यदि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने करौली में आग लगवाई तो मुख्यमंत्री को मुकदमा दर्ज करवा कर कार्यवाही करनी चाहिए

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क्या ऐसा बयान करौली के पत्थरबाजों को बचाने का प्रयास है? पीएफआई के पत्र का भी खुलासा हो।

रमजान माह में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में निर्बाध बिजली आपूर्ति के आदेश। मंत्री जाहिदा खान की पहल।

राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल को जो हिंसा हुई उसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जिम्मेदार ठहराया है। गहलोत का आरोप है कि नड्डा सवाई माधोपुर आए और करौली में आग लग गई। राजस्थान में भाजपा चुनावी मोड में आ गई है, इसलिए आने वाले दिनों में अमित शाह और अन्य नेता भी राजस्थान आएंगे। अशोक गहलोत मुख्यमंत्री के संवैधानिक और जिम्मेदार पद पर बैठे हैं। मुख्यमंत्री ने यदि कोई बात कही है तो उसका कुछ तो आधार होगा। यानी खुफिया एजेंसियों ने बताया होगा कि जेपी नड्डा ने सवाई माधोपुर के रणथंभौर में करौली में हिंसा करवाने की साजिश रची है। खुफिया एजेंसियों की सूचनाओं के आधार पर मुख्यमंत्री ने नड्डा पर इतना बड़ा आरोप लगाया है। यदि मुख्यमंत्री का कथन सही है तो उन्हें नड्डा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर  कार्यवाही करवानी चाहिए। सब जानते हैं कि करौली की हिंसा में चार पुलिसकर्मियों सहित 30 लोग घायल हुए तथा दो दर्जन दुकानों में आग लगी। इसलिए करौली की घटना को छोटी घटना नहीं माना जा सकता। यदि राज्य सरकार नड्डा के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती है तो यह माना जाएगा कि मुख्यमंत्री ने करौली के पत्थरबाजों को बचाने का काम किया है। सीएम गहलोत की पुलिस ने ही माना है कि 2 अप्रैल को जब हिन्दू नववर्ष पर बाइक रैली निकल रही थी, तब करौली के मुस्लिम बाहुल्य हटवाड़ा बाजार में एक धार्मिक स्थल और मकानों की छत से रैली पर पत्थर फेंके गए। छतों से पत्थर फेंक जाने के वीडियो न्यूज़ चैनलों पर लगातार दिखाए जा रहे हैं। इस पत्थरबाजी के बाद ही आगजनी हुई। अच्छा होता कि रैली पर पत्थर फेंकने वालों पर कार्यवाही होती, लेकिन उल्टे करौली की घटना के लिए जेपी नड्डा को दोषी ठहरा दिया गया। क्या मुख्यमंत्री के बयान से पत्थरबाजों का बचाव नहीं होगा? करौली के प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने हिन्दू नववर्ष पर फसाद होने की आशंका व्यक्त करते हुए गहलोत सरकार के बड़े अधिकारियों को पहले ही पत्र लिख दिया था। सवाल उठता है कि सरकार ने पीएफआई के इस पत्र पर क्या कार्यवाही की? आखिर पीएफआई को यह सूचना कहां से मिली कि हिन्दू नववर्ष पर माहौल बिगडेगा? करौली के प्रकरण में जो वीडियो जारी हो रहे हैं, उनमें धार्मिक स्थल और छतों पर पहले से ही पत्थर जमा कर रखे हुए थे। जांच तो पत्थरों के जमा होने की भी होनी चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने करौली प्रकरण में राजनीति घुसेड़ कर असली आरोपियों को बचाने का काम किया है।
मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बिजली कटौती नहीं:
चार अप्रैल से शुरू हुए रमजान माह में राजस्थान के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में किसी भी प्रकार से बिजली कटौती नहीं होगी। जोधपुर विद्युत वितरण निगम द्वारा एक अप्रैल को जारी आदेश में निगम के सभी अधीक्षण अभियंतओं को निर्देश दिए गए हैं कि चार अप्रैल से रमजान का महीना आरंभ हो रहा है, ग्रीष्म ऋतु में रोजेदारों को परेशानी न हो इसको देखते हुए रमजान महीने में संपूर्ण मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में कोई कटौती नहीं की जाकर निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करें। जोधपुर निगम की तरह ही अजमेर और जयपुर विद्युत वितरण निगमों ने भी इस आशय के आदेश जारी किए हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार मंत्री जाहिदा खान ने रमजान माह में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखा था। इस पत्र के बाद ही ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने तीनों विद्युत निगमों को निर्देश दिए। हालांकि इन दिनों नवरात्र हिन्दू नववर्ष, गणगौर, हनुमान जयंती, रामनवमी, महावीर जयंती आदि के धार्मिक आयोजन भी हो रहे हैं, लेकिन सरकार ने विद्युत आपूर्ति के संदर्भ में इन पर्वों का कोई उल्लेख नहीं किया है, यही वजह है कि अब सरकार के ऐसे आदेश विपक्ष के निशाने पर है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और वरिष्ठ भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि रमजान माह में बिजली कटौती न हो इस पर किसी को भी एतराज नहीं है। लेकिन ऐसे आदेश सभी धर्मों के पर्वों पर समान रूप से जारी होने चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER
Website- www.spmittal.in

सुदेश चंद्र शर्मा

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