मुझे प्लांट संम्भलवा दिया जाए तो दो साल में गंदे हरे पानी को पारदर्शी और नीला बना दूँ मगर ये ठकेदार पानी की काई को बना रहे हैं मलाईदार !
मेयर ब्रजलता और पति प्रियशील हाड़ा की क्या मजबूरियां हैं कि ज़िम्मेदार ठेकेदारों के ठेके निरस्त नहीं किए जा रहे!
झील को कुंभी पाक नर्क बनाए जाने के लिए कौन ज़िम्मेदार?
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*स्मार्ट सिटी योजना को लेकर अजमेर शहर के लोगों की उम्मीदें धूल में मिल चुकी हैं। किसी भी निर्माण को लेकर जनता संतुष्ट नहीं। इधर आना सागर अलग से क्रंदन कर रहा है। उसका गंदा पानी क्रोधित है। एशिया का सबसे शानदार एसपीटी प्लांट यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी को शुद्ध करने वाली बेशकीमती मशीनें आनासागर के पानी को शुद्ध नहीं कर पा रहीं। नतीजा यह है कि जो पानी मात्र 2 साल में काई से मुक्त होकर नीले रंग का हो जाना चाहिए था वह इतने सालों की सफाई के बाद भी हरे रंग का ही बना हुआ है।
*कहने को स्मार्ट सिटी अजमेर की सुंदरता में चार चांद लगाने वाली आनासागर झील को अंदर बाहर से सीमेंट और कंक्रीट से पाट दिया गया है मगर असलियत यह है कि उसका पानी नार्किक सड़ांध मार रहा है। बीमारियां उसके पानी को शहर के वातावरण तक पहुंचा रही हैं।
*यहां आपको बता दूं कि आनासागर के पानी में अजमेर शहर के गंदे पानी को लाने वाले सत्रह नाले हैं जो रात दिन गंदे पानी को सागर में पहुंचाते रहते हूं।यहां आपको बता दूं कि आनासागर के पानी में अजमेर शहर का गंदा पानी इसके अलावा कुछ शातिर जानबूझकर कर जलकुंभी सागर में डाल रहे हैं और सफाई के नाम पर पैसा कमा रहे हैं। काई पैदा हो रही है और पानी प्रदूषित हो चुका है ।यूँ आना सागर में डिवीडिंग मशीन से सफाई करवाए जाने का नाटक हर रोज़ गंदे पानी के साथ खेला जाता है।… मगर सच्चाई यह है कि एक तरफ़ मशीन पानी साफ़ कर रही होती हैं दूसरी तरफ आना सागर में जलकुंभी पाक नर्क बनाने का खेल चल रहा है ।
*जहां तक सवाल शक्तिशाली सीवरेज़ ट्रीटमेंट प्लांट का है उसकी महिमा सात नगरियों से न्यारी है ।प्लांट इतना शक्तिशाली है कि यदि ये मेरे नियंत्रण में दे दिया जाए तो मैं मात्र 2 सालों में गंदे हरे पानी को पारदर्शी नीले पानी में तब्दील कर सकता हूं।
*नगर निगम द्वारा दिए गए ठेके जिन लोगों के हाथ में हैं वह “आ रे माहरा समपट पाट! मैं तनहें चाटु तू म्हने चाट” वाले फार्मूले पर चल रहे हैं ।प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम ही नहीं कर रहा ।
*जहां तक नगर निगम की ईमानदार कहला कर खुश होने वाली मेयर ब्रजलता का सवाल है अब उनकी ईमानदारी थक हार कर बेईमानों के सामने घुटने टेक चुकी है।भ्रष्टाचार चरम पर है। हलवा बनाया,खाया, खिलाया और परोसा जा रहा है।
*आना सागर के पानी में जितनी गंदगी आपको नज़र आ रही है उतनी ही गंदगी निगम की कार्य प्रणाली में बदबू मार रही है।
*शहर भाजपा अध्यक्ष एवं मेयर पति प्रियशील हाड़ा का हाल यह है कि वे नगर निगम के लिए सर दर्द कम करने की जगह बढ़ाने वाले नेता साबित हो रहे हैं। मेरी नज़र में कल तक उनकी जितनी ईमानदार छवि थी वह आज कल उतनी ऊंचाई पर नज़र नहीं आ रही।
*सीवरेज प्लांट में पानी को शुद्ध करने वाला केमिकल जितनी मात्रा में डाला जाना चाहिए मेरा दावा है कि नहीं डाला जा रहा। केमिकल का ख़र्चा काग़ज़ में ही दिखाया जा रहा हूं। असलियत में उसका पैसा ठेकेदारों व अधिकारियों की मिलीभगत से बांटा जा रहा है। यदि मेरी बात ग़लत है तो इतना केमिकल डालने के बाद भी पानी शुद्ध और पारदर्शी क्यों नहीं हो पा रहा।❓️
*कांग्रेसी नेता और जागरूक नागरिक राजीव शर्मा से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि पानी से मिलने वाले सभी ज़िन्दा नालों को आपस में जोड़ते हुए रिंग प्योरिफाई विधि से शुद्ध किया जाना चाहिए ।प्लांट में पर्याप्त मात्रा में केमिकल डालते रहना चाहिए ताकि पानी तेजी से टर्सरी यानी पारदर्शी बनाया जा सके।
*लगे हाथ बता दूं कि मित्तल अस्पताल और अनंता रिसोर्ट में बहुत कम शक्ति के सीवरेज़ प्लांट लगाए गए हैं मगर उनमें बाकायदा केमिकल डालकर पानी को शुद्ध किया जा रहा है।अस्पताल और होटल में शुद्ध हुआ पानी उपयोगी बनाया जा रहा है। वहां भी ठोस कचरा अलग किया जाता है और यही वजह है कि वहां पानी पूरी तरह टर्सरी बनाया जा रहा है ।
*आना सागर में बनाया गया पाथ वे भी पानी को गंदा करने में पूरी भूमिका निभा रहा है ।इन पाथ वे के बाद सफाई के लिए एक सड़क बनाई जानी चाहिए थी, जिस पर दस बाई दस के जंक्शन बोर्ड कचरा संग्रहित कर बाहर निकालते ।
*जो लोग सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार हैं उन्हें मेयर हाड़ा की जगह कोई और मेयर होता तो 1 मिनट बर्दाश्त नहीं करता ,तुरंत ठेका निरस्त कर देता। मगर ऐसा न करने के पीछे उनकी क्या मजबूरी है वही जाने ! मैं तो सिर्फ समझ पा रहा हूं! कयास ही लगा रहा हूं!
*आनासागर बुरी तरह से गंदगी में जकड़ा हुआ है और अपने आप से शर्मिंदा है इस शर्मिंदगी के पीछे यदि मैं स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अधिकारियों को दोषी मान लूँ तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |
क्या आप इन्हे पढ़ना पसंद करेंगे ?