* तीन अधिकारियों की “हाई पावर कमेटी” सात दिनों में देगी रिपोर्ट!
* देथा के लाडले लाल अविनाश शर्मा ने “चिंता- अवसाद” की बीमारी सामने रख मांगा एक माह का अवकाश!*
* और कई अंतर्कथा पढ़िए मेरे बालिग ब्लॉग में!
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*स्मार्ट सिटी की सुंदरता में चार चांद लगाने के लिए जितने भी निर्माण कराए जा रहे हैं उनमें घटिया सामग्री को लेकर मैंने हाल ही में एक आक्रामक ब्लॉग लिखा था। इसमें एलिवेटेड रोड सहित सभी निर्माण कार्यों पर सवाल उठाए थे। सवाल इतने दो टूक और जनहित के थे कि ज़िला कलेक्टर महोदय अंशदीप ने उनके जवाब ढूंढने का संकल्प ले लिया है। उन्होंने एक आदेश निकाल कर निर्माण कार्यो की गुणवत्ता को जांचने के लिए “हाई पावर कमेटी” का गठन किया है।
*मैं ज़िला कलेक्टर अंशदीप को उनके इस नए संकल्प के लिए तहे दिल से बधाई देता हूं। कम से कम पहली बार किसी प्रशासनिक अधिकारी ने ,अपने अधिकारों का प्रयोग नैतिक ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए किया है।
*पिछले ज़िला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित ईमानदारी की ढफली और संवेदनशीलता का झुनझुना बजाते रहे, लेकिन हमेशा उन्होंने बेईमान और भ्रष्ट अधिकारियों को ही प्रोत्साहित किया ।
*निवर्तमान ज़िला कलेक्टर गौरव गोयल,विश्व मोहन और राजपुरोहित के समय में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जगह निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार किए जाने के दरवाज़े खोले जाते रहे ।
*वर्तमान ज़िला कलेक्टर अंश दीप पहले ऐसे प्रशासनिक अधिकारी हैं जिन्होंने जनता और सरकार के पैसे को सही दिशा में उपयोग लाने के लिए “एयर ब्रेक” लगा दिए हैं। उन्होंने पिछले दिनों निर्माण कार्यों की जांच के लिए दो आदेश निकाले ।पहले उन्होंने ही जो गुणवत्ता जांच समिति बनाई उसे निरस्त कर दिया। शायद उन्हें वह कम शक्तिशाली लगी थी। उन्होंने दूसरी और अधिक शक्तिशाली कमेटी बना दी ।इसमें अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावशाली ओहदेदार शामिल किए गए हैं।
*जिला कलेक्टर ने पटेल मैदान एवं इंडोर स्टेडियम के पुनरुद्धार एवं नई इनडोर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के निर्माण कार्य के अलावा जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा में नए भवन के निर्माण कार्य और इसी अस्पताल के शिशु चिकित्सा विभाग में मल्टी लेवल पार्किंग के निर्माण के लिए इस कमेटी को जांच में शामिल किया है।यही कमेटी एलिवेटेड रोड के निर्माण में पारदर्शिता लाने के लिए भी गुणवत्ता परखेगी। इसमें तीन उच्चाधिकारियों को गुणवत्ता जांचने के लिए नामांकित किया गया है । मुख्य अभियंता नगर निगम, अतिरिक्त मुख्य अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग और अधीक्षण अभियंता क्वालिटी कंट्रोल सार्वजनिक निर्माण विभाग को शामिल किया गया है।
*मेरे ब्लॉग में उठाए गए सवालों का जवाब ये तीनों अधिकारी 7 दिन में ज़िला कलेक्टर को देंगे ।
*मुझे उम्मीद है कि स्मार्ट सिटी योजना में लगे अतिरिक्त रूप से स्मार्ट अधिकारियों के घपलों को यह समिति सामने लेकर आएगी।यदि पूर्व जिला कलेक्टर ऐसी समिति गठित करते रहते तो शायद इतना भ्रष्टाचार नहीं पसरता।
*आपको याद होगा कि आनासागर और एलिवेटेड रोड को लेकर सिर्फ़ मैं ही नहीं भाजपा के कई नेता बराबर अलग-अलग प्लेटफार्म पर व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर बोलते रहे ।अजमेर के लाडले लाल व केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक वासुदेव देवनानी , अनिता भदेल,मेयर ब्रजलता हाड़ा,धर्मेश जैन सहित कई जनप्रतिनिधियों ने ज़िला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। देवनानी जी तो बराबर विधानसभा में भ्रष्टाचार को लेकर बार घालते रहे मगर हाथी मद अंध होकर दौड़ता रहा उसके पीछे जनप्रतिनिधि बोलते(भौंकते) रहे।
*इस बार आए कलेक्टर साहब ने अपनी जिम्मेदारियों को बारीकी से समझा है और अब वे उसके अनुरूप फैसले भी ले रहे हैं।
*उधर एक मज़ेदार बात आप लोगों से और भी साझा कर रहा हूं। भ्रष्टाचार के भूसे पर ईमानदारी की खाल ओढ़े कई अफसरों के हौसले अब पस्त होने लगे हैं ।ऐसे कर्ताधर्ता जो पिछले कलेक्टरों की छत्रछाया में चारों तरफ से फल-फूल रहे थे अब नए कलेक्टर की भूमिका पर घबराए हुए हैं ।गुनाहों में अंदर के डर बोल रहे हैं ।
*इनमें प्रमुख बल्लेबाज़ अविनाश शर्मा के तो तोते ही उड़े हुए हैं ।उन्होंने मेडिकल सर्टिफिकेट का सहारा लेकर 1 महीने का अवकाश मांग लिया है। जो मेडिकल सर्टिफिकेट 1 महीने की छुट्टी के लिए संलग्न किया है आप उसे मेरे फेसबुक अकाउंट पर देख सकते हैं। वह non-gazetted मेडिकल अधिकारी के प्रपत्र द्वारा प्रमाणित है ,जिसमें उन्हें “चिंता- अवसाद” की बीमारी से ग्रस्त बताया गया है और उनको महीने भर की छुट्टी लेकर आराम करने की सलाह दी है।यूँ नियमानुसार सिर्फ़ गज़ीटेड मेडिकल ऑफिसर के प्रपत्र द्वारा प्रमाण पत्र ही अविनाश शर्मा के मामले में प्रमाणित माना जा सकता है। इस दृष्टि से यह अमान्य है।मगर उसे मान्य भी मान लिया जाए तो इस बीमारी का एक महीने में इलाज़ नहीं हो सकता। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी पूरी तरह ठीक होने में 3 से 4 महीने लगाती है। यदि वास्तव में अविनाश शर्मा चिंता अवसाद से ग्रस्त हैं तो उन्हें स्मार्ट सिटी के सभी काम छोड़कर लंबे अवकाश पर चले जाना होगा।मैं लगे हाथ उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी करता हूँ।
*यहां आपको एक सच्ची अंतर कथा और बता दूँ कि श्रीमान अविनाश शर्मा ने पिछले बोर्ड की बैठक में प्रशासन से अपने लिए मुख्य अधिशासी अभियंता के अधिकार मांगे थे ।अगर यह अधिकार उन्हें मिल जाते तो वह स्मार्ट सिटी योजना के मुख्य संरक्षक बन जाते!…. मगर उनके विरुद्ध जागरूक जन सेवक अशोक मलिक ने इतनी शिकायतें उच्च स्तर पर कर दीं कि वे इन अधिकारो से वंचित ही रह गए।
*सोलहवीं बैठक में जो विगत 22 मार्च को हुई उसके प्रस्ताव संख्या 22 में अविनाश शर्मा ने अपने लिए अतिरिक्त अभियंता को मुख्य अभियंता की शक्तियां (प्रशासनिक व वित्तीय) देने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया । जिसे बाद में रूडिस्को के मुख्य अभियंता अरुण व्यास की नियुक्ति देकर ठुकरा दिया गया।अब उनकी कुंडली खोलने में वे कोई कमी नहीं छोड़ेंगे।
*जो अधिकारी प्रशासनिक बादशाह और अपने आका भवानी सिंह देथा के समय अजमेर सिटी का सर्वे सर्वा बना हुआ था अब देथा के पद पर जोगाराम जी के आने से भीगी बिल्ली बन गया है। उसे चिंता अवसाद सताने लगा है। डर और जांच में सहयोग न करने की मंशा को छुपाने के लिए वह नाटकीय अंदाज़ में घबराया हुआ लग रहा है।
*जानकारी तो यहां तक मिली है कि वह अपने मूल विभाग में जाने की इच्छा भी व्यक्त कर चुका है। मेरा भी मानना है कि अविनाश शर्मा को अपनी तबीयत ठीक करने के लिए न केवल अवकाश पर बल्कि मूल विभाग में चले जाना चाहिए ,ताकि स्मार्ट सिटी योजना! अन्य ईमानदार अधिकारियों द्वारा संचालित की जा सके!
*मेरे इस ब्लॉग में वर्णित सभी तथ्यों के प्रमाण आप मूल रूप में मेरे फेसबुक अकाउंट पर देख सकते हैं।
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |