धारा 144 के बाद भी नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ महिलाओं ने चंडी मार्च निकाला।
जब सरकार और प्रशासन में हड़बड़ाहट होती है तो ऐसे ही अविवेकपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं।
22 मार्च को राजस्थान के कोटा में प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ महिलाओं का चंडी मार्च भी निकला और सिनेमा घरों में कश्मीर फाइल्स फिल्म का प्रदर्शन भी हुआ। यानी 21 मार्च को कोटा के कार्यवाहक कलेक्टर राजकुमार सिंह ने धारा 144 लागू करने का जो आदेश जारी किया था, वह पहले दिन ही बेअसर रहा। 21 मार्च को जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेश की भाषा से भी पता चलता है कि सरकार और प्रशासन में हड़बड़ाहट है, इसलिए आदेश में चेटीचंड, महावीर जयंती, गुड फ्राइडे, बैसाखी, जुमातुल विदा जुलूसों एवं सिनेमा घर में चल रही द कश्मीर फाइल्स फिल्म रोक लगाना आवश्यक बताया गया। इतना ही नहीं इस आदेश में चंबल नदी की नहरों में युवाओं की मौत के बाद होने वाले धरना प्रदर्शनों पर भी रोक लगाने की बात कही गई। प्रशासन के इस आदेश के बाद यह माना गया कि 22 मार्च से लेकर 21 अप्रैल तक धार्मिक जुलूसों पर तो रोक रहेगी ही, साथ ही सिनेमा घरों में कश्मीर फाइल्स फिल्म का प्रदर्शन भी नहीं हो सकेगा। इसलिए फिल्म के निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने भी ट्विटर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ऐसे प्रतिबंध को हटाने की मांग की। मामला बढ़ता देख 22 मार्च की सुबह ही कार्यवाहक कलेक्टर राजकुमार सिंह ने मीडिया से कहा कि कश्मीर फाइल्स फिल्म के प्रदर्शन पर कोई रोक नहीं है। फिल्म प्रेमी बिना किसी बाधा के सिनेमा घरों तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि धारा 144 का मतलब यह है कि सार्वजनिक स्थल पर पांच व्यक्तियों से ज्यादा एकत्रित नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सतर्कता के बतौर ही धारा 144 लागू की है। इसके लिए कोटा शहर के पुलिस अधीक्षक केशव सिंह शेखावत ने भी एक रिपोर्ट प्रशासन के सामने रखी। इस रिपोर्ट में भी माना गया कि हालातों को देखते हुए धार्मिक जुलूसों धरना प्रदर्शनों आदि पर रोक के लिए धारा 144 लगाया जाना आवश्यक है। पुलिस की इस रिपोर्ट के आधार पर ही आगामी 21 अप्रैल तक कोटा शहर और जिले भर में धारा 144 प्रभावी रहेगी।
चंडी मार्च का डर:
जानकारों की माने तो प्रशासन ने भाजपा के चंडी मार्च के डर की वजह से धारा 144 लागू की है। असल में भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल आव्हान किया कि कोटा उत्तर के कांग्रेस विधायक और प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने बलात्कार को लेकर विधानसभा में जो बयान दिया उसके विरोध में ही 22 मार्च को चंडी मार्च होगा। सूत्रों की माने तो धारीवाल नहीं चाहते थे कि उनके खिलाफ महिलाओं का चंडी मार्च निकले। इसलिए एक दिन पहले ही कोटा प्रशासन ने जिले भर में धारा 144 लागू कर करने के आदेश जारी कर दिए। हालांकि इसके बाद भी 22 मार्च को बड़ी संख्या में महिलाओं ने एकत्रित होकर कोटा में चंडी मार्च निकाला और धारीवाल के बयान की निंदा की। उल्लेखनीय है कि धारीवाल ने बलात्कार की घटनाओं को मर्दानगी से जोड़ा था, हालांकि बाद में धारीवाल ने अपने बयान पर माफी मांग ली। सवाल यह भी है कि जब जुलूस पर ही रोक लगाई जानी थी तो बेवजह कश्मीर फाइल्स फिल्म का उल्लेख कार्यवाहक कलेक्टर ने अपने आदेश में क्यों किया? क्या इस फिल्म से कोटा में तनावपूर्ण स्थिति हो रही है? यह फिल्म पिछले एक सप्ताह से कोटा के कई सिनेमाघरों में चल रही है, लेकिन कहीं पर भी कोई विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार और प्रशासन में हड़बड़ाहट है, इसलिए अविवेकपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि लोग सभा के अध्यक्ष ओम बिरला कोटा के ही सांसद हैं। हालांकि अब प्रशासन के अधिकारी अपने ही आदेश पर बार बार सफाई दे रहे हैं, लेकिन यदि 21 मार्च के आदेश को पढ़ा जाए तो पहली चार लाइनों में ही स्पष्ट किया गया है कि कोटा जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए समय रहते भीड़ के एकत्रित करण, धरने, प्रदर्शन सभा एवं जुलूस आदि पर रोक लगाया जाना आवश्यक है। भीड़ एकत्रित होने के जो कारण गिनाए गए उनमें फिल्म कश्मीर फाइल्स का भी उल्लेख किया गया है। यदि प्रशासन सोच विचार कर धारा 144 का आदेश जारी करता तो ऐसी शब्दावली का प्रयोग नहीं करता। सवाल यह भी है कि क्या चंबल नदी की नहरों में 21 अप्रैल के बाद युवाओं का तैरना बंद हो जाएगा। कोटा के युवा तो अनेक वर्षों से नहरों में तैराकी कर रहे हैं और हादसे भी लगातार हो रहे हैं। प्रशासन के अविवेकपूर्ण निर्णयों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 22 मार्च को चंडी मार्च में महिलाओं ने भाग लिया। यह मार्च धारीवाल के निर्वाचन क्षेत्र कोटा उत्तर में ही निकाला गया। महिलाओं ने स्पष्ट कहा कि वे किसी भी धारा 144 को नहीं मानती है। महिलाओं का कहना रहा कि अभिव्यक्ति का उन्हें संवैधानिक अधिकार है। बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति के बाद भी पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-03-2022)
एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल
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