ममता बनर्जी के लिए आठ लोगों की हत्या का मामला एक छींक के समान है

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राज्यपाल जगदीप धनखड़ की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाती?

बीर भूमि की हिंसा में सोना शेख के परिवार के आठ सदस्यों को जिंदा जलाया गया।

इस बार पश्चिम बंगाल की हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अथवा भाजपा के किसी कार्यकर्ता की हत्या नहीं हुई है, बल्कि सोना शेख के मुस्लिम परिवार के आठ सदस्यों की हत्या की गई। जानकारों की मानें सत्तारूढ़ टीएमसी नेता भादू शेख के समर्थकों ने इस जघन्य कांड को अंजाम दिया। भादू शेख के समर्थकों ने पहले घरों पर बम फेंके और फिर घरों को आग लगा दी। इसमें आठ व्यक्ति जिंदा जल गए। गंभीर बात यह है कि सोना शेख परिवार के आठ सदस्यों की हत्या की तुलना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक छींक से की है। असल में बीर भूमि जिले के रामपुर हाट में हुई इस हिंसा की जांच की मांग सीबीआई से कराने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका  पर कोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि यदि छींक भी आती है तो लोग कोर्ट पहुंच जाते हैं। यानी 8 लोगों की हत्या की तुलना एक छींक से की जा रही है। ममता बनर्जी के पहले के कार्यकाल में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या लगातार होती रही। लेकिन इन हत्याओं को ममता ने गंभीरता के साथ नहीं लिया। यदि संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या के समय गुंडा तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होती तो आज सोना शेख के परिवार के आठ सदस्यों की हत्या नहीं होती। ममता बनर्जी को यह समझना चाहिए कि गुंंडा तत्वों की कोई जात और पार्टी नहीं होती है। यदि राजनीति में अपराधी तत्वों का समावेश किया गया तो फिर एक दिन वे अपने संरक्षकों पर ही हमला करते हैं। ममता बनर्जी को अपराधी तत्वों के खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। आज पश्चिम बंगाल का माहौल डरा हुआ है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने में झिझक रहे हैं। अपराधी तत्वों के हौसले बुलंद हैं।
राज्यपाल की रिपोर्ट पर अमल क्यों नहीं?:
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ प्रदेश के हालातों से लगातार केंद्र सरकार को अवगत करा रहे हैं। बीर भूमि की हिंसा के मामले में भी राज्यपाल का कहना है कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को बनाए रखने में पूरी तरह विफल है। बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि जंगल राज है। मैं मूक दर्शक नहीं रह सकता। मैं अपनी भावनाओं से केंद्र सरकार को लगातार अवगत करा रहा हंू। कई मौकों पर राज्यपाल ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह भी मानते हैं कि पश्चिम बंगाल के हालात खराब है, लेकिन केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के अनुरूप पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं कर रही है। अब समय आ गया है कि जब ममता सरकार को बर्खास्त कर बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
S.P.MITTAL BLOGGER

एस पी मित्तल

वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल

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