*नशीली दवाओं के तस्कर श्याम मूंदड़ा के मामले में अजमेर पुलिस की कार्यवाही पर न्यायाधीश फ़रज़न्द अली साहब ने की दो टूक टिप्पणियाँ!
*मुकेश सोनी एंड पार्टी को किया अजमेर रेंज से बाहर!
*आदेश में निकम्मे अफ़सरों के लिए वर्णित शब्द ! उफ़्फ़ शर्मनाक!
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*करोड़ों रुपए की नशीली दवाओं के काले कारोबार को लेकर विद्वान न्यायाधीश फ़रज़न्द अली साहब ने जो आदेश हाल ही में दिए हैं उनसे अजमेर का सफ़ेद पोश पुलिस महकमा पूरी तरह बेनकाब हो गया है। अजमेर पुलिस के सभी भ्रष्ट अधिकारियों को मजबूरन, पुलिस विभाग अजमेर रेंज से बाहर स्थानांतरित करने को विवश हो गया है। अदालत ने जिस भाषा में अजमेर पुलिस के अधिकारियों को ज़लील किया है उसे पढ़कर विभाग की छवि दो कौड़ी की हो गई है ।
*यहां आपको बता दूं कि मैंने नशीली दवाओं के कारोबार की असलियत को बचाने वालों के विरुद्ध अब तक पांच ब्लॉग लिखे। हर ब्लाग में मैंने साफ़ तौर पर लिखा कि इस मामले में करोड़ों रुपए का प्रबंधन हुआ है। दलाल नुमां लोगों ने मुंह लगे अधिकारियों तक अपनी पहुंच बनाई । ऐसे उच्चाधिकारी भी मामले को अपने क़ाबू में रखे रहे जो दलालों के फार्म हाउस पर मौज मस्ती किया करते थे । शीर्ष अधिकारियों की तस्वीरों तक का जिक्र मैंने किया। मेरे सारे ब्लॉग्स आप फिर से इस ब्लॉग के आख़िर में दिए लिंक खोलकर पढ़ सकते हैं।
*मैंने बेबाकी से वही बातें बताई जो विद्वान न्यायाधीश फ़रज़न्द अली साहब अपने आदेशों में बता रहे हैं।
*दोस्तों!! न्याय व्यवस्था को अलग नज़रिए से देखने वाले न्यायाधीश फ़रज़न्द अली साहब अब अपने दो टूक फैसलों के लिए अलग से रेखांकित किए जाने लगे हैं ।
*उन्होंने नशीली दवाओं के कारोबार में पुलिस कार्रवाई के तहत जिन पुलिस अधिकारियों को पूरी तरह मूंदड़ा ब्रदर्स के साथ मोहब्बत बरतने का जिम्मेदार बताया है उन पर तत्काल कानूनी जांच किए जाने के निर्देश भी दिए हैं ।
*यहां आपको बता दूं कि नशीली दवाएं जिला स्पेशल टीम और अलवर गेट पुलिस थाने की तत्कालीन थाना अधिकारी सुनीता गुर्जर ने अलवर गेट थाना क्षेत्र में पकड़ी थीं। महिला अधिकारी सुनीता गुर्जर उस समय अपनी ईमानदार छवि को लेकर लोकप्रिय थीं, जो कुछ पुलिस के उच्चाधिकारियों को उस समय भी रास नहीं आ रही थीं। मामला क्योंकि करोड़ों की नशीली दवाओं का था और पुलिस को मामले में अच्छा खासा मेहनताना मिलने वाला था! मिलने वाला क्या था मिल ही गया था ! इसलिए पूरे मामले को अलवर गेट से हटाकर जांच रामगंज और क्लॉक टावर थाने को सौंप दी गई।
*विद्वान न्यायाधीश ने जिस पुलिस अधिकारी की भूमिका को बुरी तरह कोसा है वह मुकेश सोनी शुरू से ही श्यामसुंदर मूंदड़ा को लेकर अतिरिक्त मोहब्बत दर्शा रहा था। उसने अपनी देखरेख में जिस तरह मूंदड़ा ब्रदर्स के विरुद्ध होने वाली कार्रवाई को, उसके पक्ष में करने का खेल खेला! वह मैं समय-समय पर अपने ब्लॉग्स में लिखता रहा। मैंने अपने एक ब्लॉग में पुलिस की आंखों पर लगी नोटों की पट्टी का भी, इशारे से बखूबी जिक्र कर दिया था।
*ईमानदार महिला अधिकारी सुनीता गुर्जर इसी मामले को लेकर कुछ अधिकारियों के नेज़े पर आ गई थी, जिसे बाद में इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों की साज़िश के तहत अलवर गेट से हटा दिया गया ।
*न्यायाधीश आली जनाब फ़रज़न्दअली ने अपने फैसले में मुकेश सोनी एंड पार्टी के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है ज़रा एक बार आप भी उन पर नज़र डाल लें।
*उच्च न्यायलय द्वारा ऐसी तल्ख़ टिप्पणी करना बहुत गंभीर विषय है। जो शब्द माननीय जज साहब द्वारा अपने आदेश में इस्तेमाल किये गए हैं उनका हिंदी अनुवाद आपको भी देख लीजिये ।
*Words: Tarnish (कलंकित करना) emit foul smell (सिस्टम में दुर्गंध का उत्सर्जन करने वाले तत्व) Incisive Probe(तीक्क्षण जांच एवं सत्य निष्ठा के साथ कार्यवाही) functus officio(अधिकार हीन)*
*इन नाकारा अधिकारियों ने जिस तरह करोड़ों के मामले को लाखों में निपटाया उस पर न्यायाधीश महोदय ने खुले शब्दों में कई तीखे शब्द इस्तेमाल किए हैं।
*राजस्थान के पुलिस मुखिया जनाब एम एल लाठर अदालत के निर्देशों को किस तरह ले रहे हैं वही जाने मगर मुझे यकीन है कि उन्होंने जिस तरह की जिम्मेदारी व संवेदनशीलता पुलिस सिस्टम को “ज़ीरो टॉलरेंस” के तहत ढालने में निभाई है, वह इस मामले में भी निभाएंगे।यक़ीन है कि वे दोषी अधिकारियों का अपने अंदाज़ में ढंग से इलाज करेंगे और बर्फ में लगा कर ही दम लेंगे ।
*मेरा दावा है कि मुकेश सोनी सहित जिन अधिकारियों पर न्यायाधीश महोदय ने कड़ी टिप्पणियां की हैं.यदि उनके निर्देशन में हुए अन्य कार्यों की भी न्यायिक जांच बिठाई जाए तो हर मामले में पुलिस की छवि turnish (कलंकित करने वाली)emit foul smell यानी सिस्टम में दुर्गंध का उत्सर्जन करने वाली होगी।
*उपन्यासकार ओमप्रकाश कम्बोज ने एक उपन्यास लिखा था “वर्दी वाला गुंडा” इस उपन्यास के असली किरदारों को अजमेर में आसानी से पहचाना जा सकता है।पहचाना क्या जा सकता है अदालत ने इस बार पहचान लिया है।
*बेनामी ज़मीनों के कारोबार का जो मामला अलवर गेट पुलिस में दर्ज़ हुआ था ,उसकी भी यदि नए सिरे से न्यायिक जांच हो तो कई पुलिस अधिकारियों के मुखोटे उतारे जा सकते हैं। मुझे इंतज़ार है अगले कुछ दिनों का ! जब अजमेर पुलिस के कई सफ़ेद पोशों की वर्दी पर आरोपों के छींटे बदनुमां दाग बन कर उभरेंगे! बस कुछ ही दिनों की बात है! कहानी अभी शुरू हुई है, और नाटक के कई भाग खेले जा चुके हैं । इन भागों का पटाक्षेप भी धमाकेदार होगा ! ऐसा मेरा मानना है !
*अंत में एक दोहा:-👇*
_*राम ना मारे काऊ को ,पापी नहीं है राम,*_
_*आप -आप मर जाएंगे कर कर खोटे काम*