यमुना जयंती पर आज पाएं नीरोगी होने का वरदान

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चैत्र नवरात्र की ‘छठ’ को यमुना जयंती मनाई जाती है। यमुना नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो यमुनोत्री से निकलती है और प्रयाग गंगा में मिल जाती है। यमुना का उत्पत्ति स्थान हिमालय के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा अथवा कालिंदी कहा जाता है। यमुना छठ का मथुरा, वृन्दावन और बरसाने में बहुत महत्व है।
हिंदू द्वारा बनाई जाने वाली प्रमुख जयंतियों में से यमुना जयंती एक है। यमुना भुवन भास्कर सूर्य की पुत्री, मृत्यु के देवता यम और शनिदेव की बहन है। यमराज यमुना जी के बड़े भाई और शनिदेव छोटे भाई है और वैष्णव मतानुसार भगवान श्री कृष्ण की पटरानी है। ब्रज संस्कृति के जनक भगवान श्री कृष्ण कहे जाते हैं और यमुना बृज की जननी अर्थात बृजजवासियों की माता, इसीलिए बृजवासी इन्हें यमुना मैया कह कर पुकारते हैं।
पुराण के अनुसार प्राचीन काल में वृंदावन में यमुना की कई धाराएं थी, जिस कारण यह एक प्रायदीप बन गया था। उसमें अनेक सुंदर वनखंड और घास के मैदान थे। जहां भगवान श्री कृष्ण अपने गोप साथियों के साथ गाय चराते थे और अब वर्तमान समय में यमुना की एक ही धारा है और उसी के तट पर वृंदावन बसा हुआ है। वृंदावन में यमुना के किनारे सुंदर घाट बने हुए हैं, उन पर अनेक मंदिर – देवालय, छतरियां और धर्मशालाएँ है, जो यमुना तट की शोभा बढ़ाते हैं और यमुना वृंदावन से दक्षिण की ओर बहती हुई मथुरा नगरी में प्रवेश करती है।
यमुना छठ के दिन यमुना जी की पूजा की जाती है और तीर्थ घाट पर पूजा और आरती का भव्य आयोजन होता है। यमुना छठ के दिन मथुरा में विश्राम घाट पर पूजा और आरती का विशेष कार्यक्रम होता है और उनको छप्पन भोग अर्पण किए जाते हैं। यमुना माता की झांकियां पूरे शहर में निकाली जाती है। यमुना छठ के दिन सभी देवता यमुना नदी में स्नान करते हैं, इसलिए इस दिन यमुना छठ की पूजा, अर्चना और स्नान करने से सभी पाप का विनाश होता है और मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन महाप्रभु वल्लभाचार्य ने ‘यमुनाष्टक’ की रचना की थी।
यमुना नदी का जल श्याम वर्ण का है। वामन पुराण के अनुसार राजा दक्ष ने सती के पति भगवान शिव के प्रति अपमानजनक शब्द कहे। जिस कारण माता सती ने यज्ञ की अग्नि में अपने शरीर को भस्म कर दिया। जब यह समाचार भगवान शिव को मिला तो दुखी होकर यमुना नदी में कूद पड़े जिस कारण यमुना नदी का रंग काला हो गया। ऐसी भी मान्यता है कि यमुना नदी में कालिया नाग रहता था। कालिया नाग के विष की वजह से यमुना नदी का रंग काला हो गया, भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का उद्धार कर यमुना नदी को विषरहित किया और यह भी कहा जाता है कि मुरलीधर के यमुना नदी में प्रवेश से जल काला पड़ गया।
ऐसा भी माना जाता है कि राधा कृष्ण के यमुना नदी के तट पर विहार करने से श्री राधा रानी के अंदर की कस्तूरी धीरे-धीरे यमुना नदी में घुलने से यमुना नदी का रंग श्यामल हो गया।
ऐसी भी मान्यता है कि यमुना जी को श्री कृष्ण की पत्नी माना गया है और हर वक्त अपने श्याम के प्यार में डूबी रहने के कारण उनका वर्ण श्याम हो गया।
यमुना छठ के दिन प्रातः काल यमुना जी में स्नान किया जाता है। पूरे दिन भगवान श्री कृष्ण का नाम मन में जपते रहें और संध्या के समय पूजा अर्चना कर यमुनाष्टक का पाठ किया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और उनके नाम से व्रत भी रखा जाता है। संध्या के समय पूजा अर्चना करके और यमुना जी को भोग लगाकर व्रत का पारण करें और यथा अनुसार दान पुण्य करें। मां यमुना प्रसन्न होकर आपको आरोग्य होने का वरदान देती है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076

सुदेश चंद्र शर्मा

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