आ रहा है नरेंद्र मोदी का एक और झटका- एक्ट 30ए

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 नेहरू के हिंदुओं के साथ विश्वासघात को सुधारने के लिए मोदीजी तैयार हैं।

 क्या आपने “कानून 30”, “कानून 30 ए” सुना है ????  इस

 क्या आप जानते हैं “30A” का हिन्दी में क्या मतलब होता है?

 *30A* संविधान में निहित एक कानून है
          जब नेहरू ने इस कानून को संविधान में शामिल करने की कोशिश की तो बाबा साहेब आंबेडकर ने इसका कड़ा विरोध किया।  बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा, “यह कानून हिंदुओं के साथ विश्वासघात है, इसलिए अगर यह पशु कानून संविधान में लाया गया तो मैं कैबिनेट और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा। इसके खिलाफ आखिरकार बाबा साहेब आंबेडकर की इच्छा के आगे घुटने टेकने पड़े नेहरू.. लेकिन दुर्भाग्य से पता नहीं.. इस घटना के बाद कुछ ही महीनों में बाबा साहेब आंबेडकर की अचानक मौत कैसे हो गई।
  अंबेडकर की मृत्यु के बाद नेहरू ने इस कानून को संविधान में शामिल किया। 30 ए. मैं आपको इसकी विशेषताएं बताता हूं। इस कानून के अनुसार – हिंदुओं को हिंदुओं के बीच अपना “हिंदू धर्म” सिखाने की अनुमति नहीं है।  “अधिनियम 30ए” उसे अनुमति या अधिकार नहीं देता…
 इसलिए हिंदुओं को अपने निजी कॉलेजों में हिंदू धर्म नहीं पढ़ाना चाहिए…
 हिंदू धर्म की शिक्षा के लिए कॉलेज शुरू नहीं होने चाहिए…. हिंदू धर्म सिखाने के लिए हिंदू स्कूल शुरू नहीं होने चाहिए।  एक्ट 30ए के तहत पब्लिक स्कूलों या कॉलेजों में हिंदू धर्म पढ़ाने की अनुमति नहीं है। परंतु   अजीब बात यह है कि (30ए) नेहरू ने अपने संविधान में एक और कानून बनाया – “कानून 30″।  इस “कानून 30” के अनुसार मुसलमान अपनी धार्मिक शिक्षा के लिए इस्लामी धार्मिक स्कूल शुरू और शुरू कर सकते हैं।  मुसलमान अपना धर्म सिखा सकते हैं।
 कानून 30 मुसलमानों को अपना ‘मदरसा’ शुरू करने का पूरा अधिकार और अनुमति देता है।  ….. और संविधान का अनुच्छेद 30 ईसाइयों को अपने स्वयं के धार्मिक स्कूल और कॉलेज स्थापित करने और अपने धर्म को मुफ्त में पढ़ाने और प्रचार करने का पूरा अधिकार और अनुमति देता है !!
 इसका एक और कानूनी पहलू यह है कि हिंदू मंदिरों का सारा धन और संपत्ति सरकार की इच्छा पर छोड़ी जा सकती है।
 वहीं मुस्लिम और ईसाई मस्जिदों से दान और दान विशेष रूप से ईसाई-मुस्लिम समुदाय के लिए दिया जाता है…. इस “कानून 30” की विशेषताएं इस प्रकार हैं ..
   इसलिए, “अधिनियम 30ए” और “अधिनियम 30” हिंदुओं के साथ जानबूझकर भेदभाव और व्यवस्थित विश्वासघात हैं।

सुदेश चंद्र शर्मा

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