दुनिया में प्रचलित प्रमुख विभिन्न कैलेंडर और उनके इतिहास

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चन्द्रमा दिखने का क्रम को हम चन्द्रमा की कलाएं भी कहते हैं | यह कलाएं एक तय समय के बाद अवश्य ही जारी रहती है | इस तरह दिन रात एवं चन्द्रमा की कलाओं को आधारित मानते हुवें महीनों और दिनों की गिनती की जाती है | जैसे हम जानते हैं कि सूर्यास्त के बाद ही तारें और चन्द्रमा दिखाई देते हैं और अन्धकार भी होजाता है इसीलिए इस अवधी को रात कहा जाता है | सूर्योदय होने पर उजाला होने लगता है जो सूर्यास्त होने तक रहता है अत: इस अवधी को दिन कहा जाता है | यह  भी ज्ञात हुआ कि मोसम में बदलाव सूर्य की वजह से ही होता है |  सूर्य का एक चक्र एक मोसम से दुसरे मोसम माना जाता है | इसी तरह चन्द्रमा का चक्र एक नये चाँद से दुसरे नये चाँद माना जाता है |चन्द्रमा का चक्र साढ़े उन्नतीस दिनों के अंदर पूरा होता है इसी अवधी को महीना कहा जाता है | दिन रात और महीनों की गिनती हेतु कैलेंडर या पंचांग का जन्म हुआ | अलग देशों ने अपने अपने त्तरीकों से कैलेंडर बनाये क्योंकि एक ही समय में प्रथ्वी के विभिन्न हिस्सों के अंदर मौसम और दिन रात की अवधी भी भिन्न भिन्न होती है | हमारे विशाल देश के अंदर भी लगभग पचास तरह के कैलेंडर प्रचलित है |

सुदेश चंद्र शर्मा

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