* कन्याओं का विवाह 21वें वर्ष में, और लड़कों का विवाह 24 वें वर्ष की आयु तक हर स्थिति में हो जाना चाहिए।
* फ्लैट भूलकर मत खरीदना! जमीन खरीदो, और उस पर मकान बनाओ! वरना आपकी संतानों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा!
* नई युवा पीढ़ी को कम से कम तीन संतानों को जन्म देने के लिए प्रेरित करें !
* गांँव से नाता जोड़ कर रखें और गांँव की पैतृक सम्पत्ति, और वहांँ के लोगों से नाता जोड़कर रखें!
* अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें, और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर ध्यान दें !
* हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें, और प्रचार – प्रसार करें!
* किसी भी जिहादी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने से बचें!
* घर में बागवानी करने की आदत डालें, और यदि पर्याप्त जगह है, तो देशी गाय भी पालें!
* हर हिन्दू के घर वाल्मीकि रामायण, योग वशिष्ठ, भागवत गीता-वेद-उपनिषद होने चाहिए, जब होंगे तो पढ़ेंगे भी!
* होली, दीपावली, नवरात्रि, दशहरा, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी हिन्दू त्यौहार आयें, उनमें सामूहिक यज्ञ करें!
* अपनी संतानों को प्रत्येक वर्ष एक विद्या प्रदान करें!
* जैसे संगीत विद्या, योग विद्या, तैराकी, भोजन बनाने की विद्या और युद्ध कौशल विद्या – यानि अपनी संतानों को सशक्त बनाने में व्यस्त रखें!
* वर्ष में कम से कम दो पैदल तीर्थ यात्रा अवश्य करें!
* प्रात: काल 5 बजे उठ जाएं, और रात्रि को 9 बजे तक सोने का नियम बनाएं !
* यदि आपकी कोई एक संतान पढ़ाई में असक्षम है, तो उसको कोई भी हुनर वाला ज्ञान दें।
* आपकी प्रत्येक संतान को कम से कम तीन फोन नंबर स्मरण होने चाहिए, और आपको भी!
* जब भी परिवार व समाज के किसी कार्यक्रम में जाएं, तो अपनी संतानों को भी ले जाएं ! इससे उनका मानसिक विकास सशक्त होगा!
* परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास करें, और भोजन करते समय मोबाइल फोन और टीवी बंद कर लें!
* अपनी संतानों को बालीवुड की कचरा फिल्मों से बचाएं, और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं!*
* जंक फूड और फास्ट फूड से बचें !
* सांयकाल के समय 10 मिनट भक्ति संगीत लगाएं!
* दिखावे के चक्कर में पड़कर, व्यर्थ का खर्चा ना करें!
* दो किलोमीटर तक जाना हो, तो पैदल जाएं, या साईकिल का प्रयोग करें !
* अपनी संतानों के मन में किसी भी प्रकार के नशे के विरुद्ध चेतना उत्पन्न करें, तथा उसे विकसित करें!
* सदैव सात्विक भोजन ग्रहण करें, अपने भोजन का ईश्वर को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करें ! भोग में तुलसीदल जी को अवश्य सम्मिलित करें!
* अपने आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें, व नित्य प्रति दिन पूजा, दीपदान अवश्य करें!
* सबसे महत्वपूर्ण – अपने घर में एक हथियार अवश्य रखें, ओर उसे चलाने का निरन्तर हवा में अकेले प्रयास करते रहें, ताकि विपत्ति के समय प्रयोग कर सकें ! जैसे – लाठी, हॉकी, गुप्ती, तलवार, भाला, त्रिशूल व बंदूक लाइसेंस के साथ!
* घर में पुत्र का जन्म हो या कन्या का, खुशी बराबर मनाएँ ! दोनों जरूरी है ! अगर बेटियाँ नहीं होगी तो परिवार व समाज को आगे बढाने वाली बहुएँ कहाँ से आएगी और बेटे नहीं होंगे तो परिवार समाज व देश की रक्षा कौन करेगा?