भारत के डॉक्टरों, गांवों में जाने की गलती कभी मत करना। सब जगह विकास दुबे या बल्या जोशी गैंग के गुर्गे तुम्हारे शिकार के लिये बैठे हैं। 20 अगस्त 2020, रात 11 बजे हैं – मेरा नाम डॉ. सुनीत उपाध्याय है । मैं गुजरात के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में मनोचिकित्सा विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष थी। मेरे 15 से ज्यादा रिसर्च पब्लिकेशन इंंटनेशनल व नेशनल जंर्नल्स मेंं प्रकाशित हुये हैं। मैं राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई फैकल्टी पोस्ट की 2008 परीक्षा में पूरे राजस्थान में जनरल कैटेगरी का टॉपर था। इन सब बातों के सबूत मेरे इसी पेज की अन्य पोस्ट्स में हैं। मेरी पत्नी डॉ अर्चना शर्मा स्त्री रोग व प्रसूति विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर थी। और वो विभाग के सर्वश्रेष्ठ सर्जनों में से थी। वो गांधीनगर [गुजरात की राजधानी] में पोस्टेड थी, और हम गांधीनगर में ही रहते थे।
मेरे गांव लालसोट [जिला दौसा, राजस्थान] में किसी भी तरह की इमरजेंसी सुविधाएं नहीं थी। सिर की चोट के, गंभीर मरीजों की, हार्टअटैक के मरीजों, की अन्य गंभीर मरीजों की जयपुर के रास्ते में मृत्यु हो जाती थी। क्योंकि कहीं भी आईसीयू सुविधा नहीं थी । बहुत सारी गर्भवती महिलाएं जयपुर के रास्ते में ही मर जाती थी । क्योंकि कहीं भी सिजेरियन सेक्शन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
इसलिए मेरे पिता श्री अशोक उपाध्याय ने आदेश देकर मुझे सरकारी नौकरी छुड़वा कर अपने गांव लालसोट बुलवाया। सन 2016 में मैंने अपना अस्पताल शुरू किया और आज सिर्फ 4 साल में यह एक 45 बैडेड मल्टी स्पेशलिटी, सरकारी योजनाओं युक्त, हॉस्पिटल है। जिसमें मैंने लोन लेकर सीटी स्कैन आईसीयू व अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई है।
लालसोट में एक “शिव शंकर बलिया जोशी गैंग” है जो “कानपुर के विकास दुबे गैंग” की तरह तरह काम करती है। लोगों को डरा धमका कर पैसे वसूलना इनका काम है। यह लोग किसी भी आपसी विवाद में कूद पड़ते हैं और बड़ी पार्टी के खिलाफ धरना प्रदर्शन, गुंडागर्दी, व मीडिया द्वारा दबाव बनाकर उससे फिरौती वसूल करते हैं। लोगों का कहना है कि ये तो दुर्घटनाओं में, रेप केसेज में व ऐसे अन्य मामलों में सरकार पर दबाव बनाकर लोगों को मुआवजा दिलवाते हैं, और फिर उसमें से भी हिस्सा वसूल करते हैं। पूरे क्षेत्र में इस गेंग का आतंक है। इसके खिलाफ पुलिस में दंगा भड़काने, घर में घुसकर मारने, जमीनों पर कब्जे करने के कई मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से अधिकतर को डरा धमका कर वापस किया गया है । कई मामलों में इसे जुडिशियल कस्टडी में भी भेजा गया है। लेकिन जेल से बाहर निकलते ही अपना डर का धंधा फिर शुरू कर देता है। एक बार इसका चाचा मनोज जोशी मुझसे हॉस्पिटल में ऐड के नाम पर फिरौती मांगने आया। और मेरे मना करने पर मुझे कई धमकियां दी। और कहा कि इस पूरे इलाके में किसी की हिम्मत नहीं है जो “शिव शंकर बलिया जोशी गैंग” को फिरौती देने से मना करे। हॉस्पिटल सील करवाने की धमकी दी। लेकिन मैंने इसे पैसा देने से मना कर दिया। तो बाद में इन लोगों ने एक अन्य मरीज के मामले में जबरदस्ती धुस कर एक विवाद खड़ा कर मेरी सोशल मीडिया पर जबरदस्त बदनामी की। जबकि उस मामले में मरीज का एकमात्र अटेंडेंट उसका पुत्र अपने पिता की जान बचाने के लिये मेरा एहसान मान रहा था मुझे धमकी दी गई। मुझे और मेरे अस्पताल के बारे में अत्यंत गंभीर बातें कही गई।
इसकी पुलिस प्रशासन में इतनी जबरदस्त पैठ है कि मैं 18 अगस्त को शाम 6:00 बजे इसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाने तथा सुरक्षा मांगने पहुंचा। तो शाम को 6:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक मुझे थाने में बिठाए रखा गया और परेशान किया गया। 8:00 बजे यह आया और थाना प्रभारी महावीर प्रसाद से 15 मिनट तक बैठकर आराम से बातचीत करके चला गया। जबकि थाना अधिकारी द्वारा मुझे 4 घंटे यह कहकर बिठाया गया, कि मैं अभी बिजी हूं, फ्री होऊंगा तो बात करूंगा। और मेरी एफ आई आर दर्ज नहीं की गई। मुझे बाद में पता चला कि उसको बुला कर मेरे खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई थी। अगले दिन 19 अगस्त को मैं दौसा चिकित्सक एसोसिएशन के साथ दौसा के एसपी साहब से मिला। उन्होंने मेरी एप्लीकेशन लालसोट डीएसपी के लिए मार्क कर दी। जिसे मैंने हाथों हाथ लाकर डीएसपी आॅफिस में जमा कर दिया, उसकी रसीद मेरे पास है। आज उस बात को भी 24 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं । लेकिन अभी तक मेरी एफ आई आर दर्ज नहीं की गई है। बल्कि मुझे विभिन्न स्रोतों से जानकारी दी जा रही है। अब भी तुम नहीं माने तो तुम्हारा और तुम्हारे अस्पताल का अंजाम बहुत बुरा होगा। कितने दिन तक बचोगे ? इमरजेंसी मरीज लेने वाले हॉस्पिटल में तो लोग मरते ही रहते हैं। जैसे ही अगला मरीज मरेगा ,तो समझ लो कि तुम व तुम्हारा हॉस्पिटल भी उसके साथ ही मर जाएगा।
लोग कहते हैं डॉक्टर गांव में क्यों नहीं जाते है ? मुझे लगता है अब सबको समझ में आ जाएगा। मैं भारत के हर डॉक्टर से अपील करना चाहता हूं कि कभी भी मेरी तरह इमोशनल फूल बन कर किसी गांव में जाने की गलती मत करना। और जाना तो कफन बांध के जाना। भले ही विदेश चले जाना, पर गांव में मत जाना। भारत के हर गांव में कहीं विकास दुबे तो कहीं शिवशंकर जोशी तुम्हारा शिकार करने के लिए इंतजार कर रहे हैं। हम दोनों पति-पत्नी के लिए हर महीने मेडिकल कॉलेजों से फैकल्टी पोस्ट के लिए फोन आते हैं। पर कभी हां नहीं की। पर अब गंभीरता से सोचना पड़ेगा। इस पोस्ट के साथ मैं कॉल रिकॉडिंग का आॅडियो भी संलग्न कर रहा हूं जिसमें मेरी शिव शंकर जोशी के चाचा मनोज जोशी से बात हुई है, और वह बड़ी दबंगई से स्वीकार कर रहा है कि आपने ऐड नहीं दिया इसलिए हमने ऐसा किया। शायद मामला रफा-दफा करने के लिए प्रशासन मेरी हत्या का इंतजार कर रहा है। शिवशंकर बल्या जोशी तो जेल तब ही जायेगा जब विकास दुबे केस की तरह कुछ पुलिस वालों की हत्या होगी। इस विवाद की अन्य विस्तृत जानकारी के लिये मेरे इसी पेज की पुरानी पोस्ट देखें। शिव शंकर बल्या जोशी मुझसे पिछले दो साल से फिरौती के लिए परेशान कर रहा था। उसके सबूत ये मेरे पास।
– वर्तमान गुंडागर्दी के सबूत के रूप में ये डॉक्यूमेंट्स संल्गन हैं ।
– एस पी साहब द्वारा हस्ताक्षरित, व डी एस पी आॅफीस की रिसीविंग एंट्री के साथ मेरा प्रार्थना पत्र
– जिस मरीज के नाम पर इन्होनें विवाद किया, उसके पुत्र का भर्ती से पूर्व दिया गया सहमति पत्र, और इस मरीज को अगले दिन स्टेबल स्थिति में नेफ्रोलोजिस्ट के लिये रैफर किया गया था और अभी मरीज स्वस्थ है।
– बल्या जोशी के चाचा मनोज जोशी से मेरी फोन पर की गई बातचीत का लिंक
– यह लिंक मेरी मेहनत की कमाई का है जिसके लिये मेरे पिता ने मुझे बुलाया था, मुझे लगता है कि मैं पर्याप्त कमा चुका हूँ अब मुझे वापस शहर भगाना चाहते हैं।
डॉ सुनीत उपाध्याय
आनंद हॉस्पिटल, लालसोट