* मंदिर की आड़ में धर्मशाला की 17 दुकानों का निर्माण जारी।
* पूर्व मंत्री डॉ रघु शर्मा को वोट देकर ग़रीब ब्राह्मण बने दबंगों के शिकार: जीना हुआ हराम।
* दबंगों ने विधायक टांक को लिखित में दी गालियां: सुरसुरा आने पर डॉ रघु शर्मा और टांक के हाथ पैर तोड़ने का दिया अल्टीमेटम।
* टांक निहत्थे पहुंच गए सुरसुरा
* पुलिस कप्तान विकास शर्मा ने दबंगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ करने के दिए आदेश!
* टांक ने अपने समर्थक से दर्ज़ करवाया मुक़दमा।
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*सुरसुरा एक खूबसूरत गांव है। किशनगढ़ के पास।आज दोपहर तक पुलिस यहां आ जाएगी। कुछ दबंगों से निपटने की ज़रूरत आ पड़ी है ।
*यहां समुदाय विशेष के दबंगों ने कुछ लोगों का जीना हराम कर रखा है। घर में घुसकर धमकियां दी जा रही हैं ।बहन बेटियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। परिवार के युवकों को दुर्घटना के नाम पर ज़ख्मी किया जा रहा है। ब्राह्मण परिवार भयाक्रांत हैं। घर मे क़ैद हैं।
*सभी पीड़ित परिवार ब्राह्मण हैं। इनका दोष यह है कि इन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में डॉ रघु शर्मा को एकमुश्त वोट दे दिए थे। अब उनके इसी मतदान को नाक का सवाल बना कर दबंग उन्हें सारी सीमाएं तोड़ कर परेशान कर रहे हैं।
*पीड़ित और परेशान लोगों ने पुलिस और जिला प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है।
*लड़ाई दीये और तूफान की है। इस लड़ाई के पीछे भी कई कहानियां हैं। दबंग लोग लोक देवता तेजाजी के धार्मिक स्थान पर अतिक्रमण करके 17 दुकानें बना रहे हैं। ज़मीन सरकारी है। दुकानों के निर्माण को लेकर दबंगों की शिकायतें होती रही हैं मगर स्थानीय तहसीलदार इस अतिक्रमण को हटाने के लिए ‘सिर्फ़ ‘4 बार अंतिम नोटिस दे चुके हैं। कार्रवाई के नाम पर बस यह नोटिस ही पर्याप्त मान रहे हैं। इन सभी नोटिस में रटी हुई भाषा है।सभी नोटिसों में लिखा गया है कि 7 दिन में अतिक्रमण ख़ुद हटा लें वरना अमला हटा देगा।
*सात दिन की जगह 70 दिन बीत जाने के बाद भी निर्माण को तोड़ने की हिम्मत नहीं जुट पा रही। निर्माण जारी है।इसके पीछे की कहानी समझ में आ रही है।आर्थिक प्रबंधन अपना काम कर रहा है ।
*दबंगों ने कांग्रेस के सशक्त नेता डॉ रघु शर्मा के लिए ही अपशब्द नहीं कहे बल्कि सोशल मीडिया पर ये विधायक सुरेश टांक को भी गालियां बकने से बाज़ नहीं आ रहे। गालियां भी ऐसी कि सुनकर अश्लीलता की सीमाएं टूट जाएं।विधायक को “भड़वा” जैसे निम्न स्तर के शब्दों से सोशियल मीडिया पर सम्बोधित किया जाए इसे कैसे और कौन बर्दास्त कर सकता है। पीड़ित परिवार ने ऐसे वीडियोज़ और चैट की फ़ोटोस्टेट विधायक को उपलब्ध करा दी हैं।
*विधायक टांक से मेरी बात हुई। वह इस मामले को लेकर बेहद ग़ुस्से में नज़र आए ।कल दोपहर बाद उन्होंने अजमेर पुलिस कप्तान विकास शर्मा और जिला कलेक्टर से मुलाक़ात की। दबंगों की नकेल कसने के पुख़्ता इंतजाम करवा दिए ।
*दबंगों ने चुनौती दे रखी थी कि यदि विधायक सुरेश टांक सुरसुरा आए तो उनके हाथ पैर तोड़ दिए जाएंगे।यह बात उनको गवारा नहीं हुई।वे कल रात एक शादी में भाग लेने के लिए सुरसुरा पहुंच गए। एक दम निहत्थे और बिना समर्थकों के। पुलिस ज़ाप्ता विशेष रूप से अपने आप तैनात हो गया।
*पुलिस कप्तान विकास शर्मा ने किशनगढ़ के पुलिस अधिकारियों को मुकदमा दर्ज़ करने के निर्देश दे दिए हैं।
*विधायक सुरेश टांक ने अपने समर्थक से गाँधी नगर थाने में मुक़दमा दर्ज़ करवा दिया है।जिनके नाम दर्ज़ कराए गए हैं वे भी पढ़ लीजिए।राम स्वरूप चौधरी, सोराम हस्व, शैतान घासल,गौरीशंकर बाना , श्रवण डूकिया, करतार चौधरी, दीपक बाना, गोपाल जाट।
*टांक का कहना है कि तेजा जी महाराज उनके लिए भी आराध्य देवता हैं।वे उनकी पूजा पाठ में पूरा यक़ीन और आस्था रखते है।लोक देवता के रूप में उनकी मान्यता को तरज़ीह देते आए हैं। …. मगर धर्म के नाम पर सरकारी ज़मीन पर दुकानें बनाने के वे विरुद्द हैं।
*विधायक टांक का कहना है कि समुदाय विशेष के कुछ दबंग, लोगों को उकसा रहे हैं ।उनकी धार्मिक भावनाओं को उपद्रव की भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है।उनको डर है कि कहीं राज्य में हुए सांप्रदायिक दंगों की तर्ज पर यहाँ कोई अनहोनी न हो जाए।कुछ घटा तो अंतर सिर्फ़ इतना होगा कि दंगों में तो अलग-अलग संप्रदाय के लोग आमने-सामने हुए ।यहां ब्राह्मणों के विरुद्ध हिंदू समुदाय के ही कुछ दबंग लोग संगठित किए जा सकते हैं। सीआईडी ब्रांच उपद्रव की संभावनाओं को लेकर सूचना प्रेषित कर रहा हैं।
*विधायक सुरेश टांक ने मुझसे बात करते हुए कहा कि उनका विरोध धर्मशाला के निर्माण से कतई नहीं ।कोई यदि साबित कर दे कि दुकानें नहीं धर्मशाला के कमरे हैं तो उन्हें इस निर्माण से कोई आपत्ति नहीं।हालांकि ये सरकारी जमीन और हैं।
*उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि तेजा जी के स्थान पर वे अपने पैसों से धर्मशाला बनाने को तैयार हैं लेकिन धर्मशाला की आड़ में दुकानें तो नहीं बनने देंगे।
*जिला कलेक्टर ने अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है। संभावना है कि शीघ्र ही अतिक्रमण हटा दिया जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो दबंग उन्माद फैला सकते हैं।
*मामला संगीन है। इसमें कई राजनीतिक हस्तियां शामिल हो सकती हैं।दबंगों पर कुछ पहुंचे हुए नेताओं का हाथ है। इन राजनेताओं का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।
*फिलहाल सुरसुरा में सुरसुरी फैली हुई है सनसनी ना फैले इसकी दुआ करता हुआ मैं तेजाजी महाराज से प्रार्थना करता हूँ कि मामला शांति से निपट जाए। अतिक्रमणकारी स्वयं ही अतिक्रमण हटा लें।भव्य दुकानों की जगह भव्य धर्मशाला का निर्माण हो जाए। तथास्तु!
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |
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