को झटका, करीब 20 संपत्तियों की जब्ती का आदेश
फ़्रांस में इमैनुएल मैक्रों की जीत, भारत के लिए क्या हैं मायने?
चार मई को मिलेंगे मोदी और मैक्रों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़्रांस दौरे से पहले यहाँ की बड़े डिफेंस नेवी समूह ने एलान किया है कि वो भारत के पी-75 प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बन पाएगा।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है। फ़्रेंच डिफेंस नेवी समूह ने बताया है कि वो पी-75 इंडिया प्रोजेक्ट में शामिल नहीं हो सकता। इस प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना के लिए भारत में छह पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना था।
इस 43 हजार करोड़ रुपए की परियोजना के लिए शॉर्टलिस्ट की गई पाँच अंतरराष्ट्रीय समूहों में से एक ये भी है। समूह ने कहा है कि वो रिक्वेस्ट फोर प्रपोजल यानी आरएफपी की शर्तें पूरी नहीं कर सकता है और इसलिए वो इस परियोजना में शामिल नहीं होगा।
ये परियोजना नई रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत सबसे बड़ी है। इस प्रोजेक्ट के तहत अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भागीदारी के साथ कोई भारतीय कंपनी मिलकर भारत में पनडुब्बियों का निर्माण और प्रौद्योगिकी को साझा करेगी।
पी-75 प्रोजेक्ट को साल 2005 में हस्ताक्षर किया गया था और उस समय इस नौसेना समूह का नाम डीसीएनएस था. इस परियोजना के तहत 6 में से चार पनडुब्बियां पहले ही नेवी में तैनात कर दी गई हैं. छठे पनडुब्बी का निर्माण बीते माह शुरू हुआ और इसे अगले साल के आखिर तक कमिशन किया जाना था।
30 अप्रैल को जारी एक बयान में फ्रांस की कंपनी नेवी समूह की भारतीय इकाई के कंट्री और मैनेजिंग डायरेक्टर लॉरेंट वीडो ने कहा कि मौजूदा आरएफपी में सेल एआईपी का सी प्रूवन होना जरूरी है, जो कि अब तक नहीं था क्योंकि फ्रांस की नेवी इस तरह के प्रॉपलजन सिस्टम का इस्तेमाल नहीं करती है।
एआईपी एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपलजन को कहते हैं. ये तकनीक पारंपरिक पनडुब्बियों में इस्तेमाल की जाती है। इससे पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के भीतर रह सकती हैं और इसमें डीजल-इलेक्ट्रिक प्रॉपलजन सिस्टम की तुलना में शोर भी कम होता है।
वीडो ने कहा कि नेवल ग्रुप हमेशा भारतीय नौसेना के पी-75 (आई) प्रोजेक्ट में आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप सहायता देता रहेगा. उन्होंने भारत के साथ भविष्य में और अच्छे संबंधों की आशा भी जताई।
ये घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार मई को फ्रÞांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिलने वाले हैं। मैक्रों बीते माह ही दोबारा फ्रÞांस के राष्ट्रपति चुने गए हैं।
तीन दिवसीय यूरोपिय दौरे पर जाने से पहले पीएम मोदी ने बयान जारी कर कहा था, “मैक्रों के साथ उनकी बैठक दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती की पुष्टि करेगी। इससे भारत-फ़्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी के अगले चरण की दिशा तय करने का भी मौका मिलेगा।”
नेवी ग्रुप के परियोजना से हटने के कारण अब पी-75 प्रोजेक्ट पर संकट बन गया है। ये पहली अंतरराष्ट्रीय कंपनी है, जिसने सार्वजनिक तौर पर प्रोजेक्ट से हटने का एलान किया है लेकिन अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सूची में शामिल रूस और स्पेन भी परियोजना में कुछ खास रूचि नहीं दिखा रहे. हालांकि, उन्होंने अब तक कोई घोषणा नहीं की है।
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए बीते साल आरएफपी जारी की थी. इसके तहत शॉर्टलिस्ट की गई पांच अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को एक शॉर्टिलिस्ट की गई भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर के पनडुब्बी बनानी थी।
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भले ही नेवी ग्रुप ने परियोजना से हटने का कोई भी कारण दिया हो लेकिन असल में ये कंपनी अपनी तकनीकी और अनुभव को भारतीय सहयोगियों के साथ साझा करने से झिझक रही थी। (स्त्रोत-बीबीसी)