सीकर में प्रस्तावित गुरूकुल यूनिवसिर्टी की जमीन पर खड़े प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़
यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े की पोल खोलने के मामले में विपक्ष से ज्यादा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की भूमिका।
यूनिवर्सिटी का मालिक रिटायर्ड आरएएस नारयणलाल का पुत्र रणजीत चौधरी है।
तो क्या फर्जीवाड़ा डोटासरा के संज्ञान में नहीं था?
22 मार्च को राजस्थान विधानसभा में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार चारों खाने चित मिली। ऐसा लगा कि सरकार सिर्फ हवा में चल रही है। सरकार ने जिन परिस्थितियों में अपना ही विधेयक वापस लिया ऐसा कभी नहीं हुआ। राजस्थान में सीकर में गुरुकुल यूनिवर्सिटी के लिए विधेयक लाया गया, लेकिन मंजूरी मिलती, इससे पहले ही प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने गुरुकुल यूनिवर्सिटी की पोल खोल दी। राठौड़ ने कहा कि जिस 25 हजार वर्ग गज भूमि पर 67 कमरे, खेल मैदान पुस्तकालय सहित अन्य सुविधाएं बताई गई हैं, वहां एक ईंट भी नहीं लगी है। जमीन भी उबड़ खाबड़ है। जब यूनिवर्सिटी का कोई वजूद ही नहीं है तो सरकार मान्यता कैसे दे सकती है। उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव कोई सफाई देते, इससे पहले ही विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधेयक को वापस लेने का सुझाव सरकार को दे दिया। असल में सदन में मामले को उठाने से पहले प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने सीपी जोशी से उनके कक्ष में मुलाकात की और गुरुकुल यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े से अवगत कराया। जोशी ने राठौड़ के दस्तावेजों की पुष्टि के लिए सीकर के कलेक्टर को तत्काल मौके पर भेजा। कलेक्टर की रिपोर्ट में भी राठौड़ के दस्तावेज सही पाए गए। यानी मौके पर यूनिवर्सिटी की एक ईंट भी नहीं मिली। सब जानते हैं कि सीपी जोशी सख्त मिजाज वाले विधानसभा अध्यक्ष है। भले ही वे कांग्रेस की विचारधारा के हों, लेकिन सरकार के गलत कार्यों की हमेशा निंदा करते हैं। गुरुकुल यूनिवर्सिटी के मामले में भी जोशी का ऐसा ही रुख रहा। जोशी के रुख की प्रशंसा राजेंद्र राठौड़ ने भी की है। सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस सरकार में यह क्या हो रहा है? यदि भौतिक रिपोर्ट भी फर्जी तैयार हो रही है तो सरकार की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। जिस तरह गुरुकुल यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट हवा हवाई निकली, उसी प्रकार अशोक गहलोत की सरकार की स्थिति भी हवा हवाई ही है। जो लोग प्रतिदिन मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर पहुंच कर जय कारे कर रहे हैं, वे सिर्फ अपना मकसद पूरा कर रहे हैं। गहलोत को चाहिए कि सीएमआर से चाटुकारों को हटाकर जमीनी हकीकत का पता करें। यदि विधानसभा में इस तरह फर्जीवाड़ा होगा तो फिर सरकारी दफ्तरों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अमरीका सिंह की भूमिका पर सवाल:
गुरुकुल यूनिवर्सिटी की भौतिक रिपोर्ट उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी के कुलपति अमरीका सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने तैयार की। इस कमेटी का गठन मौजूदा ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने उच्च शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए गत वर्ष की थी। सवाल उठता है कि राजस्थान की भौगोलिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्र की जानकारी रखने वाले किसी कुलपति की अध्यक्षता में कमेटी क्यों नहीं बनाई? क्यों यूपी से आए अमरीका सिंह को अध्यक्ष बनाया गया? मुख्यमंत्री गहलोत कमेटी गठन की भी जांच करवाएंगे तो बड़ा भ्रष्टाचार सामने आएगा। वैसे तो रिपोर्ट के फर्जी निकलने के बाद कमेटी के अध्यक्ष और सभी सदस्यों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। कम से कम अमरीका सिंह को कुलपति के पद से तो हटा ही देना चाहिए। जानकारों की माने तो राज्यपाल कलराज मिश्र को खुश रखने के लिए सीएम गहलोत ने उत्तर प्रदेश के शिक्षाविद् अमरीका सिंह को सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया है। जबकि अमरीका सिंह कुलपति बनने की पात्रता भी नहीं रखते हैं। जानकारों की मानें तो प्रदेश के 27 विधायकों ने अमरीका सिंह को हटाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं।
रिटायर आरएएस का पुत्र:
प्राप्त जानकारी के अनुसार शेखावाटी शिक्षण संस्थान के माध्यम से रिटायर आरएएस अधिकारी नारायण लाल चौधरी का परिवार सीकर में सक्रिय हैं। इस सोसायटी के अंतर्गत ही गुरुकुल शिक्षण संस्थान ट्रस्ट के जरिए सीकर में गुरुकुल यूनिवर्सिटी खोला जाना प्रस्तावित है। सभी शिक्षण संस्थाओं की मुखिया चौधरी के पुत्र रणजीत चौधरी है। चौधरी परिवार का सभी राजनीतिक दलों के संबंध है। जब भाजपा का शासन होता है तो इनके संस्थानों में भाजपा के नेताओं को आमंत्रित किया जाता है और जब कांग्रेस का शासन होता है तो कांग्रेस के नेता आमंत्रित होते हैं। मौजूदा समय में भी एक इंजीनियर कॉलेज सहित कई शिक्षण संस्थान संचालित हैं।
डोटासरा अज्ञान?:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सीकर के हैं। सीकर के एक एक शिक्षण संस्थान के बारे में डोटासरा को अच्छी तरह पता है। सवाल उठता है कि क्या गुरुकुल शिक्षण संस्थान की फर्जी रिपोर्ट के बारे में डोटासरा को जानकारी नहीं थी? इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी खुलने जा रही हो और डोटासरा को पता न हो ऐसा हो नहीं सकता।
S.P.MITTAL BLOGGER
एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल
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