अजमेर के महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय में द्रोपदी का चीर हरण हो रहा है और कुलाधिपति , कुलपति चुप्पी साध कर देख रहे हैं‼️!

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*वि.वि. को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है और कोई जाँच नहीं कर रहा!
_*चहेती फर्म को पहले लाखों का अग्रिम भुगतान किया जा रहा है फिर काम नहीं करने से उसे ब्लैक लिस्ट भी नहीं किया जा रहा!*
*बिना परीक्षा के परिणाम घोषित किए जा रहे हैं!एक ही परीक्षा के दो दो बार परिणाम घोषित हो रहे हैं!
  *घपले ही घपले मगर जाँच कहीं नहीं!
              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                             *महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय अजमेर की छवि पर बट्टा लगाने वाले अधिकारियों और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर मैंने पिछले दिनों अपने एक ब्लॉग में सवाल उठाए थे। उम्मीद थी कि विश्वविद्यालय में ज़लज़ला  आएगा। दोषी अधिकारियों के विरुद्ध जांच होगी मगर चोर चोर मौसेरे भाई जैसी कहावत चरितार्थ हुई ।प्रशासन को मानो सांप सूंघ गया ।सबूतों के बावजूद कुछ नहीं हुआ ।सब एक दूसरे को बचाने में लग गए । जिस शिवदयाल सिंह शेखावत की हठधर्मिता और काले कारनामों पर मैंने पुख़्ता सबूतों के साथ उंगली उठाई, वह हुनरमंद अपनी खाल बचाने में लग गया।*🤔
                        *मोटी खाल के विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए मैं एक बार फिर ज़हरीले सबूतों के साथ हाज़िर हूँ। आज के ब्लॉग में , मैं फिर शिवदयाल सिंह शेखावत के अधोवस्त्र के रंग बता रहा हूँ। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने मेरी शिकायतों को नज़रअंदाज़ किया तो इस बार बहुत भारी पड़ेगा, क्योंकि विश्वविद्यालय के करोड़ों का चूना लगाने वाले लोग यदि अपने कर्मों की सज़ा नहीं भुगतेंगे तो विश्वविद्यालय उनकी कठपुतली बनकर रह जाएगा। फिलहाल मैं सब की करतूत लोगों के सामने रख रहा हूँ। विभागीय जांच नहीं हुई तो फिर जांच एसीबी से करवाए जाने की व्यवस्था मैं खुद कर लूंगा । तब जब गिरफ्तारियाँ होंगी विश्वविद्यालय आँखें खुल जाएंगी।😡*
                  *आइए जानें कि किस तरह करोड़ों रुपए के चूना लगाया❓️ किस तरह चहेती फर्मों को एडवांस के रूप मे लाखों रुपए अग्रिम दे दिए गए और फर्मों ने बिना काम किए करोड़ों की रक़म डकार ली!❓️ किस तरह काग़ज़ ख़ुद अपनी चुगली कर रहे हैं ❓️ किस तरह बिना परीक्षा दिए छात्रों की मार्क लिस्ट बना दी गई ❓️किस तरह एक ही विद्यार्थी की दोनों अलग-अलग मार्क लिस्ट बन गईं❓️सारे सबूत आप मेरे फेसबुक अकाउंट पर देख सकते हैं।*🙋‍♂️
                    *दोस्तों!!  प्रोफेसर शिवदयाल सिंह शेखावत ने अपने परीक्षा नियंत्रक के कार्यकाल में किस तरह से विश्वविद्यालय को बर्बाद करते हुए करोड़ों का नुकसान पहुंचाया ऐसी मिसाल आपको पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी ! आदमी जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है! मुझे तो यह समझ नहीं आता कि यह शख्स परमपिता परमेश्वर को कहां जवाब देगा? एमडीएस विश्वविद्यालय ने इस शख्स को जो प्रतिफल दिया है वह तो उसकी सात पीढ़ियों में किसी को नहीं मिला होगा!💯*
                    *मात्र ₹ 900/- प्रति माह में देनिक वेतनभोगी के रूप में कार्य करने वाला शख्स आज वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में लगभग 3 लाख रुपये मासिक प्राप्त कर रहा है ।इसके उपरांत भी अपनी बद नियति से यह शख्स विश्वविद्यालय को अकारण ही करोड़ों रुपए का चूना लगा रहा है ।*🤨
                            *परीक्षा नियंत्रक का पदभार संभालने के बाद उसने सबसे पहले अपनी खासमखास कंप्यूटर फर्म मैसर्स कंप्यूटर कंसलटेंसी अजमेर वाले दोस्त को ऑबलाइज़ करने के लिए ,इसके कई वर्षों से लंबित लगभग 65 लॉख रुपए के भुगतान को नियम विरुद्ध होने के उपरांत भी दे दिया। फर्म द्वारा निर्धारित शर्तों का उलंघन  करने के उपरांत भी !  तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति श्री पीसी त्रिवेदी साहब को गुमराह करके मोटा कमीशन लेकर भुगतान करवा दिया। भुगतान के बाद मजेदार बात देखिए यही परीक्षा नियंत्रक महोदय प्रोफेसर शिवदयाल सिंह शेखावत अब ख़ुद ही उस फर्म को चेतावनी दे रहे हैं। इस फर्म ने निर्धारित मानदंडों के अनुरूप पुराने डाटा उपलब्ध नहीं कराए हैं ,एवं छात्रों के डिजिटल लॉकर की शर्त का भी उल्लंघन किया है । खुद ने भुगतान किया और खुद ही अब उस फर्म के विरुद्ध कारवाई की मांग कर रहे हैं।😨वाह..😀*
                     *वित्तीय प्रावधानों के जानकार विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित अधिकारी ने इनके पत्र को संज्ञान में लेते हुए इस फर्म पर दंडात्मक कार्रवाई करने हेतु इन ही महाशय को ही पत्र लिखा है क्योंकि इसके लिए यह श्रीमान ही अधिकृत हैं ।*😨
                          *अब देखते हैं कि यह महानुभाव ऊंट को किस करवट बैठाते हैं ❓️🤷‍♂️*
                         *प्रोफेसर शेखावत ने परीक्षा नियंत्रक के रूप में किस प्रकार आर्थिक रूप से विश्वविद्यालय को गर्त में धकेल दिया इसका एक छोटा सा उदाहरण आपके समक्ष और प्रस्तुत कर रहा हूं ।*
                 *राजस्थान के समस्त विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों एवं स्वयं पाठी छात्रों के परीक्षा आवेदन पत्र (सत्र 2022 -23 हेतु ) अक्टूबर-नवंबर के महीने में ही भरे जा चुके हैं ,जिससे इन विश्वविद्यालयों को फीस के रूप में प्राप्त राशि से करोड़ों रुपए की ब्याज से आमदनी हो रही है। यही नहीं कई विश्वविद्यालयों ने तो माह अप्रैल में वार्षिक परीक्षाओं की तिथियां भी घोषित कर दी हैं। परंतु प्रोफेसर शिवदयाल सिंह शेखावत की अकर्मण्यता की पराकाष्ठा देखिए!  विश्वविद्यालय में आज दिनांक तक भी छात्रों के परीक्षा आवेदन पत्र ही नहीं भरे गए हैं.। इस लापरवाही की वजह से विश्वविद्यालय को लगभग फीस के रूप में प्राप्त होने वाली 70 करोड़ की राशि पर मासिक रूप से ब्याज के रूप में प्राप्त होने वाली 40 लाख रुपए प्रतिमाह के हिसाब से लगभग 2 करोड रुपए का नुकसान हो चुका है। इसके लिए प्रत्यक्ष रूप से प्रोफेसर शिवदयाल सिंह शेखावत ही पूर्णतया परीक्षा नियंत्रक के रूप में जिम्मेदार हैं। 💯 और इनका यह कृत्य पूर्णतया आपराधिक है।*
                     *यही नहीं इस महाशय के कारनामे देखिए की शैक्षणिक सत्र 2020-21 की परीक्षाओं के परीक्षा परिणाम इनकी बेवकूफी एवं मक्कारी की वजह से दो दो बार घोषित करने पड़े ,जिसकी वजह से विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों एवं विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ ।छात्रों तथा विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा धूल में मिल गई, वो अलग..।*😣
               *विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद की बैठक में ये तय किया गया था कि कोरोना के प्रकोप की वजह से हुए व्यवधान के कारण उत्तरार्ध में अध्ययनरत छात्रों को पूर्वार्ध में प्रमोट के लिए अंक निर्धारण हेतु छात्र द्वारा उत्तरार्ध परीक्षा में 5 पेपर में से बेस्ट चार पेपरों के अंकों के आधार पर पूर्वार्ध परीक्षा में अंक प्रदान कर दिए जाए । परन्तु इस शख्स ने इन नियमों का उल्लंघन करते हुए अपनी मर्जी से दो दो बार परीक्षा परिणाम जारी कर दिए। कितनी बार..? दो बार😛 जो प्रमाण के रूप में आप मेरे फेसबुक पेज पर देख सकते हैं।*👍
                 *यही नहीं इस कथित विद्वान प्रोफेसर ने m.ed में अध्ययनरत 2 महाविद्यालयों के छात्रों के साथ तो ऐसा कारनामा किया है जिसकी मिसाल आपको पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी!  इन दो महाविद्यालय के छात्रों को प्रायोगिक परीक्षा के अंक बिना परीक्षा आयोजित किए ही मौखिक रूप से मनमर्जी के आधार पर अंकित कर उनका परीक्षा परिणाम जारी कर दिया !😉परंतु कुछ जागरूक छात्रों ने विश्वविद्यालय में आकर हंगामा किया ! जिसकी वजह से विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में दोबारा से m.ed के इन छात्रों की प्रायोगिक परीक्षा आयोजित की गईं एवं पुन संशोधित परिणाम जारी किया गया!😨(प्रायोगिक परीक्षा से पूर्व जारी कि गई मार्कशीट मेरे फेसबुक पेज पर देख सकते हैं )जिसकी वजह से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा प्रदेश में नहीं देश में धूमिल हो गई😡*
                  *मैं विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कुलपति महोदय से सवाल करता हूं कि वह क्यों मूकदर्शक बन कर विश्वविद्यालय की गरिमा को एक नाकारा शिक्षक कम अधिकारी के द्वारा तार तार होते देख रहे हैं ❓️उन्हें भी ये समझना चाहिए कि उनकी इस उदासीनता की वजह से विश्वविद्यालय के लाखों छात्रों का भविष्य खराब हो रहा है एवं साथ साथ ही विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान भी हो रहा है ! जिसके लिए पूर्णतया परीक्षा नियंत्रक के रूप में कार्यरत तथाकथित विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर शिवदयाल सिंह शेखावत पूर्णतया जिम्मेदार हैं💯*
                       *प्रदेश की विख्यात एवं प्रतिष्ठित जांच एजेंसी “भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ” को इनके कारनामों की गहनता से जांच कर कठोर से कठोर दंड दिलवाने की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे विश्वविद्यालय अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर सके! क्योंकि इस विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा का मान मर्दन तो पूर्व कुलपति महोदय के कार्यकाल में ही हो चुका है जिस में भी यह शख्स प्रत्याशीत या अप्रत्यषित रूप से समावेशित था।*💯
                   *दोस्तों!! इनके गुढतम कारनामों की फेहरिस्त आगामी ब्लॉग में प्रस्तुत करूंगा

सुरेंद्र चतुर्वेदी

सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सि‍यत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |

चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |

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