कोलकाता से प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी दैनिक टेलिग्राफ की खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश के आगरा रेलवे स्टेशन पर स्थित माँ चामुंडा देवी के मंदिर को विस्थापित करना रेलवे के लिए नया सरदर्द बन गया है। प्रशासन को डर है कि इसे हटाने से ‘कानून-व्यवस्था’ की स्थिति बिगड़ सकती है।
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है। खबर के अनुसार जिला अधिकारियों का कहना है कि साधु-संतों के अलावा प्रशासन भी इस मंदिर को हटाए जाने के खिलाफ है। हालांकि, ये अकेला कारण नहीं है, जिससे प्रशासन भगवाधारियों से डरा हो।
अयोध्या की तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास मंगलवार को ताजमहल पहुंचे थे। महंत और उनके शिष्यों ने भगवा लबादा पहने होने की वजह से ताजमहल में घुसने से रोके जाने का आरोप लगाया. मामले में विवाद बढ़ा और बाद में प्रशासन ने स्पष्ट किया कि दिशा-निदेर्शों के अनुरूप जगद्गुरु परमहंस दास को ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे का कहना है कि आगरा शहर के राजामंडी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर माँ चामुंडा देवी मंदिर अतिक्रमण करके बनाया गया है। रेलवे अधिकारियों ने जोर देकर कहा है कि मंदिर की चारदीवारी और ट्रेनों के बीच प्लेटफॉर्म का एक छोटा सा हिस्सा बचता है, जो भीड़-भाड़ वाली लोकल ट्रेनों की आवाजाही वाले इस स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालता है।
उन्होंने कहा, “इससे यात्रियों को ट्रेन से उतरने और चढ़ने में परेशानी होती है। ये उनकी सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक है। डिविजन को कई लोगों से इस बारे में शिकायत मिली है।” इससे पहले 12 अप्रैल को रेलवे ने मंदिर की दीवार पर एक नोटिस चस्पा किया था, जिसमें मंदिर के पुजारी और इसकी देखरेख करने वालों को अतिक्रमण हटाने के लिए 10 दिनों का समय दिया था।
इसके बाद 26 और 27 अप्रैल को मंदिर के पुजारी विशेषवरानंद महाराज अपने कुछ साधु-संत सहयोगियों के साथ आगरा के रेलवे अधिकारियों से मिले और उन्हें विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी।
पुजारी ने आगरा में मीडियाकर्मियों से कहा, “अगर किसी ने मंदिर को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की तो कानून-व्यवस्था की बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी। हमें पता है कि मंदिर पर निशाना साधने वालों से कैसे निपटना है. उन्हें रेलवे स्टेशन दूसरी जगह ले जाने दीजिए।”
(स्त्रोत-बीबीसी न्यूज)