राजस्थान में अशोक गहलोत ही कांग्रेस हाईकमान है

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सचिन पायलट की अनदेखी कर बीकानेर में गोविंद सिंह डोटासरा की ओर इशारा करते हुए कहा-कांग्रेस एकजुट है।

अविनाश पांडे की राजस्थान वापसी की चर्चा।

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9 अप्रैल को अखबारों में छपा कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की है। खबरों में यह भी कहा गया कि कांग्रेस हाईकमान ने पायलट से करौली प्रकरण में जानकारी भी ली। ऐसी खबरों के बीच ही 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीकानेर में कहा कि दिल्ली में कैमरे नहीं लगे हैं, इसलिए पता नहीं चलता कि हाईकमान से किसने मुलाकात की। कांग्रेस में गुटबाजी के सवाल पर गहलोत ने पास में बैठे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की ओर इशारा करते हुए कहा कि राजस्थान में कांग्रेस एकजुट है। गहलोत ने पार्टी में गुटबाजी को सिरे से नकार दिया। सीएम गहलोत भले ही गुटबाजी को नकारे, लेकिन सब जानते हैं कि पूर्व डिप्टी सीएम पायलट और उनके समर्थकों की सरकार और संगठन में कोई सक्रियता नहीं है। असल में कांग्रेस में वो ही हो रहा है जो सीएम गहलोत चाहते हैं। पायलट को दिल्ली में प्रियंका और राहुल से मिलने से अब कुछ नहीं होने वाला। कांग्रेस हाईकमान माने जाने वाले प्रियंका और राहुल अब राजस्थान में अशोक गहलोत पर ज्यादा भरोसा करते हैं। कहा जा सकता है कि गहलोत ही कांग्रेस के हाईकमान है। 10 अप्रैल को जुलाई 2020 में कांग्रेस के विधायकों को खरीदने का प्रयास किया गया। यानी पायलट के 18 विधायकों के साथ दिल्ली जाने से गहलोत अभी भी खफा है। अब जब विधानसभा चुनाव में डेढ़ वर्ष शेष रहा है, तब भी प्रदेश की राजनीति में पायलट की सक्रियता की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। अशोक गहलोत भले ही पायलट को कोई तवज्जो न दे, लेकिन प्रदेश भर में पायलट की लोकप्रियता बनी हुई है। कार्यकर्ताओं की पहली पसंद पायलट ही है। सब जानते हैं कि जब पायलट ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद संभाला था, तब 200 में से कांग्रेस के 21 विधायक थे। भाजपा शासन में संघर्ष करते हुए पायलट के नेतृत्व में ही 2018 में कांग्रेस का बहुमत मिला। हालांकि तब पायलट के बजाए गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया। डेढ़ वर्ष में गहलोत ने पायलट के समक्ष ऐसे हालात पैदा कर दिए, जिसमें पायलट को 18 विधायकों को लेकर दिल्ली जाना पड़ा। पायलट और उनके समर्थकों को अगले वर्ष होने वाले चुनावों में अशोक गहलोत से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
अविनाश पांडे की वापसी की चर्चा:
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे एक बार फिर प्रदेश प्रभारी बन कर राजस्थान आ सकते हैं। पंजाब चुनाव में करारी हार के बाद से मौजूदा प्रभारी महासचिव अजय माकन दिल्ली में मायूस होकर बैठे हैं। पंजाब की हार के बाद से माकन जयपुर नहीं आए हैं। 9 अप्रैल को महंगाई के मुद्दे पर अविनाश पांडे ने ही जयपुर में कांग्रेस की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सीएम अशोक गहलोत भी चाहते हैं कि अविनाश पांडे ही प्रदेश प्रभारी हों। मालूम हो कि सचिन पायलट के विरोध के कारण ही पांडे को राजस्थान से हटाया था। यह बात अलग है कि राजस्थान के बाद पांडे को जिस राज्य की जिम्मेदारी दी उसमें कांग्रेस की बुरी हार हुई। लेकिन अविनाश पांडे हाईकमान के प्रति वफादार हैं, इसलिए महासचिव का पद बरकरार है।
S.P.MITTAL BLOGGER (11-04-2022)
Website- www.spmittal.in

एस पी मित्तल

वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल

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