* अंदरखाने तय हुआ कुछ और! दिखाया गया कुछ और!!
* पार्टी हित मे कोई नेता नहीं दिखायेगा फूट के दृश्य!
* नड्डा जी की “ड्रिप” बस! चुनावों में टिकटों के बंटवारे तक!फिर सामने आएंगे मानव बम बने बाग़ी!
* फ़िलहाल वसुंधरा शांत!*
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*राजस्थान में भाजपा की अंतर कलह पर आख़िर दिखावटी तौर पर ही सही लेकिन काबू पा लिया गया है। आपसी खींचातानी करने वाले सभी नामी-गिरामी किरदारों को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने घर बुलाकर आपसी तालमेल बनाए रखने के उपदेश सुना दिए हैं। पार्टी के शीर्ष नेता ख़ुश हैं कि इस बैठक में ऐसे लोग भी शामिल हो गए जो कभी एक जाज़म पर बैठने को तैयार नहीं थे। ना एक दूसरे की शक़्ल देख कर ख़ुश होते थे।
*पार्टी के दिग्गज नेताओं को एक जगह बैठा कर साफ़ कर दिया गया है कि भविष्य में कोई भी नेता ऐसा बयान न दे,ऐसी गतिविधियों में लिप्त ना रहे जिससे पार्टी की छवि खराब हो या जिससे यह संदेश जाए कि पार्टी में फूट है। विशेषकर डॉक्टर सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे को लेकर इस बैठक में गायबाना संदेश इशारों इशारों में दे दिया गया है।
*सच पूछो तो वसुंधरा राजे की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए ही यह उच्च स्तरीय अंतिम प्रयास किया गया है जिसमें पार्टी फिलहाल सफल हो गई है। इस सफलता का मूल्यांकन करने के लिए यद्यपि अगले चुनाव तक इंतजार करना पड़ेगा। फ़िलहाल बैठक के बाद सब कुछ सही होने वाला लग रहा है ।
*यूँ दुनिया यह भी जान चुकी है कि राजस्थान के भाजपाई नेताओं में अंतर कलह उनकी रगों में शामिल हो चुका है। इतनी आसानी से ख़त्म होने वाला नहीं।नड्डा जी द्वारा चढ़ाई गई “बूस्टर ड्रिप”का दूरगामी असर होने वाला नहीं।चुनावों में टिकटों के बंटवारे तक भी इस ड्रिप का असर हो जाए ,यह बहुत होगा। संभावना है कि भाजपा के नेता अपने अपने चाहने वालों को टिकट दिलाने का प्रयास करेंगे और जब उनके हिसाब से नहीं मिलीं तो भाजपा में कई बाग़ी “मानव बम” सामने आ जाएंग।*
*नड्डा जी ने यद्यपि प्रधान मंत्री मोदी और अमित शाह के (आदेश) निर्देश बनाकर राजस्थानी नेताओं को दे दिए हैं कि पार्टी अगला चुनाव किसी नेता विशेष के चेहरे को सामने रखकर नहीं लड़ेगी।
*यह स्प्ष्ट निर्देश सीधे तौर पर वसुंधरा जी के लिए हैं जो लंबे समय से पार्टी को अपनी ताक़त का इज़हार करती रही हैं। उन्होंने ऊपर तक यह संदेश दे दिया था कि वे किसी के डराने धमकाने से तो पीछे नहीं हटने वाली ।
*वसुंधरा जी ने पार्टी के साथ रह कर जिस तरह ज़िद छोड़ी है उसे मैं उनकी दूरदर्शिता ही कहूँगा।मोदी लहर की रफ़्तार को देखते हुए उनका ज़रा सा पीछे हटना उनको आने वाले समय में और धारदार बनाएगा। 💯पार्टी में उनका रूख़ साफ़ होगा। वे बेहतर तरीके से ख़ुद को मज़बूत साबित कर पाएंगी।👍….दोस्तों!! वैसे शेर भी प्रहार करने से पहले दो कदम पीछे हटता है और फिर लंबी छलांग लगाकर अपना शिकार करता है।
*नड्डा जी की नकेल नेताओं की जगह कहीं पार्टी की नाक में ना बन्ध जाए! इसके लिए पार्टी के अफलातून नेताओं को सोच समझकर राजनीतिक व्यवहार करना होगा ।
*ख़ास तौर से चंद्रशेखर जी ! अरुण सिंह जी ! और डॉक्टर पूनिया को अपनी पुरानी हरकतों से बाज़ आना पड़ेगा ।वे आज प्रभावशाली हैं यह तो सही है मगर उनका प्रभामंडल चुनावों तक ही है। बाद में क्या होने वाला है यह वह भले ही ना जानते हों! मैं जानता हूं ! हा! हा! हा!
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |