हांगकांग के लोग आज भी भारतीयों से नफरत करते हैं क्यों…?

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हांगकांग में करीब एक वर्ष बिताने पर एक भारतीय महानुभाव की कई लोगों से  दोस्ती हो चुकी थी, परंतु फिर भी उन्हें लगा कि वहाँ के लोग उनसे कुछ दूरी बनाकर रखते हैं, वहाँ के किसी दोस्त ने कभी उन्हें अपने घर चाय के लिए तक नहीं बुलाया था…?*
उन्हें यह बात बहुत अखर रही थी अतः आखिरकार उन्होंने एक करीबी दोस्त से पूछ ही लिया…?
*थोड़ी टालमटोल करने के बाद उसने जो बताया, उसे सुनकर उस भारतीय महानुभाव के तो होश ही उड़ गए।*
*हांगकांग वाले दोस्त ने पूछा-*
*“200 वर्ष राज करने के लिए कितने ब्रिटिश भारत में रहे…?”*
भारतीय महानुभाव ने कहा कि लगभग *“10, 000 रहे होंगे!”*
*“तो फिर 32 करोड़ लोगों को यातनाएँ किसने दीं?*
*वह आपके अपने ही तो लोग थे न…?*
जनरल डायर ने जब *”फायर”* कहा था…
तब 1300 निहत्थे लोगों पर गोलियाँ किसने दागी थीं?
उस समय ब्रिटिश सेना तो वहाँ थी ही नहीं!
*क्यों एक भी बंदूकधारी (सब के सब भारतीय) पीछे मुड़कर जनरल डायर को नहीं मार पाया…?*
*फिर उसने उन भारतीय महानुभाव से कहा-*
*आप यह बताओ कि कितने मुगल भारत आए थे? उन्होंने कितने वर्ष तक भारत पर राज किया? और भारत को गुलाम बनाकर रखा! और आपके अपने ही लोगों को धर्म परिवर्तन करवाकर आप के ही खिलाफ खड़ा कर दिया!*
जोकि ‘कुछ’ पैसे के लालच में, अपनों पर ही अत्याचार करने लगे! अपनों के साथ ही दुराचार करने लगे…!!
*तो मित्र, आपके अपने ही लोग, कुछ पैसे के लिए, अपने ही लोगों को सदियों से मार रहे हैं…?*
आपके इस *स्वार्थी धोखेबाज, दगाबाज, मतलबपरस्त, ‘दुश्मनों से यारी और अपने भाईयों से गद्दारी’ इस प्रकार के व्यवहार एवं इस प्रकार की मानसिकता के लिए, हम भारतीय लोगों से सख्त नफ़रत करते हैं!*
इसीलिए हमारी यही कोशिश रहती है कि यथासंभव, हम भारतीयों से सरोकार नहीं रखते…?
उसने कहा कि-
*जब ब्रिटिश हमारे देश हांगकांग में आए तब एक भी व्यक्ति उनकी सेना में भरती नहीं हुआ क्योंकि हमें अपने ही लोगों के विरुद्ध लड़ना गवारा नहीं था…?*
*यह भारतीयों का दोगला चरित्र है, कि अधिकाँश भारतीय हर वक्त, बिना सोचे समझे, पूरी तरह बिकने के लिए तैयार रहते हैं…? और आज भी भारत में यही चल रहा है🤷‍♂*
*विरोध हो या कोई और मुद्दा, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में और खुद के फायदों वाली गतिविधियों में भारत के लोग आज भी, राष्ट्र हित को हमेशा दोयम स्थान देते हैं आप लोगों के  लिए  “मैं और मेरा परिवार” पहले रहता है *”समाज और देश” जाए भाड़ में…?

सुदेश चंद्र शर्मा

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