हिन्दुओं के प्रमुख देवता हनुमानजी

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हनुमान जी महाराज के जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं*
 *श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।*
*बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥*
*बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार*
*बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार*
*हनुमान जन्मोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं*
*लेख थोड़ा लंबा है लेकिन जरूर पढ़ें, हनुमान जी के बारे में संकलन किया गया है।।
 *श्री हनुमानजी के 10 रहस्यऔर प्रमुख 10 मंदिर जहा हर इच्छा पूरी होती हैं*
हिन्दुओं के प्रमुख देवता हनुमानजी के बारे में कई रहस्य जो अभी तक छिपे हुए हैं। शास्त्रों अनुसार हनुमानजी इस धरती पर एक कल्प तक सशरीर रहेंगे।
1. *हनुमानजी का जन्म स्थान*
कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा मानते हैं। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मार्ग में पंपा सरोवर आता है। यहां स्थित एक पर्वत में शबरी गुफा है जिसके निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध ‘मतंगवन’ था।
हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। श्रीराम के जन्म के पूर्व हनुमानजी का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था। हनुमान का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था।
2.*कल्प के अंत तक सशरीर रहेंगे हनुमानजी*
इंद्र से उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला। श्रीराम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी। सीता माता के वरदान अनुसार वे चिरजीवी रहेंगे। इसी वरदान के चलते द्वापर युग में हनुमानजी भीम और अर्जुन की परीक्षा लेते हैं। कलियुग में वे तुलसीदासजी को दर्शन देते हैं।
ये वचन हनुमानजी ने ही तुलसीदासजी से कहे थे-
‘चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर।
तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।’
श्रीमद् भागवत अनुसार हनुमानजी
कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं।
3.*कपि नामक वानर*
हनुमानजी का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। रामायणादि ग्रंथों में हनुमानजी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ ‘वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम’ आदि विशेषण प्रयुक्त किए गए। उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंकादहन इसका प्रमाण है कि वे वानर थे।
रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है, वहीं उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी शतश: प्रमाणों में व्यक्त किया है। अत: सिद्ध होता है कि वे जाति से वानर थे।
4. *हनुमान परिवार*
हनुमानजी की माता का अंजनी पूर्वजन्म में पुंजिकस्थला नामक अप्सरा थीं। उनके पिता का नाम कपिराज केसरी था। ब्रह्मांडपुराण अनुसार हनुमानजी सबसे बड़े भाई हैं। उनके बाद मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान थे।
कहते हैं कि जब वर्षों तक केसरी से अंजना को कोई पुत्र नहीं हुआ तो पवनदेव के आशिर्वाद से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ। इसीलिए हनुमानजी को पवनपुत्र भी कहते हैं। कुंति पुत्र भीम भी पवनपुत्र हैं। हनुमानजी रुद्रावतार हैं।
पराशर संहिता अनुसार सूर्यदेव की शिक्षा देने की शर्त अनुसार हनुमानजी को सुवर्चला नामक स्त्री से विवाह करना पड़ा था।
5. *इन बाधाओं से बचाते हैं हनुमानजी*
रोग और शोक, भूत-पिशाच, शनि, राहु-केतु और अन्य ग्रह बाधा, कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना से बचना, मंगल दोष, पितृदोष, कर्ज, संताप, बेरोजगारी, तनाव या चिंता, शत्रु बाधा, मायावी जाल आदि से हनुमानजी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
6. *हनुमानजी के पराक्रम*
हनुमान सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वत्र हैं। बचपन में उन्होंने सूर्य को निकल लिया था। एक ही छलांक में वे समुद्र लांघ गए थे। उन्होंने समुद्र में राक्षसी माया का वध किया। लंका में घुसते ही उन्होंने लंकिनी और अन्य राक्षसों के वध कर दिया।
अशोक वाटिका को उजाड़कर अक्षय कुमार का वध कर दिया। जब उनकी पूछ में आग लगाई गई तो उन्हों लंका जला दी। उन्होंने सीता को अंगुठी दी, विभिषण को राम से मिलाया। हिमालय से एक पहाड़ उठाकर ले आए और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की।
इस बीच उन्होंने कालनेमि राक्षस का वध कर दिया। पाताल लोक में जाकर राम-लक्ष्मण को छुड़ाया और अहिरावण का वध किया। उन्होंने सत्यभामा, गरूढ़, सुदर्शन, भीम और अर्जुन का घमंड चूर चूर कर दिया था।
हनुमानजी के ऐसे सैंकड़ों पराक्रम हैं।
7.*हनुमाजी पर लिखे गए ग्रंथ*
तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक, हनुमान साठिका, संकटमोचन हनुमानाष्टक, आदि अनेक स्तोत्र लिखे। तुलसीदासजी के पहले भी कई संतों और साधुओं ने हनुमानजी की श्रद्धा में स्तुति लिखी है।
इंद्रा‍दि देवताओं के बाद हनुमानजी पर विभीषण ने हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना की। समर्थ रामदास द्वारा मारुती स्तोत्र रचा गया। आनं‍द रामायण में हनुमान स्तुति एवं उनके द्वादश नाम मिलते हैं। इसके अलावा कालांतर में उन पर हजारों वंदना, प्रार्थना, स्त्रोत, स्तुति, मंत्र, भजन लिखे गए हैं। गुरु गोरखनाथ ने उन पर साबर मं‍त्रों की रचना की है।
8. *माता जगदम्बा के सेवक हनुमानजी*
रामभक्त हनुमानजी माता जगदम्बा के सेवक भी हैं। हनुमानजी माता के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी पीछे-पीछे। माता के देशभर में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमानजी और भैरव के मंदिर जरूर होते हैं। हनुमानजी की खड़ी मुद्रा में और भैरवजी की मुंड मुद्रा में प्रतिमा होती है। कुछ लोग उनकी यह कहानी माता वैष्णोदेवी से जोड़कर देखते हैं।
9. *सर्वशक्तिमान हनुमानजी*
हनुमानजी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। ब्रह्मदेव ने हनुमानजी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें उन पर ब्रह्मास्त्र बेअसर होना भी शामिल था, जो अशोकवाटिका में काम आया।
सभी देवताओं के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं। जैसे विष्णु के पास लक्ष्मी, महेश के पास पार्वती और ब्रह्मा के पास सरस्वती। हनुमानजी के पास खुद की शक्ति है। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है हनुमानजी। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती।
10. *इन्होंने देखा हनुमानजी को*
13वीं शताब्दी में माध्वाचार्य, 16वीं शताब्दी में तुलसीदास, 17वीं शताब्दी में रामदास, राघवेन्द्र स्वामी और 20वीं शताब्दी में स्वामी रामदास हनुमान को देखने का दावा करते हैं। हनुमानजी त्रेता में श्रीराम, द्वापर में श्रीकृष्ण और अर्जुन और कलिकाल में रामभक्तों की सहायता करते हैं।
🎪 *प्रमुख मंदिर*
1- अयोध्या में हनुमान मंदिर
अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर एक ऊंची पहाड़ी की चोटी पर सरयू नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। यहां स्थापित हनुमान प्रतिमा 6 इंच लंबी है, जो हमेशा मालाओं से सुशोभित रहती है।
2- मेंहदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान
भगवान हनुमान का यह बहुत प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर में स्थित है। यह मंदिर भूत-प्रेत बाधाओं को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।
3- संकट मोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी
संकट मोचन हनुमान मंदिर हिन्दू भगवान हनुमान के पवित्र मंदिरों में से एक हैं। यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय कॆ नजदीक दुर्गा मंदिर और नए विश्वनाथ मंदिर के रास्ते में स्थित हैं। माना जाता हैं कि इस मंदिर की स्थापना वही हुईं हैं जहां महाकवि तुलसीदास को पहली बार हनुमान का स्वप्न आया था। संकट मोचन मंदिर की स्थापना कवि तुलसीदास ने की थी।
4- राजस्थान में सालासर हनुमान मंदिर
सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यहां मंदिर में दाढ़ी और मूंछ वाली हनुमान जी की एक मूर्ति है। यह राजस्थान के चुरू जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 668 पर स्थित है। वर्ष भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं।
5- जामनगर में श्री हनुमान मंदिर
गुजरात राज्‍य के जामनगर में जामनगर में रणमल झील के दक्षिण पूर्व में हनुमान जी का एक चमत्‍कारी मंदिर है। जिसे बाल हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है।  इस मंदिर की स्‍थापना सन् 1540 में जामनगर की स्थापना के साथ ही हुई थी। यहां 1964 से लगातार राम धुनी गाई जा रही है और इसी वजह से इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है।
6- पटना में महावीर मंदिर
भगवान हनुमान को समर्पित सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक, प्रसिद्ध महावीर मंदिर बिहार के महानगरीय शहर पटना में स्थित है। पूरे उत्तर भारत में दूसरे सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों के रूप में माना जाता है। महावीर हनमन मंदिर का प्रशासन श्री महावीर स्थान न्यास समिति द्वारा किया जाता है।
7- हनुमान धारा, चित्रकूट
हनुमान धारा चित्रकूट में स्थित एक प्राचीन और धार्मिक स्थल है। हनुमान धारा पर आपको हनुमान जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है, जो ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है। बता दें, चित्रकूट भगवान श्रीराम की तपोस्थली है। पूरी दुनिया में धर्म और आस्था की नगरी चित्रकूट का खास महत्व है।
8- शिमला में जाखू मंदिर
जाखू मंदिर, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में “जाखू” पहाड़ी पर स्थित हनुमान का एक मंदिर है।  इस मंदिर की पौराणिक कहानी रामायण से जुडी हुई है। कहते है की भगवान श्री राम के छोटे भ्राता लक्ष्मण को पुनर्जीवित करने के लिए, जब हनुमान जी संजीवनी बूटी खोजने के लिए पहाड़ो की तरफ जा रहे थे तो इस स्थान पर उन्होंने रुक कर आराम किया था।
9- हनुमान मंदिर, दिल्ली
दिल्ली के कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर दिल्ली में महाभारत के दिनों के पांच मंदिरों में से एक है। मंदिर में भगवान हनुमान की एक स्वयं प्रकट मूर्ति है और श्री हनुमान जी महाराज के रूप में पूजा की जाती है।
10- नमक्कल अंजनेयर मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के नमक्कल जिले में पहाड़ियों के बीच मौजूद आंजनेयार मंदिर दुनिया के सबसे लोकप्रिय और प्राचीन  हनुमान मंदिरों में से एक है। करीब 5 शताब्दी के दौरान बनाए गए इस मंदिर में भगवान हनुमान की 18 फीट ऊंची प्रतिमा हाथ जोड़े खड़ी है।
*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।* *सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने॥*

सुदेश चंद्र शर्मा

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