रविपुष्य नक्षत्र योग
१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु वृहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि देने वाला है, सम्पति बढ़ाने वाला है। उस दिन वृहस्पति का पूजन करना चाहिये। वृहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले………
ॐ ऐं क्लीं वृहस्पतये नम :।।
ॐ ऐं क्लीं वृहस्पतये नम :।।
मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि
08 मई 2022 रविवार को सूर्योदय से शाम 05:01 तक रविवारी सप्तमी है।
सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी झ्र ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। -(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिता: अध्याया (10)