3 मई को अक्षय तृतीया पर अजमेर के निकट राजगढ गांव स्थित मसाणिया भैरव धाम परिसर में 15 जोड़ों का सामूहिक विवाह समारोह संपन्न हुआ। यह विवाह समारोह वाकई निशुल्क हुआ। दूल्हा दुल्हन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर भी एक रुपए का शुल्क नहीं लिया गया। आमतौर पर अनेक सामाजिक संस्थाएं रजिस्ट्रेशन के नाम पर शुल्क लेती है। इसके विपरीत भैरव धाम के उपासक चंपालाल महाराज की ओर से प्रत्येक जोड़े को सौ प्रकार की वस्तुएं दी गई। इनमें घर परिवार का सभी सामान तो शामिल है ही साथ ही दुल्हन के लिए सोने चांदी की वस्तुएं भी दी गई। सौ प्रकार की सामग्री का भी कोई शुल्क नहीं लिया गया। इतना ही नहीं भैरव धाम की ओर से दूल्हा दुल्हन के रिश्तेदारों की मेहमान नमाजी शानदार तरीके से की गई।
उपासक चंपालाल महाराज ने प्रत्येक दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद दिया। उन्होंने बताया कि समय समय पर भैरव धाम में सामूहिक विवाह करवाए जाते हैं। इसमें कोई जाति बंधन नहीं है। किसी भी धर्म अथवा जाति के व्यक्ति सामूहिक विवाह समारोह में शामिल हो सकते हैं। भैरव धाम की ओर से नशा मुक्ति के लिए बड़ी संख्या में लोगों को शपथ भी दिलाई जाती है। इसी प्रकार कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में भी अभियान चलाया गया है। भैरव धाम प्रत्येक रविवार को मसाणिया भैरव की चौकी लगती है। इसके माध्यम से भी श्रद्धालुओं के कष्टों का निदान होता है। भैरव धाम से जुड़े अजमेर के पूर्व डिप्टी सीएम संपत सांखला ने बताया कि सामूहिक विवाह समारोह में सभी दूल्हों की बारात भी निकाली गई। समारोह का आयोजन श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से किया गया। मसाणिया भैरव धाम के सामाजिक सरोकारों की जानकारी मोबाइल नंबर 9829223268 पर अविनाश सेन, 9950001400 पर राहुल सेन, 9414003232 पर प्रकाश राका तथा 9829377338 पर ओम प्रकाश सेन से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (03-05-2022)
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एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल
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