
जयपुर। देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में ग्लोबल इंडिया एक अहम रोल अदा कर सकता है। इसको लेकर भारत के बाद उसके दूसरे चैप्टर दुबई चैप्टर का भी रविवार को शुभारंभ किया गया।
वर्तमान में जीआईसी की अहमियत को बताते हुए राजनीतिक चिंतक डॉ वेद प्रताप वैदिक ने इसकी तारीफ की और कहा कि इस तरह के प्रयासों से ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, बल्कि वंछित लोगों को उनका हक मिलेगा। दुबई चैप्टर में जीआईसी के मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने वाले डॉ वेद प्रताप वैदिक ने उद्योगपतियों के लिए इसे काफी अहम बताया।
संस्था के ग्लोबल अध्यक्ष संतोष मंगल ने बताया कि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने को लेकर उठाए गए इस कदम को लेकर कहना है कि भारत और दुबई के बाद जीआईसी शीघ्र ही दुनिया के दूसरे देशों में अपने चैप्टर खोलने जा रहा है। मई में ब्रिटेन, जून में अमेरिका और जुलाई में सिंगापुर में जीआईसी के चैप्टर शुरू कर दिए जाएंगे। संस्था ने अपने लक्ष्यों में आर्थिक विकास और वंछितों को उनका हक दिलाने के काम को अपनी प्राथमिकता तय किया है।
उनका कहना है कि देश में नीति निधार्ताओं ने सालों से कई ऐसे प्रयासों से नीतियां बनाईं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि हजार कोशिशों के बावजूद समाज के वांछित तबके को उसका हक नहीं दिला पाए हैं। खासकर शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में हमें बहुत काम करने की जरूरत हैं और इसीलिए जीआईसी ने इसे अपनी प्राथमिकताओं में रखा है।
जीआईसी कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रतिभागियों का कहना है कि देश का रसूख दुनिया भर में बढ़ा है, लेकिन अभी भी उन लोगों के लिए काम करने की जरूरत है। सरकारी योजनाओं तो हैं, पर उनको उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इतना ही नहीं, प्रतिभागियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि अभी देश और देशवासियों के लिए कुछ करने का यह सही समय है।
पेश किया गया 9 सूत्री एजेंडा – जीआईसी के संगठन के संगठनात्मक दर्शन के रूप में भारत के अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने 9 सूत्री एजेंडा पेश किया। जीआईसी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारतीय व्यापार को अनलॉक करने के लिए 9 क्षेत्रों में केंद्रित कार्यक्रम, साझेदारी और प्रचार शुरू करेगा। इनमें उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय सामाजिक, पूंजी पर्यावरण, मीडिया, नैतिकता और लैंगिक मुद्दे शामिल हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश मिश्रा ने कहा कि जीआईसी लंबे समय से प्रतीक्षित $5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने में एक लंबा सफर तय करेगी क्योंकि इस सपने को साकार करने के लिए सभी आवश्यक तत्वों को पूरा किया।
पूर्व उपाध्यक्ष वंदना सिंह ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र देश को विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकता है, बेरोजगारी के जिन्न से निपट सकता है। एक गतिशील और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी औद्योगिक नवाचार इको-सिस्टम बना सकता है. इसमें भारत की विकास गाथा में बड़े पैमाने पर इक्विटी की पेशकश करके महिलाओं को सशक्त बनाने की जबरदस्त क्षमता है।