कोरोना की चौथी लहर का डंका बजा कर राजनेता फिर मैदान में‼️

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* कमरतोड़ मंहगाई से चीख़ती ,बिलबिलाती जनता को अब डराया जा रहा है कोरोना की चौथी लहर से!

* सर्जिकल स्टाईक!पुलवामा कांड! कट्टर राष्ट्रवाद! साम्प्रदायिक दंगों!मंहगाई के विभत्स रूप के बीच अब फिर से गाया जाएगा “कोरोना गीत”

* चौथी लहर आएगी! मगर तीसरी गई ही कब❓

* जनता को मूल चिंताओं से दूर रखने की नौटंकियां आख़िर कब तक रहेंगी ज़ारी? दोनों पार्टी के नेताओं प्लीज़ बता तो दो!!

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                         *कोरोना की चौथी लहर राजस्थान में प्रवेश कर चुकी है ।आने वाले एक दो महीनों में यह अपना व्यापक असर दिखाएगी ! इसकी रफ़्तार भले ही फिलहाल बहुत तेज नहीं , लेकिन आने वाले समय में इसकी रफ़्तार तेज़ी से बढ़ेगी। प्रधानमंत्री मोदी जी ने विश्व में बढ़ती रफ्तार को लेकर अभी से अपनी चिंता मुख्यमंत्रियों के सामने परोस दी है।
                     *राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ख़ुद भी चिंता में पहले से डूबे नज़र आए ।कोरोना प्रबंधन में अपनी पीठ थपथपाने वाले गहलोत जी के मंत्री जी ने करोड़ों का प्रंबंधन किस खूबसूरती से किया सब जानते हैं।एक बार फिर वही प्रंबधन होगा।
                  *मोदी जी हमेशा सही वक्त पर चेत जाते हैं। उन्हें पता है कि देश में महंगाई की रफ़्तार का कोरोना की रफ़्तार से मुक़ाबला हो रहा है ।पहली दूसरी और तीसरी लहर में दोनों के बीच कड़ा मुकाबला हो चुका है और महंगाई कोरोना को हरा कर सभी लहरों पर भारी पड़ चुकी है।
                      *केंद्र व राज्य सरकारों ने कोरोना प्रबंधन में तो बाज़ी मार ली लेकिन उनका महंगाई प्रबंधन बुरी तरह फेल हो गया ।कोरोना कम हुआ ।लगभग मृतप्राय ….लेकिन महंगाई का ओमीक्रोंन अपने विभिन्न वैरिएंट्स को लेकर आज भी समाज की पीठ पर सवार है।
                  *बाज़ार में महंगाई ने सारे अर्थशास्त्र फेल कर दिए हैं!  जिस महंगाई को सामने रखकर मोदी जी और उनकी पार्टी सत्ता में आई !!! जिस महंगाई को ख़त्म करने के संकल्प के साथ अच्छे दिनों की वापसी के ख्वाब सजाए गए!  सारे के सारे ख्वाब गली कूंचों के बाज़ारों तक पहुंचते-पहुंचते टूट चुके हैं ।
                          *कल तक मोदी जी और उनके चिलगोजे  पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों पर मनमोहन सिंह सरकार को कोसने में बाज़ नहीं आते थे!  अब कहीं अपना मुंह दिखाने लायक नहीं रहे ! जो मोदी जी अपने भाषणों में चुनाव जीतने से पहले कहा करते थे कि पेट्रोल-डीजल कंपनियों पर सरकार का नियंत्रण हो और भावों पर काबू नहीं पाया जा सके यह नामुमकिन है!!!! वही, हाँ वही मोदी जी अब पेट्रोल-डीजल कंपनियों के सामने घुटने टेक चुके हैं।
                    *बढ़ती महंगाई के जख्मों को हरा भरा दिखा कर  फिर से उसका मुकाबला कोरोना से करवाया जाएगा। जब भूख से बच्चा रोता है तो मजबूर पिता उसे घर की टांड पर चढ़ा देता है …ताकि वह भूख भूल कर नीचे उतरने की ज़िद करने लगे ! उसका पेट भूल जाये भूख का रोना!  महंगाई के दर्द में चीख़ती जनता को महंगाई का दर्द भुलवाने के लिए अब केंद्र व राज्य की सरकारें कोरोना की चौथी लहर को मैदान में उतर जाने की घोषणा कर रही हैं।
                          *लोगों को बिजली-पानी !पेट्रोल- डीजल ! और मंहगाई के आंसुओं को कोरोना की सावधानियां बरतते हुए आंखों से बहाना होगा ।
                       *कोरोना आ  रहा है ।कोरोना बस आ ही गया है। यह बात अब न केवल सुनाई देगी बल्कि इनके आंकड़े तेज़ी से बढ़ते भी नज़र आएंगे।
                 *दोस्तों !!  मगर मैं पूछना चाहता हूं केंद्र और राज्य सरकारों से कि कोरोना की तीसरी लहर का प्रस्थान हुआ ही कब था जो चौथी लहर के आगमन होगा❓️
                   *सच तो ये है कि जांच कार्य बंद करवा दिए गए थे ।यदि जांच जारी रखी जातीं तो कोरोना खड़ा ही रहता ! जब जांच ही नहीं हुई तो आंकड़े कैसे सामने आते ?  आने वाले समय में जांच की रफ्तार तेज़ होगी!  आर टी पी सी आर की जांचों से आँकड़े तेज़ी से आकर्षित होंगे!  अस्पतालों में कोरोना की दवाइयों की बिक्री शुरू हो जाएगी!  दवाई कम्पनियां फिर अरबों का खेल खेलेंगी!मंत्री जी फिर से ……
                     *……..लेकिन चुनाव नज़दीक हैं। महंगाई का दर्द जनता को सोने नहीं दे रहा! इसलिए कुछ ना कुछ तो चौंकाने वाला होगा ही ! कभी सर्जिकल स्ट्राइक!  तो कभी पुलवामा! तो कभी कोरोना! कभी दंगे! तो मज़हबी विवाद!और कुछ नहीं तो बुरखा ही सही! कभी कुछ और ! देश की चिंताओं को नए-नए लिबास पहना कर फैंसी ड्रेस कंपटीशन में उतारा जाता है और जनता उसमें शामिल होकर भूल जाती है कि उसकी असली चिंता क्या ह❓ आदोंलन में कूदे लोग ब्रेन वाश के शिकार होकर नारों के पीछे का मनोविज्ञान नहीं समझ पाते। कभी राष्ट्रवाद की कट्टरता ! तो कभी जातिवाद के ज़हर जैसे  विवादों में तो कभी महंगाई विरोधी आंदोलनों में सरकारें अपनी असफलताओं को बचाने में जनता का इस्तेमाल करती रहती हैं।
             *सत्तारूढ़ पार्टियां जनता की सोच को बिज़ी  करने का खेल खेलती हैं तो विपक्ष उनके विरोध का स्क्रिप्टेड ड्रामा लिख कर जनता की आवाज़ बनने का नाटक रचता है। यही हो रहा है और यही होता रहेगा।समझदार राज कर रहे हैं नासमझ इन बेतालों की अपनी पीठ पर लादे हुए हैं।
                 *दोस्तों !!कोरोना अब आपका कोई बाल टेढ़ा नहीं कर पायेगा! देश में जिस रफ्तार से वैक्सीनेशन हो चुका है! जिस स्तर पर तीन हमलों के बाद भी हम जिंदा बच गए हैं ! उसके बाद कोरोना की चौथी पांचवी लहर हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती !
                      *बच्चों के वेक्सीनेशन्स पर ध्यान दें ! मास्क लगाना भूल चुके हैं तो वापस शुरू कर दें!  हाथों का धोना जारी रखें ! कोरोना की चौथी लहर फिर से आंकड़ों के गीत गाकर लौट जाएगी!  हमें सावधानी बरतनी है …..बाकी डरने की कोई बात नहीं!
                *अगले चुनाव की तैयारी करें!  चालबाज़ नेताओं के चेहरों से नकाब हटाना ना भूलें! वोट किसी भी पार्टी को दें मगर नेताओं की शक्ल पहले अच्छी तरह से देख ज़रूर ले! बहुत मूर्ख बना चुके हैं ये नक़ाबपोश!

सुरेंद्र चतुर्वेदी

सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सि‍यत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |

चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |

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