
चार सौ सालों का इतिहास पलटा
मां को दफनाने की बजाय किया दाह संस्कार
रजनीश रोहिला। अजमेर
हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चीता मेहरात समाज में इतिहास ने अपने आपको दोहराया। चीता समाज में सैंकड़ों वर्षों के बाद हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार दाह संस्कार हुआ।
सैंकडों वर्षों से इस समाज में मिट्टी दाग यानि दफनाने की परंपरा चली आ रही थी। लेकिन अजयसर के आगे गांव मसीनिया के रहने वाले जगदीश सिंह चीता ने रिश्तेदारों और अन्य लोगों के भारी दबाव के बावजूद अपने आपको हिंदू कहते हुए मां का दाह संस्कार किया। अंतिम संस्कार में सैंकडों लोग शामिल हुए।
दाह संस्कार के बाद जगदीशसिंह चीता ने कहा कि कालांतर में मुस्लिम शासकों के अत्याचार के चलते हमारे चौहान वंशीय कुछ बुर्जर्गों ने इस्लाम धर्म की तीन बातें स्वीकार कर ली थी।
उन्हीं तीन बातों को आधार बनाकर हमारी सारी जाति को मुस्लिम बनाने का षंडयंत्र रचा जा रहा है। जबकि हम चौहान वंश की गौरवशाली परंपरा से हैं।
हम क्षत्रिय हिंदू हैं। हिंदू संस्कारों में मृत्यु के बाद दाह संस्कार ही होता है। इसलिए मैने सारी मुस्लिम परंपराओं को तिलांजलि देते हुए अपनी मां का अंतिम संस्कार किया है। मुझे गर्व है कि मैं हिंदू हूं।
हिंदू समाज से अपील
जगदीशसिंह चीता ने हिंदू समाज से अपील की है कि चीता और मेहरात समाज के लोग इस्लामिक संगठनों के जाल में फंसते हजा रहे हैं। लाखों की संख्या में ऐसे चीता मेहरात है जो अपने हिंदू धर्म का पालन करना चाहते हैं।
इन सभी लोगों को हिंदू समाज मुस्लिम समझ कर दूरी न बनाएं। इस समाज के लोगों को हिंदू समाज के सभी वर्गों के सहयोग की आवश्यकता है।
विहिप ने किया स्वागत
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री उमा शंकर और सह केंदीय मंत्री आनंद अरोड़ा ने जगदीशसिंह चीता के इस कदम का स्वागत किया है। विहिप पदाधिकारयों ने कहा कि चौहान वंश के चीता और मेहरात समाज के अन्य लोगों को जगदीशसिंह चीता से प्रेरणा लेनी चाहिए। हिंदू समाज सदैव उनके साथ तन मन धन सहित हर तरह से है।