किसी भी समय गिर सकते हैं एलिवेटेड पुल‼️

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*घटिया निर्माण सामग्री का हुआ इस्तेमाल❗

*हर जगह घपले ही घपले!और जनप्रतिनिधि बिल्कुल चुप

*हर डाल पे उल्लू बैठा है,अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा❓

              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                     *ये जो सीमेंट का जंगल अजमेर के सीने पर “स्मार्ट सिटी” के नाम पर उगाया जा रहा है। क्या भविष्य में यह अपनी मजबूती सिद्ध कर पाएगा❓ एलिवेटेड रोड के नाम पर बनाए जा रहे हैं पुल क्या लंबे समय तक अपने वजूद को कायम रख पाएंगे ❓क्या इनमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री वही है जो निर्माण शर्तों में शामिल की गई है❓ कहीं ऐसा तो नहीं कि यह सारे निर्माण!  उद्घाटन से पहले ही ज़मींदोज़ हो जाएँ❓ कहीं हम किसी बहुत बड़े जानलेवा हादसे की तरफ तो नहीं बढ़ रहे❓ कहीं दिखाई देने वाला विकास..  विनाश का रास्ता तो तय नहीं कर रहा❓
                    *इतने सारे सवाल मैंने आप लोगों से बेमतलब नहीं पूछे हैं❗ स्मार्ट सिटी योजना के निर्माण में जुटे कुछ ज़िम्मेदार लोगों ने जिस तरह निर्माण कंपनियों से पैसा खाकर उन्हें निर्माण सामग्री इस्तेमाल में घटिया पन की आज़ादी दी है, उसे देखकर ऊपर वाले सारे सवालों के जवाब देने पर वे बेहद डरावने हो जाते हैं।
               *नगर के जागरूक और तेज़तर्रार समझे जाने वाले  पूर्व पार्षद अशोक मलिक ने दस्तावेज़ी सबूतों के साथ इन सवालों को प्रधानमंत्री तक  शिकायत के रूप में पहुंचा दिया है। कई मोर्चों पर जांच भी शुरू हो गई है।
               *हो सकता है कुछ लोग अशोक मलिक के नाम से चौंक जाएं या मुंह बिदका लें उन्हें आदतन पंगे बाज़ मानकर नकार दें❗लेकिन मित्रों..‼️*
              *इस बार जब शहर के लगभग 90% जागरूकता का दावा करने वाले लोग, कुंभकरण की नींद में सो रहे हैं तब अकेले अशोक मलिक सिलसिलेवार दस्तावेज़ी सबूतों के साथ शहर को बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं।
                *इलायची बाई की गद्दी के नीचे शहर की राजनीति पैदा होती है और दम तोड़ देती है❗मीडिया में हर रोज़ नाम छपने की भूख लेकर कई छूट भइये नेता भी अब तो मीडिया प्रबंधन में हुनर बंद हो चुके हैं। विधायकों की बयानबाज़ी को पीछे छोड़ने वाले नेताओं की भी शहर में कोई कमी नहीं है।
                *ऐसे में अशोक मलिक यदि खुली आंख और जुबान से स्मार्ट सिटी के निर्माण में होने वाले घोटालों पर नज़र रखे हुए हैं तो मैं इसे शहर का सौभाग्य ही मानता हूं।
                  *मैं शहर वासियों को स्मार्ट सिटी के नाम पर होने वाले सभी घोटालों से समय-समय पर रूबरु कराना अपना कर्तव्य समझता रहा हूँ। मेरा वादा है कि बिना किसी प्रलोभन ! लालच! या स्वहितों के, मैं यह काम निर्बाध रूप से पूरा करता रहूंगा ।यहां आपको यह भी यकीन दिला देता हूं कि मेरे ब्लॉग पढ़कर जिम्मेदार अधिकारी! राजनेता! या संस्थान! पूरी तरह सजग हो जाते हैं! मैं इस ग़लत फ़हमी में नहीं कि मेरे ब्लॉग पर त्वरित कार्रवाई होती है! मगर सच कहने के साहस की वजह से मजबूरन लोगों को कार्रवाई के लिए विवश होना पड़ता है ।
              *आइए ‼️अब बात करें एलिवेटेड रोड के निर्माण में होने वाली उन ख़ामियों की  जिनकी वजह से करोड़ों के वारे न्यारे और बंदरबांट के टूर्नामेंट चल रहे हैं।
                 *मेरा दावा है कि यदि मेरे इस ब्लॉग में उठाई गई उंगलियों पर यदि सरकार उच्च स्तरीय जांच बिठाए तो यह बात खुद सामने आ जाएगी कि एलिवेटेड रोड के लिए बनाए गए फूल कभी भी गिर सकते हैं।
                       *सिम्फोनिया ग्राफिक्स द्वारा एलिवेटेड ब्रिज के निर्माण में घटिया किस्म के सरिए 60% से ज्यादा उपयोग में लाए गए और लाए जा रहे हैं। आर एफ पी में तय स्टील (fe 415 या 500) टाटा, टीएमटी, जिंदल टी एम टी, सेल टी एम टी ,एस्सार टी एम टी  जैसे ब्रांड के आई एस आई , मार्क सरियों का उपयोग होना चाहिए था… लेकिन… उसके स्थान पर लोकल कम्पनियों के सरियों  का उपयोग हुआ , जिसकी कीमत सरकार द्वारा  उल्लेखित कंपनियों से 15 से 25 रुपए किलोग्राम तक कम है ।जांच में यदि मेरी बात ग़लत पाई जाए तो मैं पत्रकारिता छोड़ने को तैयार हूं।
                *बनाए गए पिलरों की तय गहराई तक हार्ड सर्फेस नहीं मिलने पर 1 से 2 मीटर तक कंक्रीट से भरकर सरफेस तैयार कर दिया गया। जो कभी भी धँस सकता है।लगभग पिलरों की फूटींग इसी विधि से तैयार की गई है।मेरा दावा है कि ये फूटींग कभी न कभी धँसेगी ज़रूर।
                    *निर्माण में उपयोग किया जाने वाला सीमेंट ओ पी सी ग्रेड 43 होना चाहिए ।उसके स्थान पर उपयोग किया गया सीमेंट पी पी सी ग्रेड है जो  अपेक्षाकृत बेहद सस्ता है। अंधा भी समझ सकता है निर्माण का हश्र क्या होगा❓
               *एलिवेटेड रोड के निर्माण में मीठे पानी के स्थान पर खारे पानी का इस्तेमाल हुआ ।निर्माण में सीमेंट की शक्ति बढ़ाने के लिए तराई भी नहीं की गई ।सिंफोनिया ग्राफिक्स द्वारा ट्रैफिक के दबाव का सर्वे तक नहीं करवाया गया।
                              *यहां आपको बता दूं कि पी एम सी के तत्कालीन टीम लीडर  निर्मल धीर के आदेशों पर अभियंता अनिल कुमार यादव व प्रेम बिहारी गोस्वामी द्वारा विगत 1 सितंबर 19 से 30 सितंबर 19 तक, 19 व 20 अगस्त से 31अगस्त 19 तक की जांच रिपोर्ट में एलिवेटेड रोड की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया। जिससे कर्ता धर्ता अविनाश शर्मा नाराज़ हो गए। आई ए एस भवानी सिंह देथा (अब उनकी नैतिकता को लेकर क्या कहूँ) की तरफ से , उनके नाम की धमकी देकर भविष्य में ऐसी रिपोर्ट बनाने से ईमानदार अधिकारियों को बल पूर्वक रोक दिया गया।यही नहीं कुछ समय बाद उन अधिकारियों को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया । यही नहीं चालाक और धूर्त लोगों ने टीम लीडर का चार्ज बड़ी चालाकी के साथ अरविंद अजमेरा को दे दिया।उनसे दूसरे विभाग से इस्तीफा दिलवाकर जॉइन करवाया गया।यहाँ इस नियम का भी ध्यान नहीं रखा गया कि कोई भी अधिकारी यदि इस्तीफा देता है तो वह दो साल तक कहीं जॉइन नहीं कर सकता।यह नियम तोड़ कर छह महीने में अजमेरा को टीम लीडर बना दिया गया।अब स्मार्ट सिटी के निर्माण में अविनाश शर्मा के साथ में वह भी मस्ती से बिना किसी डर के खा कमा रहे हैं।

सुदेश चंद्र शर्मा

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