गजल, कहानी, गीत, उपन्यास लिखने का शौक ऐसा कि 84 वर्ष की उम्र में भी युवा बने हुए हैं अजमेर के विनोद सोमानी हंस

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70 वर्ष से निरंतर कर रहे हैं लेखन का काम। 1954 में राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा ने थपथपाई थी पीठ। तभी हंस की उपाधि मिली

देश दुनिया में ऐसे अनेक साहित्यकार मिल जाएंगे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास, कहानियां, गजलें, गीत आदि लिखे। लेकिन ऐसे साहित्यकार बहुत कम होंगे जो 84 साल की उम्र में भी स्वयं को युवा मान कर लेखन का काम कर रहे हैं। ऐसे साहित्यकार हैं अजमेर के विनोद सोमानी हंस। 5 अप्रैल को सुबह जब मेरी 84 वर्षीय विनोद सोमानी से फोन पर बात हुई तो आवाज से ऐसा लगा ही नहीं कि मैं किसी बुजुर्ग से बात कर रहा हंू। उन्होंने बताया कि वे आज भी सुबह चार बजे उठते हैं और दिन भर अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। हालांकि उनके पुत्र और अजमेर के सुप्रसिद्ध मित्तल अस्पताल के उपाध्यक्ष श्याम सोमानी ने घर पर सभी सुविधाएं उपलब्ध करवा रखी हैं, लेकिन फिर भी विनोद सोमानी आत्मनिर्भर जिंदगी जीने में यकीन करते हैं। पत्नी विद्या सोमानी को भले ही ऑक्सीजन की जरुरत पड़े, लेकिन विनोद सोमानी पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। इस उम्र में भी स्वस्थ रहने की वजह यही है कि उनका लेखन आज भी जारी है। असल में गजल और गीत लिखने से मन हमेशा युवा बना रहता है और जब मन युवा रहता है तो फिर शरीर पर उम्र का कोई असर नहीं होता। सुबह चार बजे उठने के बाद हंसको रात 9 बजे सुकून की नींद आ जाती है। हंस की उपाधि के संबंध में सोमानी ने बताया कि 1954 में जब वे दसवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब स्कूल के समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा मुख्य अतिथि के तौर पर आए। तब मुझे एक साथ तीन पुरस्कार मिलने पर सुखाडिय़ा ने पीठ थपथपाई। मुख्यमंत्री की प्रशंसा से प्रभावित होकर ही स्कूल के प्राचार्य और शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि विनोद तुम तो स्कूल के हंस हो। तभी से मेरे नाम के साथ हंस जुड़ गया और यह खूबसूरत हंस मेरे जीवन के साथ आज भी जुड़ा हुआ है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि अंतिम सांस तक में गीत और गजल लिखता रहंू। विनोद सोमानी हंस की इस जिंदा दिली के लिए मोबाइल नंबर 9351090005 पर हौसला अफजाई की जा सकती है
सोमानी की साहित्यिक यात्रा:
विनोद सोमानी का प्रथम कविता संग्रह त्रिकोण 1968 में प्रकाशित हुआ, जिसकी भूमिका प्रख्यात हिन्दी सांसद सेठ गोविंद राम ने लिखी। अब तक हिन्दी में 23 तथा राजस्थानी भाषा में 9 साहित्यिक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। 14 कविता संग्रह, 6 उपन्यास, 8 कहानी संग्रह, एक जीवनी, एक निबंध संग्रह, एक व्यंग्य संग्रह तथा अनुवाद प्रकाशित है। सोमानी को प्रतिष्ठित लखोटिया पुरस्कार के साथ साथ राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के भी अनेक पुरस्कार मिले हैं। राजस्थानी भाषा में मगध अनुवाद के लिए केंद्रीय साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिला है। महाकाव्य म्हारा दाता गिरधारी के लिए मीरा स्मृति संस्थान चित्तौड़ का महाकवि मीरा काव्य पुरस्कार प्राप्त हुआ। महाराष्ट्र दलित साहित्य अकादमी द्वारा प्रेमचंद लेखक पुरस्कार, राजस्थानी विकास मंच संस्थान जालौर द्वारा बीआर लिट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। देश की प्रमुख साहित्यिक पुस्तकों में सोमानी के गीत, गजल, कहानी आदि प्रकाशित हुए।
S.P.MITTAL BLOGGER
Website- www.spmittal.in

एस पी मित्तल

वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल

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