचिकाकतार्ओं के अधिवक्ता हरी शंकर जैन ने मीडिया से कहा कि, “आज कमीशन की कार्रवाई शुरू हुई. कार्रवाई शुरू होने के बाद जब हम लोग बैरिकेडिंग की तरफ आगे बढ़े, तो अंदर बहुत से मुस्लिम बैठे थे. वो आ गए और प्रशासन ने हमें अंदर नहीं जाने दिया. हमारा सहयोग नहीं किया. हम कोर्ट में दरखास्त देंगे और कोर्ट जो निर्देश देगा उसके हिसाब से कानूनी कार्रवाई होगी.”

क्या है माँ श्रृंगार गौरी से जुड़ा पूरा मामला ?
18 अगस्त 2021 को दिल्ली की पाँच महिलाओं ने बनारस की एक अदालत में याचिका दाखिल की थी. इन महिलाओं का नेतृत्व राखी सिंह कर रही हैं जो दिल्ली की रहने वाली हैं. बाकी चार महिला याचिकाकर्ता बनारस की निवासी हैं.

इन सभी की मांग है कि उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, आदि विशेष और नंदी जी और मंदिर परिसर में दिख रही दूसरी देवी देवताओं का दर्शन, पूजा और भोग की इजाजत होनी चाहिए.

याचिकाकतार्ओं का दावा है कि माँ शृंगार देवी, भगवान हनुमान और गणेश और दिखने वाले और अदृश्य देवी देवता दशाश्वमेध पुलिस थाने के वार्ड के प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से सटा हुआ है.

उनकी यह भी मांग है कि अंजुमन इंतजामिया मस्जिद को देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़ने, गिराने या नुकसान पहुँचाने से रोका जाए और उत्तर प्रदेश सरकार को “प्राचीन मंदिर” के प्रांगण में देवी देवताओं की मूर्तियों के दर्शन, पूजा करने के लिए सभी सुरक्षा के इंतजाम करने के आदेश दिए जाएँ.

अपनी याचिका में इन महिलाओं ने अलग से अर्ज़ी देकर यह भी मांग रखी थी कि कोर्ट एक अधिवक्ता आयुक्त (एडवोकेट कमिश्नर) की नियुक्ति करे जो इन सभी देवी देवताओं की मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करे.

इसी मांग को पहले जिला अदालत और बाद में हाई कोर्ट, दोनों ने सही ठहराते हुए निरीक्षण की कार्रवाई को मंजूरी दी. अब देखना यह है कि सोमवार को एडवोकेट कमिश्नर उन पर लगे पक्षपात के आरोपों के बारे में अदालत में क्या कहते हैं और अदालत इस मामले में क्या फैसला लेती है.

सुदेश चंद्र शर्मा

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