राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुमार विश्वास की पत्नी डॉ मंजू शर्मा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना रखा है
27 अप्रैल को पंजाब के रोपण में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया। कांग्रेस के कार्यकर्ता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा के खिलाफ दर्ज एफआईआर का विरोध कर रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने अपने इस विरोध में कुमार विश्वास को शामिल नहीं किया। यानी कुमार विश्वास से कांग्रेस परहेज कर रही है। जिस एफआईआर का विरोध कांग्रेस कर रही है उसमें कुमार विश्वास भी आरोपी हैं। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस अलका लांबा के लिए प्रदर्शन कर रही है तो उसमें कुमार विश्वास को शामिल क्यों नहीं किया गया है? सब जानते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य नियुक्त कर रखा है। यानी गहलोत के माध्यम से कुमार विश्वास के तार कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। आयोग में आम तौर पर कांग्रेस विचारधारा के व्यक्तियों की नियुक्ति ही मौजूदा समय में की जा रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कुमार विश्वास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के संबंध पंजाब के अलगाववादियों के साथ रहने का आरोप लगाया था। इन आरोपों पर ही अलका लांबा ने कांग्रेस की ओर से टिप्पणी की थी। कुमार विश्वास के बयान और अलका लांबा की टिप्पणी को लेकर ही पंजाब की रोपण पुलिस ने दोनों के विरुद्ध धारा 153, 15ए, 323, 341, 506, 120बी के तहत केस दर्ज किया है। इस मुकदमे में गिरफ्तार से बचने के लिए कुमार विश्वास ने अब पंजबा-हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली है। विश्वास ने कोर्ट से आग्रह किया है कि इस एफआईआर को रद्द किया जाए।
S.P.MITTAL BLOGGER
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एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल
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