विक्रम संवत से जुड़ी धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यता
चैत्र प्रति पदा का विशिष्ट ऐतिहासिक महत्व भी हैं क्योंकि सनातन धर्म की मान्यता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्योदय के समय ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। उन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत का पहला दिन प्रारंभ होता है। कहते हैं कि प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है। चैत्र प्रतिपदा शक्ति और भक्ति के प्रतीक नवरात्र का पहला दिन भी है। युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ। चैत्र प्रतिपदा ही सिखो के द्वितीय गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस भी है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृण्वंतो विश्वमार्यम् का संदेश दिया | सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावत संत झूलेलाल जी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था | सम्राट विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को पराजित कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठ राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना था।
परमपिता परमात्मा सभी मानव मात्र को विक्रम संवत 2079 के अंदर रिद्धि दे, सिद्धि सुख समृद्धि प्रदान करें | हमारे ह्रदय और अंतरात्मा को ज्ञान से आलोकित करे | हम सभी चिंता मुक्त जीवन जीयें | हमारा जीवन के अंदर कष्ट दुःख और को दूर रहे, हम अपने स्वजनों और मित्रों से स्नेहपूर्ण व्यवहार करें | हम सभी स्वस्थ रहें | राष्ट्र दिन प्रति दिन उन्नति करें | सभी भारतवासी आपस में स्नेह पूर्वक रहें एक दूसरे पर परस्पर विश्वास करें और सौहार्द बनाये रखे | अपने अपने इष्ट देव और आराध्य देव की अनुकंपा बनी रहे |