चाय पर चर्चा में सभी कार्यरत कर्मचारी व रिटायरीज भाग लें। आज हम उस सबसे बडे नुकसान की बात करते हैं, जो कार्यरत रहते तो हमे आभास नही होता- परन्तु रिटायर्मेंट होते ही सबसे बडे नुकसान मे बदल जाता है ।
*जी हां Special allowance जो 25-5-2015 के रिकोड नोट रिटायरीज के विरूद्ध सबसे बडे षडयन्त्र का हिस्सा बन गया।*
1-11-2012 से आज तक व भविष्य मे होने वाले सेवानिवृत्त बैकिंग कर्मचारियों को भारी नुकसान झेलना पड रहा हैं व भविष्य मे भी झेलना पड़ेगा । 1-11-2017 के BPS समझौते मे नुकसान को कम करने के बजाय, IBA and UFBU की मिलीभगत के कारण नुकसान को दुगुना कर दिया गया। सभी रिटायरीज संगठन इस UFBU के धोखे को देखते रह गए।
जैसा की आप सभी जानते हैं, Basic पेंशन के निर्धारण के लिए वेतन की गणना में विशेष भत्ते को शामिल न करने के कारण, बेसिक पेंशन राशियों को कम कर दिया गया था। यहां तक की पेंशन के commutation amount से वसूली भी की गई है।
पैंशन के लिए मूल वेतन( Basic Pay) को जब हम परिभाषित करते है तो उसमे stagnation Increment के साथ-साथ उन सभी भत्ते, जिन भत्तो की गणना भविष्य निधि (PF) में योगदान करने और डीए के भुगतान के लिए की जाती है। इन सबको जोडा जाता है। षडयन्त्र के तहत Special allowance को नही जोड़ा जा रहा है।
10th and 11th BPS में वेतन मे तो बढ़ोतरी हुई पर रिटायरीज की पेंशन कम हो गई , कारण है कि रिटायरीज को विशेष भत्ता Special Allowance को पेंशन की गणना के लिए वेतन मे शामिल नहीं किए गया । परिणामस्वरूप उन सभी साथियो की पेंशन कम हो गई है, जो संयुक्त नोट की तारीख को पहले ही सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके थे।
*कानूनी रूप से, यह पूरी तरह से अनुचित है और मनमाना है। बैंको को विशेष भत्ते (Special allowance) को शामिल करके संशोधित मूल पेंशन के आधार पर कम्यूटेशन पेंशन की पुनर्गणना करनी चाहिए। जिन सेवानिवृत्त साथियो की पैंशन मे वसूल की गई , राशि वापस करनी चाहिए।*
माना हम रिटायरीज षडयन्त्र व विश्वासघात के शिकार हो गए, पर अब *यह सबकुछ ठीक कैसे हो पायेगा ?* रिटायरीज संगठनो के सामुहिक प्रयास या न्यायालय द्वारा ही हम सबको राहत मिल सकती है। *विडम्बना यह है कि EGO के कारण रिटायर्ड संगठनों में ऐकता नही है और न्यायालयों मे लंबी लंबी तारीखें…..*
एक बात समझ मे नही आती की देरी के लिए, क्या रिटायरीज संगठन या न्यायालय ही जिम्मेदार है ?
क्या हम नहीं?
1-11-2012 के बाद हुए रिटायर्ड साथियो मे से, हम कितने साथियों ने इस अन्याय के खिलाफ मैनेजमेंट को पत्र लिखा है? यह संख्या केवल 2% या 3% भी नही बनती है। न्यायालय भी कहता है जिसके साथ अन्याय हुआ है उसको बताना तो पड़ेगा। संगठन केवल सहयोग कर सकते है, सहारा बन सकते हैं। एक बार एक साथी के उपर हो रहे अन्याय के खिलाफ वित्त मन्त्रालय मे जाने पर बडी अजीब स्थिती हो गई, वहाँ पर बैंक का जवाब था की इस तरहा का कोई grievance प्राप्त नही हुआ , लगता है संगठन या नेता भड़काने की कोशिश कर रहे हैं……
इसलिए हम सबको पैंशन अपडेसन, 100%DA, स्पेशल अलाउंस, ग्रेच्युटी में हो रहे नुकसान को हस्ताक्षरित सहित मैनेजमेंट को अधिक से अधिक भेजा जाना चाहिए ताकी बैंको पर प्रेशर बने व साथ साथ संगठनो को भी जगाना चाहिए ताकि सही समय पर उचित कार्रवाई कर सकें।
हम अपने अपने सेवा काल मे पोस्टीग, ट्रान्सफर व प्रमोशन के लिए मेनेजमेंट से डरते रहे तथा भेदभावपूर्ण पालिसी व अन्याय सहते रहे तथा UFBU के नेता IBA मिलकर मनमानी करते रहे। अब सेवानिवृत्त होने पर आपको क्या खोने का डर है ?
अन्याय तो हो रहा है फिर क्यों ना हम अपने हक की लडाई के लिए आगे बढ़े। हम सब आशावादी है न्यायालय से जल्दी न्याय मिलने की उम्मीद बनी है वर्ना इसके लिए रिटायरीज व कर्मचारियो को मिलकर संघर्ष व प्रयास तेज करना पडेगा। पत्राचार से, न्यायालय से या फिर आखिरी रास्ता धरने-प्रदर्शन व आमरण अनशन के लिए एकजुट होना पड़ेगा ।
आने वाले संघर्ष के लिए आप सब स्वस्थ रहे, सुरक्षित रहे। ध्यान रहे अब भी दो गज की दूरी- मास्क है ज़रूरी ।