दौसा। डॉक्टर द्वारा की आत्महत्या के केस में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। प्रसूता के पति ने कहा कि उसने ना तो रिपोर्ट लिखी थी ना ही पढ़ी सिर्फ हस्ताक्षर किये थे। पुलिस ने प्रसूता आशा बैरवा की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को नहीं मानते हुए हत्या का केस दर्ज कर लिया।
प्रसूता के पति लालूराम ने बताया कि उसने डॉक्टरों के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की कुछ लोगों ने उसके हस्ताक्षर करवाये थे लेकिन उसने पढ़ा नहीं क्या लिखा था। शिकायत प्रति भी उसे नहीं दी गई। शिकायत में हत्या की धारा 302 का जिक्र था, जिसे पुलिस ने शिकायत के अनुसार दर्ज कर लिया। ऐसे में सवाल उठाता है कि किसने शिकायत लिखी और उसका मकसद क्या था। डॉक्टर के पति डॉ. सुनील उपाध्याय ने स्थानीय नेताओं को इसका जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि प्रसूता के परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। भाजपा नेता शिवशंकर बल्या जोशी ने उन्हें मुआवजा का लालच देकर जबरन अस्पताल ले आए।
उन्होंने भाजपा के प्रदेश मंत्री जितेन्द्र गोठवाल व हरकेश मटलाना को भी बुला लिया और भीड़ इकट्ठी कर ली। करीब 12 घंटे तमाशा चलता रहा। आखिर में पुलिस ने मुकदमा दर्ज लिया। इससे परेशान होकर डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली। डॉ. सुनील उपाध्याय ने शिवशंकर बल्या जोशी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर की। उसके बाद शिवशंकर भूमिगत हो गए है।
उधर एसपी अनिल बेनीवाल का दावा है कि सुसाइड प्रकरण में नामजद दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु टीम दबिश दे रही है। जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इंवेस्टीगेशन से प्रसूदा की मौत के मामले में दर्ज एफआईआर में से धारा 302 को हटा दिया गया है। मामले की जांच वीडियो देखकर और लोगों के नाम भी एफआईआर में जोड़े जाएंगे।