_*राज्य में टी बी के मरीज़ों की संख्या में दुगुनी तेज़ी!!*
_*राज्य सरकार को ज़ारी करनी चाहिए एडवाइज़री!!*
_*कोविड के मरीज़ रहे लोग करा लें अपनी जाँच*
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*राजस्थान में टीबी के मरीज़ों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। हर ज़िले के अस्पतालों का हाल यह है कि क्षय रोग से ग्रस्त मरीज़ तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं ।अजमेर और भीलवाड़ा ज़िला इस मामले में बहुत आगे पहुंच चुका है। जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा , जयपुर आदि शहरों में भी टी बी के मरीज़ विगत 1 वर्ष में ,पहले से दुगने हो रहे हैं। इसके पीछे कारण कोरोना के आफ्टर इफैक्ट्स को ही माना जा सकता है ।🤷♂️*
*वैश्विक महामारी कोरोना के मामलों में हर दिन संक्रमण दर के साथ ही, मृत्यु दर और एक्टिव मामलों में तेज़ी से गिरावट के दावे किए जा रहे हैं ,और आंकड़े इस बात की तस्दीक़ भी कर रहे हैं ।वहीं विगत 24 महीनों में कोविड रोग से ग्रस्त होने के बाद जो लोग स्वस्थ हो गए हैं उनको कई अन्य रोगों से गुज़रना पड़ रहा है।*🤔
*इस मामले में गुर्दा ,जिगर अंतः स्रावी ग्रंथियों के अलावा उन्हें फेफड़ों और गले में भी टी बी वैक्टीरियल इंफेक्शन से जूझना पड़ रहा है ।*🤨
*दिल्ली में 16 अस्पतालों में कराए गए एक रेंडम ओपीडी बेस्ड स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 से लंबे समय से जूझने के बाद नेगेटिव हुए लोगों के आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो कोरोना काल में कुल 18 लाख 64 हज़ार 135 लोग कोविड से ग्रस्त हुए।हालांकि इनमें से 18 लाख 37हज़ार से अधिक मरीज़ स्वस्थ भी हो चुके हैं। स्टडी में पाया गया है कि पोस्ट कोविड मरीजों में से 11 फ़ीसदी से अधिक लोग अन्य संक्रमण के अलावा टीवी से ग्रस्त हैं।*😨
*इसके अलावा थूक ,रक्त और मल की जांच में भी इस बैक्टीरिया की पुष्टि हो रही है। राजस्थान में भी इस स्टडी के परिणाम सामने आ रहे हैं ।*🙄
*अजमेर के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ नीरज गुप्ता का मानना है कि पोस्ट कोविड टी बी मरीजों का इलाज़ करना चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।*
*दरअसल उनके शरीर की रोग लक्षण प्रणाली अत्यंत कमजोर होती है। क्योंकि 89 फ़ीसदी पोस्ट कोविड मरीजों में टी बी का पता तब चलता है जब उनका रोग आख़री चरण में पहुंच चुका होता है। इसके पहले वे अपने पुराने रोगों की दवाएं ले रहे होते हैं।*😟
*राजस्थान में लगभग सभी जिलों में यही स्थिति है। पोस्ट कोविड मरीजों में कुछ शिकायतें आम नज़र आ रही हैं। इनमें लगातार बुखार, वजन की कमी, निरंतर खांसी आने की शिकायतें आम नज़र आ रही हैं ।*
*राज्य के सभी टी बी विशेषज्ञों का मानना है कि टी बी एक साइलेंट किलर के रूप में जानलेवा रोग बन चुका है। शुरुआती दौर में आम तौर पर इस रोग की पहचान होने पर इलाज़ शत-प्रतिशत संभव हो सकता है ,किंतु कोरोना में जो लक्षण दिखाई देते हैं वे इतने छुपे हुए होते हैं कि जब तक उनका निदान हो पाता है तब तक मरीज़ मौत के करीब पहुंच चुका होता है। डॉ नीरज गुप्ता का कहना है कि 70 फ़ीसदी मरीज़ तीसरे और चौथे चरण में सामने आ रहे हैं जिनको बचा पाना बड़ा मुश्किल हो रहा है।*😩
*मेरा मानना है कि राज्य सरकार को इसके लिए एक एडवाइजरी जारी करनी चाहिए। अखबारों में विज्ञापनों के जरिए जागरूकता पैदा करनी चाहिए। लोगों तक यह बात पहुंचानी चाहिए कि निरंतर बुखार रहना, खाँसी , वज़न कम होना कोविड रहे मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है। इसमें कोताही ना करें, तुरंत जांच करवाएं ।*👍
*माना जा रहा है कि कोविड का बुरा वक्त गुज़र चुका है ।लोग यह मान कर चल रहे हैं कि हिंदुस्तान से कोरोना जा चुका है।इस ग़लत फ़हमी के विरुद्ध मेरा मानना है कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है ।उसकी आक्रामकता की रफ्तार ज़रूर कम हुई है ।जो लोग इसके शिकार होकर ठीक हो गए हैं वे अपने आप को बाहुबली समझ कर सामाजिक व्यवहार न करें ।*❌
*ऐसे लोग जिन्हें कोरोना हो चुका है उन्हें अन्य लोगों से ज्यादा सावधानियां बरतनी चाहिए। बराबर अपनी जांच करवाते रहना चाहिए ।उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भारी कमी आ जाने के कारण कोई भी रोग उन्हें अपना शिकार बना सकता है। इन रोगों में टी बी सभी रोगों से ज्यादा खतरनाक है ।राजस्थान में यह रोग जिस तेजी से बढ़ रहा है उसे देखते हुए सरकार भले ही कोई एडवाइजरी जारी न करें लेकिन मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से सलाह दे रहा हूं कि ऐसे लोग जो कोरोना के कभी भी शिकार हो चुके हैं वे तुरंत अपने अन्य अवयवों की जांच करवा लें ।हो सकता है उनके शरीर में कोई विषम रोग पनप रहा हो, जिसकी उन्हें जानकारी भी ना हो। ऐसे लोगों की समय रहते पहचान होने पर जान बचाई जा सकती है। यहां भी वह प्रचलित बात हावी है। सावधानी हटी दुर्घटना दुर्घटना घटी।