अलवर में 300 साल पुराने मंदिर पर बुलडोजर चलाए जाने के बाद सियासत गरमाई हुई है। विपक्ष इस कार्रवाई का जमकर विरोध कर रहा है। राजस्थान के अलवर में 300 साल पुराने मंदिर के ढहाए जाने के मामले पर जमकर सियासत हो रही है। मंदिर ढहाए जाने को लेकर लोगों में सीएम अशोक गहलोत और राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ नाराजगी देखने को मिल रही है। सोशल मीडिया पर भी यूजर्स अशोक गहलोत सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं। वहीं, भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है और गहलोत सरकार पर हमले कर रही है।
हालांकि, धर्मस्थल को हटाने या शिफ्ट करने के मामले में पूर्व की वसुंधरा सरकार भी पीछे नहीं रही है। पहले की भाजपा सरकार में अकेले जयपुर में 93 धर्मस्थल (मंदिर और मजार भी शामिल) हटाए या शिफ्ट किए गए थे।
दिसंबर 2013 की शुरूआत में, अकेले जयपुर में मंदिरों और कुछ मजारों सहित 93 धर्मस्थलों को हटा दिया गया या शिफ्ट कर दिया गया। इन सबके पीछे कारण अलग-अलग थे, जिनमें मेट्रो के काम और ट्रांसपोर्टेशन में ह्यबाधाह्ण पहुंचाना, सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण या अतिक्रमण शामिल था।
मंदिरों के ध्वस्तीकरण के बाद वसुंधरा राजे और आरएसएस के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। जबकि अधिकांश मंदिरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप, अवैध निर्माण के खिलाफ जिला प्रशासन के अभियान के तहत ध्वस्त किया गया था। इसमें जयपुर मेट्रो के लिए छह मंदिरों का ध्वस्तीकरण और शिफ्टिंग था, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था।
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जुलाई 2015 में संघ ने राजे सरकार के रवैये को औरंगजेब से भी बदतर करार दिया था और भाजपा के नौ विधायकों को जयपुर में भारती भवन में अपने मुख्यालय में तलब किया था। जहां ध्वस्तीकरण पर निष्क्रियता को लेकर उनसे जवाब मांगा गया था। मंदिर बचाओ संघर्ष समिति का समर्थन करते हुए, संघ और उससे जुड़े संगठनों ने दो घंटे का चक्का जाम बुलाया। संघ के विवेक गुप्ता का कहना था, मंदिर टूटे हैं, समाज में आक्रोश है और संघ भी समाज से ही बना है।
वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं का मानना था कि संघ ने इस मुद्दे का इस्तेमाल तत्कालीन सीएम को निशाना बनाने के लिए किया। उस वक्त एक भाजपा नेता ने कहा था, ‘लोगों ने वास्तव में इन मंदिरों के ध्वस्तीकरण का विरोध नहीं किया है। अगर उन्होंने इसका विरोध किया होता तो प्रशासन पहली बार में इतनी आसानी से अपना काम नहीं कर पाता। संघ को राजे पर निशाना साधने का मौका मिल गया है।’ (स्त्रोत जनसत्ता)