स्मार्ट सिटी योजना अजमेर के तहत संगठित गिरोह हलवा खाने और खिलाने में लगा है‼️

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काम आधे भी नहीं हुए मगर भुगतान 93 प्रतिशत एडवांस कर दिया गया है!
मीडिया को “प्रलोभन प्रबंधन” के तहत मैनेज्ड किया जा रहा है!
निर्माण कंपनी चांदी के जूतों में परोस रहे हैं खीर,श्वानों की तरह चाट रहे हैं अधिकारी!*
             *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                    *स्मार्ट सिटी योजना के तहत आनासागर डूब क्षेत्र में सात आश्चर्य बनाए गए। उन मॉडल्स को देखने के बाद लगा कि स्मार्ट प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और हराम की आय पर पल रहे कारिंदों ने आठवां आश्चर्य स्वयं स्मार्ट सिटी योजना को बना दिया है ।
                   *मैं राजस्थान पत्रिका के संवाददाता भूपेंद्र सिंह राठौड़ को शाबाशी देता हूँ कि वे पत्रिका के बैनर पर बराबर स्मार्ट सिटी योजना के तहत हो रहे पूरे खेल पर पैनी नज़र रखे हुए हैं। मैं उनके सूत्रों की भी सराहना करता हूं कि वे पुख्ता जानकारियां देकर योजना के अंदर चल रहे भ्रष्टाचार को सामने लाने में राजस्थान पत्रिका को जीवंत बनाए हुए हैं।
                      *ऐसे वक्त में जब पूरा मीडिया या तो अंधा हो चुका है या निष्क्रिय या फिर “मैनेज्ड”… तब राजस्थान पत्रिका और भूपेंद्र सिंह अकेले अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं। उन्हीं की बात को मैं आगे पहुंचा रहा हूं ।
                      *दरअसल मैं !! इस योजना के कभी विरोध में नहीं रहा…. मगर जब इस योजना के माध्यम से वाहवाही लूटने और अपनी जेबें गर्म करने का खेल चलने लगा तो मेरी क़लम योजना के विरुद्ध हो गई ।
                  *आनासागर के साथ हुई बदसलूकी पर मैंने लगातार कई ब्लॉग्स लिख कर कई चेहरों पर चढ़े नकाब उतारे! कई भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामों को निर्वस्त्र किया!  पूर्व जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित अंधे हो चुके थे!  उन्हें देश में अपनी रैंकिंग बढ़ाने की लालसा थी!  इसके लिए उन्होंने अपने चहेते अधिकारियों की टीम गठित कर दी! यह चालाक और मक्कार टीम उन्हें एक तरफ अपनी रफ्तार दिखा कर संतुष्ट करती रही और नज़र बचाकर दस से पंद्रह पर्सेंट का खेल खेलती रही। ठेकेदारों और कामों से जुड़ी कंपनियों को हलवा खिला कर हलवा खाया जाता रहा।हलवे की बंदरबांट के बीच निवर्तमान जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित सिर्फ़ योजना प्रभारी बनकर रह गए ।उन्होंने अपनी मूल पोस्ट जिला कलेक्टर की भूमिका को पूरी तरह ताक पर रख दिया।
                   *यही वजह रही कि उनके तबादले के बाद अब अनियमितताओं के “मलवे का  हलवा” सामने आ रहा है ।
                *एलिवेटेड रोड के निर्माण का काम अभी पूरा नहीं हुआ है… लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा उसका 93 फीसदी भुगतान भी कर दिया गया है । इस घपले में ब्याज के तहत सरकारी कोष को नुकसान देकर अपनी कंपनियों को ब्याज का फायदा पहुंचाया है।  केंद्र सरकार की आंखों में धूल झौंक कर अपनी रैंकिंग बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को उनका फ़र्ज़ी उपयोगिता प्रमाण पत्र भी भेज दिया गया है।
                         *ख़बर के मुताबिक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत महावीर सर्किल और गांधी भवन से कचहरी रोड का एलीवेटेड रोड का निर्माण व अन्य दो और निर्माण अभी आधे अधूरे पड़े हुए हैं। मुश्किल से इसे 50% भी नहीं माना जा सकता। इन तीनों कामों के लिए सरकार ने प्रत्येक काम के अलग अलग से लगभग 252 करोड रुपए की मंज़ूरी दी थी। योजना से जुड़े ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों ने इस मंजूरी का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी चहेती कंपनियों को 200 करोड़ का भुगतान भी कर दिया है। दो साल से ज्यादा लेट हो गए कामों के लिए इतना बड़ा एहसान अधिकारियों ने किस लिए किया❓️ इसके लिए कौन लोग ज़िम्मेदार हैं इस बात की जांच बेहद ज़रूरी हो जाती है।
                       *यहां आपको बता दूं कि केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत बैंकों से लोन लेकर विभिन्न शहरों के अधिकारियों को भेजा है। ब्याज की दर 7% है जो केंद्र सरकार बैंकों को चुका रही है।
                   *इधर यह भ्रष्ट अधिकारी उस पैसे को पानी की तरह बहा नहीं रहे बल्कि हलवा खिलाने में ख़र्च कर रहे हैं।
                *एक और ख़ास बात खबरों में सामने आई है कि पूर्व कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने निर्धारित अवधि में काम नहीं करने के लिए नए टेंडर जारी करने के आदेश दे दिए थे… मगर उनके जाते ही भ्रष्ट अधिकारियों के संगठित गिरोह ने उस आदेश को ताक पर रख दिया। पुरानी निर्माण कंपनियों से पैसा खाकर उनकी निर्धारित समय अवधि को विस्तार करने के लिए केंद्र सरकार को जनवरी 2023 तक के लिए निर्माण का ठेका देने को सहर्ष स्वीकार कर लिया। और तो और पैसा लूटने और लेट होने वाले कम्पनियों को “संगठित गिरोह” ने जेएलएन अस्पताल अजमेर के सर्ज़री ब्लॉक के निर्माण के लिए 12 करोड़, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के अपग्रेडेशन के लिए 6 करोड़ 80 लाख,अजमेर में 6 जगहों पर वाईफाई के लिए एक करोड़ सात लाख,  तथा अजमेर नगर निगम  डिजिटलाइजेशन के लिए 22 लाख रूपए एडवांस भी दे दिए।
                  *कमाल की बात तो यह है कि जिस अधिकारी को इस राशि के इस्तेमाल के अधिकार नहीं उन्हें दूसरे रास्ते से अधिकार दिए जाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया है।
                               *यहां आपको बता दूं कि स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की देख रेख के लिए सलाहकार कंपनी “एजिस” को 23 जुलाई 2019 में 12 करोड 39 लाख का ठेका 18 माह के लिए दिया गया था। यह अवधि 22 जनवरी 2021 में ही पूरी हो चुकी थी और इसका विस्तार पहले भी किया जा चुका था। डेढ़ साल के ठेके को भ्रष्ट अधिकारियों ने कोरोना की आड़ में 1 साल के लिए पहले से ही बढ़ा दिया था अब फिर दुबारा इसी कंपनी को 22 जुलाई 2022 तक बढ़ाने की अनुमति दी जा रही है ।
                  *भ्रष्ट अधिकारियों का संगठित गिरोह पत्रकारों को मैनेज कर रहा है ।बाकायदा कुछ पत्रकार नुमां दलाल शहर में छोड़ दिए गए हैं, जो अखबारों और अखबार वालों को ख़ामोश करने के लिए कामयाबी पूर्वक काम कर रहे हैं।
                                *मुझे खुशी है कि राजस्थान पत्रिका इस प्रबंधन के शिकंजे में नहीं आ रही ।शेष पत्रकार क्यों चुप हैं ❓️शेष अखबार सिर्फ़ स्मार्ट सिटी योजना के गीत क्यों गा रहे हैं❓️ मुझे समझ में नहीं आ रहा!  हो सकता है आप समझ जाएं।

सुरेंद्र चतुर्वेदी

सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सि‍यत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |

चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |

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